बायोपाइरेसी (Biopiracy) के लिए कानूनी तंत्र

बायोपाइरेसी से तात्पर्य है- स्थानीय समुदायों की जैव-संपदा व पारंपरिक ज्ञान का अनुचित दोहन बिना पूर्व अनुमति और बिना लाभ-साझेदारीसुनिश्चित किए। यह न केवल जैव-विविधता पर संप्रभुता का उल्लंघन करता है बल्कि आदिवासी-अनुसूचित समुदायों के अधिकारों को भी क्षति पहुँचाता है। भारत, जो विश्व के मेगा-बायोडायवर्स देशों में एक है, अनेक बार विदेशी पेटेंट दावों (नीम, हल्दी, बासमती चावल) का शिकार रहा है।

हालिया विकास

  • 2024 में यह चिंता उभरी कि डिजिटल बायोपाइरेसी बढ़ रही है, जिसमें केवल जेनेटिक सीक्वेंस डाटा का उपयोग कर विदेशी पेटेंट लिए जा रहे हैं, जिससे भारत की भौतिक जैव-संपदा को छुए बिना ही लाभ-साझेदारी ....

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