सामयिक
राष्ट्रीय:
औषधीय पौधों की खेती के लिए सब्सिडी
आयुष मंत्रालय ने अब तक 140 प्राथमिकता वाले औषधीय पौधों में से 84 औषधीय पौधों की प्रजातियों की खेती के लिए 59,350 किसानों का समर्थन किया है।
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महत्वपूर्ण तथ्य: 2015-16 से 2020-21 तक पूरे देश में 56,305 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।
- यह जानकारी आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने संसद के बजट सत्र के दौरान राज्य सभा में प्रस्तुत की।
- राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) की केंद्र प्रायोजित योजना के औषधीय पादप घटक के तहत, मंत्रालय ने 2015-16 से 2020-21 तक पूरे देश में औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की है।
- संबंधित राज्य के लिए अनुमोदित राज्य वार्षिक कार्य योजना के अनुसार संबंधित राज्य द्वारा पहचान की गई कार्यान्वयन एजेंसी के माध्यम से खेती की गतिविधियों को लागू किया गया था।
- इस योजना के तहत, 140 औषधीय पौधों की प्रजातियों को समर्थन देने वाली खेती के लिए प्राथमिकता दी गई है, जिसके लिए किसानों को खेती की लागत के 30%, 50% और 75% पर सब्सिडी प्रदान की गई है।
- पिछले पांच वर्षों के दौरान, आयुष मंत्रालय ने 84 औषधीय पौधों की खेती के लिए 11,773.830 लाख रुपए प्रदान किए हैं।
पार- तापी - नर्मदा नदी लिंक परियोजना
25 मार्च, 2022 को गुजरात के विभिन्न जिलों के सैकड़ों आदिवासियों ने 'पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना' (Par-Tapi-Narmada river-linking project) के खिलाफ गांधीनगर की सत्याग्रह छावनी में 'आदिवासी सत्याग्रह' किया और परियोजना पर एक श्वेत पत्र की मांग की।
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महत्वपूर्ण तथ्य: पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना की परिकल्पना 1980 के राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत पूर्व केंद्रीय सिंचाई मंत्रालय और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के तहत की गई थी।
- इस परियोजना में पश्चिमी घाट के अधिशेष जल क्षेत्रों से सौराष्ट्र और कच्छ के पनि की कमी वाले क्षेत्रों में नदी जल को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है।
- पार, तापी और नर्मदा नदियों का अतिरिक्त पानी जो मानसून में समुद्र में प्रवाहित होता है, उसे सिंचाई के लिए सौराष्ट्र और कच्छ की ओर मोड़ दिया जाएगा।
- इसमें तीन नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव है - महाराष्ट्र में नासिक से निकलने वाली और वलसाड से होकर बहने वाली 'पार' नदी, 'तापी', जो गुजरात में महाराष्ट्र और सूरत से होकर बहती है, और मध्य प्रदेश से निकलने वाली ‘नर्मदा’ जो महाराष्ट्र और गुजरात में भरूच और नर्मदा जिलों से होकर बहती है।
- लिंक परियोजना में मुख्य रूप से सात बांध (झेरी, मोहनकवचली, पाइखेड़, चसमांडवा, चिक्कर, डाबदार और केलवान); तीन डायवर्जन वियर (बांध) (पैखेड़, चासमांडवा, और चिक्कर बांध); दो सुरंग (5.0 किलोमीटर और 0.5 किलोमीटर लंबी); 395 किलोमीटर लंबी नहर (फीडर नहरों की लंबाई सहित पार- तापी भाग में 205 किलोमीटर और तापी-नर्मदा भाग में 190 किमी); और छ: बिजलीघर का निर्माण शामिल है ।
- इनमें से झेरी बांध नासिक में पड़ता है, जबकि शेष बांध दक्षिण गुजरात के वलसाड और डांग जिलों में हैं।
राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र द्वारा वित्त पोषित एक योजना 'राष्ट्रीय एड्स और यौन संचारित रोग (एसटीडी) नियंत्रण कार्यक्रम' (National AIDS and STDs Control Programme: NACP) को 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है।
महत्वपूर्ण तथ्य: कार्यक्रम के चरण-5 को 1,5471.94 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है।
- राष्ट्रीय एड्स एवं एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम के पहले चरण के शुभारंभ के साथ 1992 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय एड्स प्रतिक्रिया की शुरुआत की गई थी। तब से अब तक NACP के चार चरणों को सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है। NACP का चौथा चरण 31 मार्च, 2021 को संपन्न हुआ।
- NACP के तहत राष्ट्रीय एड्स प्रतिक्रिया को विश्व स्तर पर एक अत्यंत सफल कार्यक्रम माना जाता है।
- भारत में वार्षिक नए एचआईवी संक्रमण में वैश्विक औसत 31% (2010 का आधारभूत वर्ष) के मुकाबले 48% की गिरावट दर्ज की गई है।
- एड्स से संबंधित वार्षिक मौतों में वैश्विक औसत 42% (2010 का आधारभूत वर्ष) के मुकाबले 82% की गिरावट दर्ज की गई है।
- इस योजना के तहत प्रयासों के कारण, भारत में एचआईवी प्रसार 0.22% के वयस्क एचआईवी प्रसार के साथ कम है।
- NACP चरण-5 के तहत राष्ट्रीय एड्स एवं एसटीडी प्रतिक्रिया वित्त वर्ष 2025-26 तक जारी रहेगी ताकि व्यापक रोकथाम, जांच एवं उपचार सेवाओं के जरिये 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के तौर पर एचआईवी/ एड्स वैश्विक महामारी को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 3.3 को हासिल किया जा सके।
हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 15 मार्च, 2022 को राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में छात्राओं द्वारा हिजाब (सिर पर दुपट्टा) पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा है।
महत्वपूर्ण तथ्य: कोर्ट का मानना है कि हिजाब पहनना इस्लाम में एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और इसलिए, संविधान के अनुच्छेद 25 द्वारा गारंटीकृत धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत संरक्षित नहीं है।
- मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की पीठ ने कहा कि स्कूल यूनिफॉर्म का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है।
- पीठ ने उडुपी और अन्य जिलों में हिजाब को लेकर विवाद के बाद कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 के प्रावधानों के तहत स्कूलों और प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में यूनिफॉर्म के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करने वाले कर्नाटक सरकार के 5 फरवरी, 2022 के आदेश की वैधता को भी बरकरार रखा है।
- कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया है कि प्रतिबंध व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित अनुच्छेद 19 (1) (ए) और अनुच्छेद 21 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में केरल अव्वल
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के मामले में केरल एक बार फिर से शीर्ष राज्य बनकर उभरा है।
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महत्वपूर्ण तथ्य: केरल ने देश में सबसे कम मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) 30 (प्रति एक लाख जीवित जन्म) दर्ज किया है।
- भारत के महापंजीयक द्वारा जारी भारत में मातृ मृत्यु (2017-19) पर नवीनतम प्रतिदर्श पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) विशेष बुलेटिन के अनुसार, केरल के MMR में 12 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।
- पिछले एसआरएस बुलेटिन (2015-17) में राज्य का MMR 42 (बाद में इसे 43 पर समायोजित किया गया) था। केरल राष्ट्रीय स्तर के MMR 103 से काफी आगे है।
- एक अन्य राज्य महाराष्ट्र ने भी महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिसका MMR 55 से घटकर 38 हो गया है।
- केरल ने 2020 में ही MMR के संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पहले ही हासिल कर लिया है।
- केरल ने 2012-13 में एनआईसीई इंटरनेशनल और विशेषज्ञों के साथ साझेदारी में प्रसूति देखभाल में गुणवत्ता मानकों को विकसित किया, जो मातृ मृत्यु के सामान्य कारणों के प्रबंधन पर केंद्रित है - प्रसवोत्तर रक्तस्राव, गर्भावस्था से प्रेरित उच्च रक्तचाप, सेप्सिस।
सुप्रीम कोर्ट ने 'वन रैंक - वन पेंशन' की नीति को सही ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को सशस्त्र बलों के लिए केंद्र की 'वन रैंक- वन पेंशन' (ओआरओपी) योजना को बरकरार रखा है।
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महत्वपूर्ण तथ्य: सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक, वन पेंशन पर सरकार के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि उसे ओआरओपी सिद्धांत और 7 नवंबर, 2015 की अधिसूचना पर कोई संवैधानिक दोष नहीं लगता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीति में 5 साल में जो पेंशन की समीक्षा का प्रावधान है वह बिल्कुल सही है। इसी प्रावधान के तहत सरकार 1 जुलाई, 2019 की तारीख से पेंशन की समीक्षा करे।
- ओआरओपी योजना में निर्धारित किया गया था कि पेंशनभोगियों के लिए लाभ 1 जुलाई, 2014 की कट-ऑफ तारीख से प्रभावी होंगे तथा पिछले पेंशनभोगियों की पेंशन कैलेंडर वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त लोगों की पेंशन के आधार पर तय की जाएगी।
- अदालत का यह निर्णय 'भारतीय भूतपूर्व सैनिक आंदोलन' द्वारा दायर उस याचिका में दिया गया, जिसमें शिकायत की गई थी कि एक ही रैंक के पेंशनभोगियों को ओआरओपी योजना के तहत मनमाने ढंग से अलग-अलग पेंशन दी जा रही है।
- उनका तर्क था कि समान रैंक से सेवानिवृत्त हुए सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिए पेंशन की राशि एक समान होनी चाहिए।
- भूतपूर्व सैनिक संघ द्वारा दायर इस याचिका में भगत सिंह कोश्यारी समिति द्वारा पांच साल में एक बार आवधिक समीक्षा की वर्तमान नीति के बजाय एक स्वचालित वार्षिक संशोधन के साथ वन रैंक- वन पेंशन को लागू करने की मांग की गई थी।
राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2022 मसौदा
रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्युटिकल विभाग ने 12 मार्च, 2022 को परामर्श के लिए 'राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2022 मसौदा' पर दृष्टिकोण पत्र जारी किया।
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उद्देश्य: चिकित्सा उपकरणों की सुलभता, खर्च वहनीयता, सुरक्षा और गुणवत्ता के मुख्य उद्देश्यों को पूरा करना और स्व-स्थायित्व, नवाचार एवं वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना।
मुख्य विशेषताएं: निजी क्षेत्र के निवेश के साथ स्थानीय विनिर्माण इकोसिस्टम के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय और वित्तीय सहायता के माध्यम से प्रतिस्पर्धात्मकता का निर्माण।
- टैक्स रिफंड और छूट के माध्यम से कोर प्रौद्योगिकी परियोजनाओं और निर्यात को प्रोत्साहित करना।
- उपभोक्ताओं को सुरक्षित उपकरण उपलब्ध कराने के लिए गुणवत्ता मानकों और उपकरणों की सुरक्षा।
- चिकित्सा उपकरणों के लाइसेंस के लिए एकल खिड़की निकासी प्रणाली।
- महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करना, स्थानीय रूप से उत्पादित सामग्री को बढ़ावा देना तथा विभिन्न उद्योगों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना।
- अनुसंधान और विकास में चिकित्सा प्रौद्योगिकी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ाकर लगभग 50% करना।
- इस नीति की परिकल्पना है कि 2047 तक -
- भारत में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPERs) की तर्ज पर कुछ राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (NIMERs) होंगे।
- भारत मेडटेक में 25 सर्वोत्तम फ्यूचरिस्टिक तकनीकों का केंद्र और जननी होगा।
- देश में 10-12% की वैश्विक बाजार हिस्सेदारी के साथ 100-300 अरब डॉलर के आकार का मेडटेक उद्योग होगा।
अन्य तथ्य: चिकित्सा उपकरणों के सनराइज सेक्टर 'मेडटेक सेक्टर' के 2025 तक बाजार के आकार में मौजूदा 11 अरब डॉलर से बढ़कर 50 अरब डॉलर होने की संभावना है।
औषधि मूल्य निर्धारण
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में वृद्धि से लगभग 800 औषधियों और उपकरणों पर असर पड़ने की संभावना है।
महत्वपूर्ण तथ्य: यदि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority: NPPA) आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत सूचीबद्ध दवाओं और उपकरणों में 10% से अधिक की वृद्धि की अनुमति देता है, तो उपभोक्ताओं को दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए अधिक भुगतान करना पड़ सकता है।
औषधियों की कीमतों में बढ़ोतरी: अनुसूचित औषधियों की कीमतों में प्रत्येक वर्ष थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के अनुरूप दवा नियामक द्वारा वृद्धि की अनुमति दी जाती है और वार्षिक परिवर्तन नियंत्रित होता है।
- लेकिन फार्मास्युटिकल कंपनियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में इनपुट लागत बढ़ गई है। इसलिए कीमतों में बढ़ोतरी की जाए।
मूल्य निर्धारण तंत्र कैसे काम करता है? आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत सभी दवाएं (औषधियां) मूल्य विनियमन के अधीन हैं।
- औषध (मूल्य) नियंत्रण आदेश 2013 के अनुसार, अनुसूचित दवाओं (जो कि फार्मा बाजार का लगभग 15% है) के लिए सरकार द्वारा WPI के अनुसार वृद्धि की अनुमति है, जबकि शेष 85% को हर साल 10% की स्वचालित वृद्धि की अनुमति है।
- फार्मा लॉबी अब अनुसूचित दवाओं के लिए भी कम से कम 10% की बढ़ोतरी की मांग कर रही है।
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण: इसकी स्थापना 1997 में औषध (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 1995-2013 के तहत नियंत्रित थोक दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों को तय / संशोधित करने और देश में दवाओं की कीमत और उपलब्धता को लागू करने के लिए की गई थी।
कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 19 मार्च, 2022 को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ बैठक के दौरान कश्मीरी पंडितों सहित कश्मीरी प्रवासियों के पुनर्वास की प्रगति की समीक्षा की।
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महत्वपूर्ण तथ्य: केंद्रीय गृह मंत्री केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 83वें स्थापना दिवस परेड में भाग लेने के लिए जम्मू में थे।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, पिछले सात सालों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास का सिर्फ 17 फीसदी ही पूरा हुआ है।
- 2015 में घोषित प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के कश्मीरी प्रवासियों के लिए 3,000 सरकारी नौकरियों के सृजन को मंजूरी दी थी। अब तक 1,739 प्रवासियों को नियुक्त किया गया है और 1,098 अन्य को नौकरियों के लिए चुना गया है।
- 2008 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा प्रवासियों के लिए इसी तरह के रोजगार पैकेज की घोषणा की गई थी, जिसके तहत स्वीकृत 3,000 पदों में से 2,905 पदों को भरा गया था।
- बढ़ते आतंकवादी हमलों और समुदाय के खिलाफ हिंसा के कारण 1990 के बाद से बड़ी संख्या में पंडितों को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
- 2020 की संसदीय पैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में 64,827 पंजीकृत प्रवासी परिवार हैं - जिनमें 60,489 हिंदू परिवार, 2,609 मुस्लिम परिवार और 1,729 सिख परिवार शामिल हैं।
नीति आयोग विकसित कर रहा है राष्ट्रीय लिंग सूचकांक
नीति आयोग एक ‘राष्ट्रीय लिंग सूचकांक’ (National Gender Index) विकसित करने की प्रक्रिया में है।
महत्वपूर्ण तथ्य: राष्ट्रीय लिंग सूचकांक का उद्देश्य लैंगिक समानता में लगातार हो रहे अंतर की पहचान करना और इसकी प्रगति को मापना तथा इससे संबंधित नीति तैयार करने में सरकार की मदद करना है।
- यह सूचकांक परिभाषित लैंगिक मानदंडो पर राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों की प्रगति को मापने के लिए एक उपकरण के रूप में काम करेगा।
- इस सूचकांक को सतत विकास लक्ष्यों के ढांचे के साथ जोड़ा जाएगा।
राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक: नीति आयोग ने ‘राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक’ का मसौदा भी तैयार किया है।
- यह सूचकांक डिस्कॉम की व्यवहार्यता और प्रतिस्पर्धा; ऊर्जा की पहुंच, सामर्थ्य और विश्वसनीयता; स्वच्छ ऊर्जा पहल; ऊर्जा दक्षता; उत्पादन क्षमता; और पर्यावरणीय स्थिरता और नई पहल जैसे संकेतकों पर राज्यों के प्रदर्शन का आकलन करेगा।
- सूचकांक राज्यों को अपने ऊर्जा संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने में मदद करेगा।