कारागार सुधार: कारावास का अधिकार-आधारित दृष्टिकोण

कारागारों को कभी केवल दंड और प्रतिशोध के स्थान के रूप में देखा जाता था, परन्तु आधुनिक परिप्रेक्ष्य में उन्हें अधिकार-आधारित दृष्टिकोण से पुनर्परिभाषित किया जा रहा है। इस दृष्टिकोण में यह स्वीकार किया गया है कि दोषसिद्धि के बावजूद कैदी अपने मौलिक मानवाधिकारों से वंचित नहीं होते। अब ध्यान केवल दंडात्मक मॉडल पर नहीं, बल्कि सुधार, पुनर्वास और सामाजिक पुनर्संलग्नता पर है। इसका उद्देश्य अपराध के मूल कारणों का समाधान करना और कैदियों को ऐसे कौशल व सोच से सुसज्जित करना है, जिससे वे रिहाई के बाद कानून का पालन करने वाले और उत्पादक नागरिक बन सकें।

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