जैव विविधता संरक्षण में डिजिटल प्रौद्योगिकियों की भूमिका

जैव विविधता संरक्षण के पारंपरिक तरीकों के साथ अब तकनीकी नवाचारों का समन्वय हो रहा है। उपग्रह चित्रण, ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ताआधारित प्रजाति पहचान, पर्यावरणीय डीएनए (e-DNA ) तकनीक और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे उपकरण संरक्षण प्रयासों को अधिक सटीक, तीव्र और व्यापक बना रहे हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ न केवल पारिस्थितिक तंत्र की निगरानी और प्रवर्तन क्षमता को सशक्त बनाती हैं, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं, जैव विविधता संधि (CBD) और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs), को पूरा करने में भी केंद्रीय भूमिका निभाती हैं।

हालिया विकास

  • अगस्त 2025: भारत सरकार ने रेलवे पटरियों पर हाथियों व अन्य बड़े वन्यजीवों से टकराव ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष