राष्ट्रीय जनजाति आयोग के लिए विशेष समिति गठित
- 19 Sep 2025
18 सितम्बर, 2025 को राष्ट्रीय जनजाति आयोग (NCST) ने पहली बार विशेष समिति एवं तीन उप-समितियों का गठन किया है, जो अगस्त 2005 में आयोग को सौंपी गई आठ अतिरिक्त जिम्मेदारियों के क्रियान्वयन की रणनीति पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
मुख्य तथ्य:
- 2005 की अधिसूचना: अगस्त 2005 में जनजाति कार्य मंत्रालय ने आयोग के दायित्वों में आठ विशेष कर्तव्य जोड़े; इनमें लघु वनोपज, जल-संसाधन व खनिज अधिकार, भूमि वंचना से बचाव, PESA (1996) क्रियान्वयन, निर्वासन व पुनर्वास, जीविकोपार्जन रणनीति, वनों के संरक्षण में आदिवासियों की भागीदारी, और झूम खेती उन्मूलन शामिल हैं।
- कमीशन की संरचना: विशेष समिति 11 सदस्यीय है; तीन उप-समितियाँ—(i) लघु वनोपज, जल/खनिज अधिकार, आजीविका (ii) भूमि वंचना व पुनर्वास (iii) PESA क्रियान्वयन, वानिकी व झूम खेती– अलग-अलग जिम्मेदारियों पर काम करेंगी।
- पूर्व स्थिति: 2005 की पहली वार्षिक रिपोर्ट में संसाधन व स्टाफ की कमी के कारण अध्ययन और अनुपालन के कार्य नहीं हो पाने की बात की गई थी; इसके बाद भी इन जिम्मेदारियों पर उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई थी।
- आमूल-चूल सुधार का प्रयास: अब पहली बार आयोग इन जिम्मेदारियों के प्रभावी क्रियान्वयन, रिपोर्टिंग व अनुसंधान हेतु संरचित कार्ययोजना बनाने जा रहा है—नये कार्यबल व विशेषज्ञीकरण की भी आवश्यकता महसूस की गई है।
- संवैधानिक संदर्भ: अनुच्छेद 338A के तहत NCST को ST से जुड़े संविधानिक अधिकारों की निगरानी, रिपोर्टिंग व सरकार को सिफारिश/सलाह देने का दायित्व है—ये अतिरिक्त कार्य आयोग की प्रासंगिकता व संवैधानिक भूमिका को और सशक्त बनाते हैं।
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