जलवायु परिवर्तन का सामाजिक संवेदनशीलता और लैंगिक असमानता पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन एक सामाजिक-आर्थिक अवरोधक है, जो असमानताओं को और गहरा करता है। संवेदनशील समूह (विशेषकर महिलाएँ, बुजुर्ग और हाशिए पर खड़े समुदाय) सीमित संसाधनों और शक्ति के कारण अनुपातहीन रूप से प्रभावित होते हैं।

  • खेती और पानी लाने जैसे लैंगिक कार्य-निर्धारण, महिलाओं को जलवायु जोखिमों के सीधे सम्पर्क में लाते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन सामाजिक और लैंगिक असमानता का प्रत्यक्ष कारक बन जाता है।

हालिया विकास

  • जून 2025 की डाउन टू अर्थ रिपोर्ट ने रेखांकित किया कि बढ़ते तापमान और हीटवेव का सबसे अधिक बोझ महिलाएँ उठाती हैं।
  • यूएनडीपी इंडिया रिपोर्ट (2024) ने बताया कि महिलाएँ भारत की कृषि कार्यबल का ....
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