ब्लू पोर्ट विकास: भारत और FAO के बीच रणनीतिक साझेदारी

  • 19 Sep 2025

18 सितम्बर, 2025 को भारत के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के साथ 'ब्लू पोर्ट' ढांचे को मजबूत करने हेतु तकनीकी सहयोग कार्यक्रम (TCP) समझौता किया. भारत सरकार देश में 14 स्मार्ट फिशिंग हार्बर का नेटवर्क विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है।

मुख्य तथ्य:

  • FAO साझेदारी: ब्लू पोर्ट्स के विकास के लिए तकनीकी सहयोग; तीन वेबिनार और प्रत्यक्ष कार्यशालाओं की शृंखला—पहला वेबिनार “ब्लू पोर्ट की नींव” विषय पर आयोजित हुआ।
  • स्मार्ट टेक्नोलॉजी: बंदरगाह संचालन को चुस्त और पारदर्शी बनाने के लिए 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन, IoT, डेटा एनालिटिक्स, डिजिटल मंच; मीठे पानी, ऊर्जा-अक्षय समाधान, कचरा प्रबंधन, जल और समुद्री प्रदूषण नियंत्रण तथा इको-फ्रेंडली नवाचार शामिल हैं ।
  • पायलट बंदरगाह एवं निवेश: गुजरात (जखाऊ), दीव (वनकबारा) और पुडुचेरी (कराईकल) में तीन स्मार्ट व इंटीग्रेटेड फिशिंग हार्बर—कुल ₹369.8 करोड़ की लागत से विकसित किए जा रहे हैं; ये बंदरगाह पोस्ट-हार्वेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, निर्यात, स्वच्छता, सुरक्षा, इकोसिस्टम संरक्षण और रोजगार सशक्तिकरण में सहायक है ।
  • राष्ट्रीय योजनाएँ: PMMSY (प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना) और FIDF के ज़रिए बंदरगाह आधुनिकीकरण, मूल्यवर्धन, वित्त, स्वच्छता, ट्रेसबिलिटी, जलवायु अनुकूलता और क्षमता निर्माण पर बल; पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी को प्रोत्साहन दिया जा रहा है ।
  • ब्लू पोर्ट्स: ब्लू पोर्ट्स एक स्मार्ट, इंटीग्रेटेड मत्स्य बंदरगाह विकास मॉडल है, जहां तकनीकी नवाचार, संचालन कुशलता, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समावेशन व आर्थिक लाभ पर समान ध्यान दिया जाता है। IoT, सैटेलाइट कम्युनिकेशन, E-गवर्नेंस जैसी तकनीकों के समावेश से ये पारंपरिक बंदरगाहों को हरित, कुशल व वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाते हैं।