लैंगिक न्याय और महिला सशक्तीकरण : विधिक एवं सामाजिक परिप्रेक्ष्य

लैंगिक न्याय और महिला सशक्तीकरण किसी न्यायपूर्ण समाज की मूलभूत आधारशिला है, जिसका उद्देश्य ऐतिहासिक असमानताओं का परिमार्जन करना और जीवन के सभी क्षेत्रों में समान भागीदारी सुनिश्चित करना है। भारत में, यद्यपि संविधान ने अनुच्छेद 14 और 15 के अंतर्गत समानता की गारंटी दी है तथा महिलाएँ जनसंख्या का लगभग 48% (जनगणना 2011) हैं, फिर भी उन्हें व्यापक भेदभाव और अल्पप्रतिनिधित्व का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2022 में महिलाओं के विरुद्ध 4.45 लाख से अधिक अपराध दर्ज हुए (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो – NCRB), जो विधि और वास्तविकता के बीच गहरी खाई को दर्शाते हैं।

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