विकास की आवश्यकताओं एवं पारिस्थितिक सीमाओं का सामंजस्य

भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, आर्थिक विकास की अनिवार्यता और पर्यावरण संरक्षण की बाध्यता के बीच संतुलन स्थापित करना। अंधाधुंध विकास से वनों की कटाई, प्रदूषण और जलवायु जोखिम बढ़ते हैं, जिससे दीर्घकालिक सततता खतरे में पड़ सकती है। आवश्यकता है कि समावेशी विकास इस प्रकार हो कि पारिस्थितिक सीमाएँ न टूटें और यह वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) तथा जलवायु कार्यवाही के अनुरूप रहे।

हालिया प्रगति

  • जून 2025 (विश्व पर्यावरण दिवस): प्रधानमंत्री ने अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के अंतर्गत विशेष वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य 700 किमी लंबे अरावली पर्वतमाला में पुनर्वनीकरण कर जैव ....

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