संसदीय विशेषाधिकार बनाम न्यायिक समीक्षा

संसदीय विशेषाधिकार, विधान निर्माताओं को स्वतंत्र रूप से कार्य करने के विशेष अधिकार प्रदान करते हैं, जबकि न्यायिक समीक्षा संवैधानिक सर्वोच्चता और मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है। दोनों के बीच तनाव अक्सर टकराव का कारण बनता है, जिससे यह मूल प्रश्न उठता है कि क्या संसद की संप्रभुता संवैधानिक सीमाओं को दरकिनार कर सकती है।

हालिया घटनाक्रम

  • सीता सोरेन केस (2024): सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संसदीय विशेषाधिकार सांसदों/विधानसभा सदस्यों को रिश्वत मामले में बचाने का हथियार नहीं बन सकता।
  • पूर्व के P.V. नरसिंह राव (1998) फैसले को पलटते हुए कोर्ट ने कहा कि वोटिंग के आधार पर रिश्वत ....

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