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इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट डेवलपमेंट फंड योजना

4 नवंबर, 2022 को केंद्र सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public Private Partnership) परियोजनाओं के विकास में लगे लेनदेन सलाहकारों की लागत को पूरा करने में वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट डेवलपमेंट फंड योजना (India Infrastructure Project Development Fund Scheme) को नया रूप दिया और इसे विस्तृत किया।

इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट डेवलपमेंट फंड योजना के बारे

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो केंद्र एवं राज्य सरकारों में परियोजना प्रायोजक प्राधिकरणों (Project sponsoring authorities) को आवश्यक धन प्रदान करके गुणवत्तापूर्ण पीपीपी परियोजनाओं के विकास में सहायता करती है। इस योजना को 2007 में स्थापित किया गया था।
  • यह परियोजना विकास खर्च का 75% तक प्रायोजक प्राधिकरण को ब्याज मुक्त ऋण के रूप में योगदान करेगा, और शेष 25% प्रायोजक प्राधिकरण द्वारा सह-वित्त पोषित किया जाएगा।

इसका महत्व

  • यह पीपीपी परियोजनाओं के विकास में लगे लेनदेन सलाहकारों की लागत को पूरा करने में वित्तीय सहायता प्रदान करके, केंद्र और राज्य दोनों सरकारों में परियोजना प्रायोजक प्राधिकरणों को आवश्यक सहायता प्रदान करेगा।
  • इसका उद्देश्य बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करके देश में बुनियादी ढांचे के विकास की गुणवत्ता और गति में सुधार करना है।
  • यह देश के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे के दृष्टिकोण को प्राप्त कर सकता है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का हटाया जाना

3 नवंबर, 2022 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board - CPCB) द्वारा ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (चरण-IV) को हटा लिया गया है| CPCB द्वारा यह निर्णय दिल्ली में परिवेशी वायु की गुणवत्ता में सुधार के कारण लिया गया है|

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान क्या है?

  • 2016 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर, पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (EPCA) द्वारा राज्य सरकार के प्रतिनिधियों तथा विशेषज्ञों के साथ मिलकर ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ योजना (GRAP) का प्रस्ताव दिया गया था।
  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान अर्थात जीआरपीए के अंतर्गत वायु प्रदूषण की गंभीरता के अनुसार प्रदूषण को रोकने के उपायों को सूचीबद्ध किया जाता है जो केवल आपातकालीन उपाय के रूप में काम करता है।
  • इस योजना के अंतर्गत अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा औद्योगिक प्रदूषण, वाहन एवं दहन उत्सर्जन से निपटने के लिए वर्ष भर की जाने वाली कार्रवाई को नहीं शामिल किया गया है।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान की कार्यप्रणाली

  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान या GRAP आपातकालीन उपायों का एक सेट है जो एक निश्चित सीमा तक पहुंचने के बाद हवा की गुणवत्ता में और गिरावट को रोकने के लिए शुरू होता है। जीआरएपी का चरण 1 तब सक्रिय होता है जब एक्यूआई 'खराब' श्रेणी (201 से 300) में होता है।
  • दूसरा, तीसरा और चौथा चरण तब सक्रिय होगा जब एक्यूआई क्रमशः 'बहुत खराब' श्रेणी (301 से 400), 'गंभीर' श्रेणी (401 से 500) तक पहुंच जाएगा।

GRAP को किस प्रकार लागू किया जाता है?

  • सीएक्यूएम ने जीआरएपी के संचालन के लिए एक उप-समिति का गठन किया है। जीआरएपी को लागू करने के आदेश जारी करने के लिए उप-समिति को बार-बार मिलना पड़ता है।
  • इस निकाय में सीएक्यूएम के अधिकारी, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, आईएमडी के एक वैज्ञानिक और आईआईटीएम के एक वैज्ञानिक और स्वास्थ्य सलाहकार शामिल हैं।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बनाए गए इस योजना को पहली बार 2017 में दिल्ली-एनसीआर में लागू किया गया था।

वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2022

17 अक्टूबर, 2022 को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme-UNDP) और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (Oxford Poverty and Human Development Initiative-OPHI) द्वारा तैयार किए गए वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Global Multidimensional Poverty Index-MPI) को जारी किया गया।

  • सूचकांक के अनुसार विश्व भर में लगभग 1.2 अरब लोग बहुआयामी गरीबी से पीड़ित हैं।
  • गरीब लोगों की संख्या सबसे अधिक उप सहारा अफ्रीका (579 मिलियन) में है, इसके पश्चात दक्षिण एशिया (385 मिलियन) का स्थान है। इन दोनों क्षेत्रों में कुल मिलाकर विश्व के लगभग 83% गरीब लोग निवास करते हैं।

वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक के संदर्भ में

  • सूचकांक को वैश्विक स्तर पर व्यापक महत्व प्राप्त है क्योंकि इसके द्वारा 100 से अधिक विकासशील देशों में बहुआयामी गरीबी का मापन किया जाता है।
  • इस सूचकांक को सर्वप्रथम वर्ष 2010 में ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय द्वारा जारी किया गया था।
  • आयाम एवं संकेतक: सूचकांक का मापन निम्नलिखित तीन आयामों तथा 10 संकेतकों के आधार पर किया जाता है। इन आयामों एवं संकेतकों का उपयोग करके व्यक्तियों के अभाव की स्थिति को मापा जाता है।
    • स्वास्थ्य (बाल मृत्यु दर, पोषण),
    • शिक्षा (स्कूली शिक्षा के वर्ष, नामांकन),
    • जीवन स्तर (आवास, जल, स्वच्छता, बिजली, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति)।

भारत के संदर्भ में महत्वपूर्ण निष्कर्ष

  • दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब भारत में: वर्ष 2020 के जनसंख्या के आंकड़ों को आधार बनाकर तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व में बहुआयामी गरीबी से पीड़ित सर्वाधिक लोग भारत (228.9 मिलियन) में हैं तथा इसके बाद नाइजीरिया (2020 में अनुमानित 96.7 मिलियन) का स्थान है।
    • भारत में लगभग 4.2 प्रतिशत आबादी चरम गरीबी (Extreme Poverty) के अंतर्गत आती है।
  • आयु वर्ग के अनुसार: भारत के सभी आयु वर्गों में वयस्कों की तुलना में बच्चों में अधिक गरीबी पाई जाती है।
    • देश में 5 में से लगभग 1 बच्चा (कुल 21.8 प्रतिशत बच्चे) गरीब है। दूसरी ओर, वयस्क जनसंख्या में यह अनुपात 7 व्यक्तियों में 1 (कुल 13.9 प्रतिशत) है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 9.7 करोड़ गरीब बच्चे हैं।
  • ग्रामीण तथा शहरी गरीबी: सूचकांक में यह पाया गया है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 21.2% लोग गरीब हैं जो कि शहरी क्षेत्रों (5.5%) की तुलना में अधिक है।
    • देश में कुल गरीबों में से लगभग 90 प्रतिशत गरीब, ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
    • संख्या के हिसाब से भारत में पाए जाने वाले लगभग 229 मिलियन गरीब लोगों में से 205 मिलियन लोग ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित हैं।
  • महिला प्रधान परिवारों में गरीबी अधिक: वर्तमान सूचकांक के अनुसार देश में पुरुष प्रधान परिवारों (15.9%) की तुलना में महिला प्रधान परिवारों में रहने वाले लगभग 19.7% लोग गरीबी में रहते हैं।
  • राज्यवार स्थिति: वर्ष 2015-16 में बिहार सर्वाधिक गरीब राज्य था तथा वर्तमान में इसके बहुआयामी गरीबी सूचकांक मूल्य में निरपेक्ष रूप से सर्वाधिक कमी देखी गई है।
    • वर्ष 2015-2016 में 10 सर्वाधिक गरीब राज्यों में से केवल पश्चिम बंगाल ही वर्ष 2019-21 की सूची से बाहर निकलने में सफल रहा है।
    • वर्तमान सूची के अनुसार भारत के सर्वाधिक गरीब राज्यों में- बिहार, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नाम देखने को मिल रहे हैं।
  • सापेक्षिक रूप से गरीबी में सर्वाधिक कमी प्रदर्शित करने वाले राज्यों में क्रमशः गोवा, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान के नाम शामिल हैं।

मिशन लाइफ का शुभारंभ

20 अक्टूबर, 2022 को गुजरात के एकता नगर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिशन लाइफ (Mission LiFE - Lifestyle For Environment) का शुभारंभ किया गया| इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस भी उपस्थिति थे।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिशन लाइफ की घोषणा 2021 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में की गई थी।

मिशन लाइफ से संबंधित मुख्य बिंदु

  • मिशन लाइफ वैश्विक जलवायु परिवर्तन से संबंधित कार्रवाइयों में व्यक्तियों और समुदायों के व्यवहार परिवर्तन को पर्यावरण मित्रवत बनाने पर जोर देता है|
  • यह मिशन वर्तमान में प्रचलित व्यवहार 'उपयोग-और-निपटान' (use-and-dispose) अर्थव्यवस्था की जगह चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) को प्राथमिकता देता है|
  • मिशन लाइफ को व्यापक स्तर पर अपनाने एवं एक जन आंदोलन (जन आंदोलन) बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

मिशन का उद्देश्य

  • सचेत और विचारपूर्वक उपयोग' (mindful and deliberate utilisation) के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली (Environmentally Conscious Lifestyle) को बढ़ावा देना।
  • दुनिया भर के व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन में सरल जलवायु-अनुकूल कार्य करने के लिए प्रेरित करना।
  • पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए लोगों का एक वैश्विक नेटवर्क 'प्रो-प्लैनेट पीपल' (Pro-Planet People - P3) का संपोषण करना|
  • वैश्विक नेटवर्क 'प्रो-प्लैनेट पीपल' का लाभ उठाते हुए सामाजिक मानदंडों को जलवायु अनुकूल बनाने का प्रयास करना।

आवश्यकता

  • पिछले दो दशकों में, नीतिगत सुधारों, आर्थिक प्रोत्साहनों और विनियमों सहित पर्यावरणीय अवनयन और जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर कई समष्टि (macro) उपायों को लागू किया गया है।
  • परन्तु व्यक्तियों, समुदायों और संस्थानों के स्तर पर आवश्यक कार्यों पर सीमित ध्यान दिया गया है। व्यक्तिगत और सामुदायिक के व्यवहार में परिवर्तन से पर्यावरण और जलवायु संकट में काफी सहायता मिल सकती है।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अनुसार, यदि 8 अरब की वैश्विक आबादी में से 1 अरब लोग अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार अपनाते हैं, तो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
  • भारत सहित वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय अवनयन और जलवायु परिवर्तन की परिघटनाएं दर्ज की जा रही हैं| विश्व के एक हिस्से में की गई सकारात्मक कार्रवाइयां दुनिया भर में पारिस्थितिक तंत्र और आबादी को प्रभावित करती हैं।

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर सिपरी की रिपोर्ट

अक्टूबर 2022 में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार आत्मनिर्भर हथियार उत्पादन क्षमताओं में भारत 12 इंडो-पैसिफिक देशों में चौथे स्थान पर है।

  • रिपोर्ट का शीर्षक: 'इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हथियार-उत्पादन क्षमताएं : आत्मनिर्भरता को मापना' (Arms-production Capabilities in the Indo-Pacific Region : Measuring Self-reliance)
  • सम्मिलित देश: इस अध्ययन में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के ऐसे 12 देशों को शामिल किया गया है जो सैन्य गतिविधियों पर सर्वाधिक खर्च करते हैं। इन देशों में- ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, पाकिस्तान, सिंगापुर, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम के नाम शामिल हैं।

रिपोर्ट के निष्कर्ष

  • प्रथम तीन देश: इस सूची में चीन शीर्ष पर है, जापान दूसरे स्थान पर है तथा दक्षिण कोरिया को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं पाकिस्तान 8वें स्थान पर है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 से 2020 के मध्य चीन दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हथियार आयातक देश था।
  • भारत: सूची में भारत को हथियार उत्पादन क्षमता में चौथा स्थान मिला है।
    • वर्ष 2016 से 2020 के मध्य भारत को हथियारों के दूसरे सबसे बड़े आयातक के रूप में पहचान मिली है।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत पूरी तरह से विदेशी हथियारों के आयात पर निर्भर है तथा 2016-20 में भारत की कुल खरीद में से 84 प्रतिशत भाग विदेशी मूल का था। इस प्रकार, घरेलू हथियार कंपनियां इसकी कुल खरीद का केवल 16% ही मुहैया कराती हैं।
  • पाकिस्तान: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हथियार उत्पादन आत्मनिर्भरता में पाकिस्तान 8वें स्थान पर है।

भारत की प्रमुख हथियार निर्माता एवं आपूर्तिकर्ता कंपनियां

  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Ltd),
  • इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज (Indian Ordnance Factories),
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (Bharat Electronics),
  • मझगांव डॉक्स (Mazagaon Docks) और
  • कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard)।
  • भारतीय सेना को ट्रकों की आपूर्ति करने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक अशोक लीलैंड, इंडो-पैसिफिक में शीर्ष 50 में स्थान पाने वाली एकमात्र कंपनी है।

रिपोर्ट का महत्व

  • भारत को क्षमता आकलन में सहायता: यह रिपोर्ट मुख्य रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समुद्र तटीय देशों के अध्ययन पर आधारित है। वर्तमान में यह क्षेत्र अपने आर्थिक एवं भू-सामरिक महत्व के लिए अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बिंदु बना हुआ है। भारत अपनी क्षमताओं का आकलन करके हथियार निर्माण क्षमता में वृद्धि कर सकता है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का महत्व: रिपोर्ट में यह पाया गया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में अपनी हथियार निर्माण क्षमता में वृद्धि की जा रही है। इस क्षेत्र में स्थित 18 हथियार निर्माण कंपनियों को वर्ष 2020 में दुनिया की सबसे बड़ी हथियार कंपनियों में स्थान प्रदान किया गया था।
  • वैश्विक निर्यातकर्ता: रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख निर्यातक देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं रूस जैसे देशों के नाम शामिल हैं। इसका अर्थ यह है कि आने वाले कुछ समय तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अधिकांश देशों को अपने रक्षा उपकरणों की आपूर्ति हेतु इन देशों को निर्भर रहना होगा।

सुरक्षा परिषद की सूची 1267 पर चीन का विरोध

अक्टूबर 2022 में चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की सूची 1267 में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के शीर्ष नेताओं को नामित करने के लिए भारत-अमेरिका द्वारा लाए गए दो संयुक्त प्रस्तावों पर रोक लगा दी।

  • इन नेताओं में तल्हा सईद और लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख शाहिद महमूद के नाम शामिल हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • अवांछित गतिविधियों में शामिल: प्रस्ताव के अनुसार, तल्हा सईद (Talha Saeed) और शाहिद महमूद (Shahid Mehmood) दोनों लश्कर-ए-तैयबा तथा जमात-उद्-दावा के लिए धन जुटाने और आतंकवादियों की भर्ती के लिए वांछित माने जाते हैं।
  • oलश्कर-ए-तैयबा समूह 26/11 के मुंबई हमलों और भारत में अन्य आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
  • भारत में प्रतिबंध: उपर्युक्त दोनों संगठनों को केंद्रीय गृह मंत्रालय की 'गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम' [Unlawful Activities (Prevention) Act- UAPA] की आतंकवादी सूची के तहत भारत में आतंकवादी संगठनों के रूप में नामित किया गया है।

1267 संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति

  • स्थापना: 1267 समिति 1999 में स्थापित की गई थी (2011 और 2015 में इसे अद्यतन किया गया)।
  • सदस्य: समिति में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य होते हैं और यह सर्वसम्मति से निर्णय लेती है।
  • प्रावधान: यह संयुक्त राष्ट्र के किसी भी सदस्य देश को अल कायदा और आईएसआईएस से संबद्ध किसी आतंकवादी या आतंकवादी समूह का नाम जोड़ने का प्रस्ताव करने की अनुमति देती है।
  • कार्य: वैश्विक स्तर पर आतंकी घटनाओं (विशेष रूप से अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट समूह से संबंधित) को रोकने के लिए यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे सक्रिय संस्था है।
  • प्रतिबंध के प्रभाव: इस समिति के तहत नामित किए जाने वाले आतंकवादियों तथा आतंकी संगठनों के सदस्यों पर धन, हथियार और अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर यात्रा करने पर प्रतिबंध होता है।

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड

1 अक्टूबर, 2022 को भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India) की छठी वर्षगांठ मनाई गई|

  • इस मौके पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code) के तहत समाधान प्रक्रिया से गुजरने वाले ऋणों पर बैंकों द्वारा भारी कटौती करने पर चिंता व्यक्त की।

दिवाला और दिवालियापन संहिता

  • इसे 2016 को संसद के एक अधिनियम के माध्यम से लागू किया गया था तथा इसे मई 2016 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी।
  • यह दिवालियेपन की समस्या को हल करने के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करता है।
  • इस संहिता का उद्देश्य छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा करना और व्यवसाय करने की प्रक्रिया को कम बोझिल बनाना है।
  • इस संहिता में 255 खंड और 11 अनुसूचियां हैं।
  • इसका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को प्रभावित करने वाली खराब ऋण समस्याओं से निपटना था।
  • कंपनियों को आईबीसी के तहत 180 दिनों के भीतर दिवाला प्रक्रिया पूरी करनी होती है।
  • यदि लेनदारों ने विस्तार पर आपत्ति नहीं जताई तो समय सीमा बढ़ाई जा सकती है।
  • 1 करोड़ रुपये के वार्षिक टर्नओवर वाले स्टार्टअप सहित छोटी कंपनियों के लिए, दिवालियेपन की पूरी कवायद 90 दिनों में पूरी की जानी चाहिए और समय सीमा को 45 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि

9 अक्टूबर, 2022 को वित्त मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2022-23 में भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़कर 7.45 लाख करोड़ रूपए हो गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • अंतिम आंकड़ों के आधार पर, शुद्ध व्यक्तिगत आयकर संग्रह में 17.35% की वृद्धि हुई, जो कॉर्पोरेट आयकर संग्रह की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है।
  • व्यक्तिगत आयकर प्राप्तियों के साथ संयुक्त प्रतिभूति लेनदेन कर (Securities Transaction Tax) संग्रह 16.25% की अधिक मध्यम वृद्धि से बढ़ रहा है।
  • टैक्स रिफंड पिछले वर्ष की तुलना में 81% बढ़कर 1.53 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)

  • प्रत्यक्ष कर वह कर होता है जिसका भुगतान व्यक्ति या कानूनी संस्था को सीधे सरकार को करना होता है।
  • प्रत्यक्ष करों को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा देखा किया जाता है। प्रत्यक्ष करों को किसी अन्य व्यक्ति या कानूनी संस्था को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।
  • आय कर, कैपिटल गेनस टैक्स, सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स, कॉर्पोरेट कर और गिफ्ट टैक्स आदि प्रत्यक्ष कर के प्रकार हैं।

प्रतिभूति लेनदेन कर

  • यह एक प्रकार का टर्नओवर टैक्स है, जहां निवेशक एक्सचेंज के माध्यम से किए गए लेनदेन में प्राप्त या भुगतान की गई कुल राशि पर कर का भुगतान करने के लिए बाध्य होता है।
  • ये कर वस्तुओं और मुद्रा लेनदेन और एक्सचेंज के बाहर लेनदेन पर लागू नहीं होता है।
  • यह शेयरों, डिबेंचर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, सरकारी इक्विटी प्रतिभूतियों, डेरिवेटिव आदि जैसी प्रतिभूतियों पर लागू होता है।

अंकटाड व्यापार और विकास रिपोर्ट 2022

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा जारी ‘अंकटाड व्यापार और विकास रिपोर्ट 2022’ के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि इस वर्ष 2021 में 8.2 प्रतिशत से घटकर 5.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

मुख्य बिंदु

  • अंकटाड का अनुमान है कि 2022 में विश्व आर्थिक विकास धीमा होकर 2.5% और 2023 में 2.2% तक गिर जाएगा।
  • 2023 में देश की विकास दर और गिरकर 4.7% हो जाएगी।
  • देश की विकास दर में कमी का कारण उच्च वित्तपोषण लागत और कमजोर सार्वजनिक व्यय हैं।

अंकटाड

  • अंकटाड 1964 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित एक स्थायी अंतर सरकारी निकाय है। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
  • ये संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का हिस्सा है। ये संयुक्त राष्ट्र महासभा और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को रिपोर्ट करते हैं। इसमें लगभग 190 सदस्य हैं।
  • ये व्यापार और विकास रिपोर्ट, विश्व निवेश रिपोर्ट, सबसे कम विकसित देशों की रिपोर्ट, सूचना अर्थव्यवस्था रिपोर्ट, प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट आदि रिपोर्ट जारी करता है|

G7 की 48वीं शिखर सम्मेलन

26 जून 2022 को जर्मनी के बवेरियन आल्प्स में तीन दिवसीय G7 नेताओं की 48वीं शिखर सम्मेलन बैठक आयोजित की गई थी।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • 48वां G7 शिखर सम्मेलन 2022 जर्मनी की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है।
  • जर्मनी ने 2022 के शिखर सम्मेलन में भागीदार देशों के रूप में अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका के साथ भारत को आमंत्रित किया है।
  • 2019 के बाद से, यह लगातार चौथी बार है जब भारत को G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
  • G7 देशो ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए 600 बिलियन डॉलर की बुनियादी ढांचा पहल (Infrastructure initiative) की घोषणा की है।
  • इस फंड को पांच साल में निवेश किया जाएगा। अमेरिका पांच साल में 200 अरब डॉलर जुटाएगा।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति और अन्य नेताओं ने जर्मनी में पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर (Partnership for Global Infrastructure) की शुरुआत की।

G7

  • G7 विश्व की सात उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी आर्थिक संगठन है।
  • कनाडा, जापान, इटली, फ्रांस, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम इसके सदस्य देश है|
  • इसकी पहली बैठक 1975 में फ्रांस में हुई थी। इसका मुख्यालय ताओरमिना (Taormina)इटली में स्थित है।
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