स्थानिक एवं संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण

भारत अत्यधिक जैव-विविधता वाला देश है, जहाँ विश्व की लगभग 7-8% अभिलिखित प्रजातियाँ पाई जाती हैं। हिमालय, पश्चिमी घाट और इंडो-बर्मा क्षेत्र में अनेक स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो पृथ्वी पर और कहीं नहीं मिलतीं। किन्तु ये प्रजातियाँ तीव्र आवास-हानि, जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप के कारण संकट में हैं। IUCN रेड लिस्ट में इनकी स्थिति (अत्यंत संकटग्रस्त, संकटग्रस्त, अति संवेदनशील) यह संकेत देती है कि इनके संरक्षण के बिना न केवल पारिस्थितिक संतुलन, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय आजीविका भी प्रभावित होगी।

हालिया विकास

  • वर्ष 2024 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन्यजीव आवासों के एकीकृत ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष