प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन और चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव

हाल ही में बुसान में आयोजित संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण संधि (Plastic Pollution Treaty) पर हुई वार्ताएँ अंतिम समझौते के बिना समाप्त हो गईं, लेकिन भारत कोई भी कदम उठाने में देर नहीं कर रहा है।

  • देश रैखिक लो-बनाओ-निपटान करो (Take-Make-Dispose) मॉडल से निकलकर प्लास्टिक के लिए परिपत्र (Circular) अर्थव्यवस्था की ओर सक्रिय रूप से बढ़ रहा है।
  • यह महत्त्वपूर्ण परिवर्तन भारत के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों (PWMR) में किए गए महत्त्वाकांक्षी संशोधनों से प्रेरित है, जो विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility–EPR) को सशक्त बनाते हैं और लक्षित सिंगल-यूज प्लास्टिक (SUPs) पर कठोर प्रतिबंध लागू करते हैं।

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