भारत का पहला स्वदेशी प्रतिजैविक ‘नैफिथ्रोमाइसिन’तैयार
- 22 Oct 2025
19 अक्टूबर, 2025 को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि भारत ने अपना पहला स्वदेशी रूप से विकसित प्रतिजैविक ‘नैफिथ्रोमाइसिन’ (Nafithromycin) तैयार किया है। यह खोज भारत की औषधि और जैव-प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर है।
मुख्य तथ्य:
- विकास प्रक्रिया: यह अणु (molecule) भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग (DBT)और वोकहार्ड (Wockhardt) कंपनी के सहयोग से पूर्णत: भारत में विकसित और क्लिनिकली सत्यापित किया गया।
- औषधीय प्रभाव: यह दवा एंटीबायोटिक रोधक श्वसन संक्रमणों (resistant respiratory infections) के विरुद्ध प्रभावी है, विशेष रूप से कैंसर और मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक है।
- अनुसंधान उपलब्धि: इस दवा का विकास उद्योग-अकादमिक साझेदारी (industry-academia partnership) के सफल मॉडल के रूप में देखा जा रहा है, जिससे भारत की दवा अनुसंधान क्षमता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिलेगा।
- समानांतर सफलता: डॉ. सिंह ने हीमोफीलिया (Hemophilia) के लिए स्वदेशी जीन थेरेपी परीक्षण की सफलता की भी घोषणा की, जिसमें 60-70% सुधार दर और शून्य रक्तस्राव दर्ज हुआ; यह अध्ययन न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन (New England Journal of Medicine)में प्रकाशित हुआ।
- भविष्य योजना: भारत ने अब तक 10,000 मानव जीनोम अनुक्रमण पूरे किए हैं और आने वाले वर्षों में इसे 10 लाख तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
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