हरित शासन के स्तंभ के रूप में स्थानीय समुदाय

हरित सुशासन का आशय ऐसे निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं से है, जो सततता, पर्यावरणीय न्याय और सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण को समाहित करती हों। भारत में स्थानीय समुदायों ने परंपरागत रूप से वनों, जल और जैव विविधता का प्रबंधन किया है। चाहे 1970 के दशक का चिपको आंदोलन हो या आज की जैव-विविधता प्रबंधन समितियाँ (BMCs)-समुदाय-आधारित संरक्षण ने पर्यावरणीय स्थायित्व और आजीविका सुरक्षा, दोनों के बीच संतुलन कायम किया है।

हालिया प्रगति

  • जुलाई 2025 में सर्वोच्च न्यायालय ने आदिवासी एवं पारंपरिक समुदायों के वन संसाधन प्रबंधन अधिकारों को मान्यता दी। इससे वनाधिकार अधिनियम, 2006 के प्रावधानों को और मजबूती मिली।

प्रमुख पहलें

  • वनाधिकार ....

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