दलबदल-विरोधी कानून और स्पीकर की भूमिका

दलबदल-विरोधी कानून, भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में निहित, राजनैतिक दलबदल को रोकने के लिए बनाया गया था। इसे 52वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1985 के माध्यम से लागू किया गया, ताकि %आया राम, गया राम% जैसी घटनाओं से उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता को रोका जा सके। यह कानून संसद और राज्य विधानसभाओं के उन सदस्यों को अयोग्य घोषित करता है जो अपने दल से विद्रोह करते हैं।

हालिया घटनाक्रम

  • महाराष्ट्र राजनीतिक संकट (2022–23) दलबदल विरोधी कानून और अध्यक्ष की भूमिका से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण मामला रहा।
  • इस संकट के कारण शिवसेना पार्टी में एक विभाजन देखा गया, जिसके कारण अध्यक्ष के समक्ष ....

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