कृषि निर्यात पर गठित उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह की रिपोर्ट

  • 04 Aug 2020

  • 31 जुलाई, 2020 को पंद्रहवें वित्त आयोग द्वारा स्थापित उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह (High-Level Expert Group- HLEG) ने आयोग को कृषि निर्यात पर रिपोर्ट सौंपी।
  • फरवरी, 2020 में संजीव पुरी (ITC अध्यक्ष) की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह की स्थापना हुई थी।
  • यह कृषि निर्यात को प्रोत्साहित करने और उच्च आयात प्रतिस्थापन सक्षम करने हेतु फसलों को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को औसत दर्ज़े का प्रदर्शन प्रोत्साहन प्रदान करने की सिफ़ारिश करता है।

उद्देश्य

  • इस रिपोर्ट का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य में भारतीय कृषि उत्पादों के लिए निर्यात और आयात प्रतिस्थापन अवसरों का आकलन करना।
  • कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उच्च मूल्य संवर्धन सक्षम करने, कचरे में कमी सुनिश्चित करने, रसद बुनियादी ढांचे को मजबूत करने को लेकर रणनीतियों और उपायों की सिफ़ारिश करना
  • कृषि मूल्य श्रृंखला के साथ निजी क्षेत्र के निवेश के लिए बाधाओं की पहचान करना और नीतिगत उपायों और सुधारों का सुझाव देना।
  • कृषि क्षेत्र में सुधारों में तेजी लाने के लिए सत्र 2021-22 से 2025-26 की अवधि में राज्य सरकारों को उपयुक्त प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन देने का सुझाव देना।

मुख्य निष्कर्ष

  • भारत के कृषि निर्यात क्षेत्र में कुछ वर्षों में 40 बिलियन अमरीकी डालर से 70 बिलियन अमरीकी डालर तक बढ़ने की क्षमताहै।
  • कृषि निर्यात में अनुमानित निवेश इनपुट, बुनियादी ढाँचे, प्रसंस्करण और मांग के दायरे में 8-10 बिलियन अमरीकी डालर तक हो सकता है।
  • अतिरिक्त निर्यात से अनुमानित 70 लाख से 1 करोड़ तक रोजगार सृजित होने की संभावना है।
  • इससे उच्च कृषि उत्पादकता और किसान आय को बढ़ावा मिलेगा।

प्रमुख सिफ़ारिशें

फसल मूल्य श्रृंखलाएं

  • विशेषज्ञ समूहने मांग चालित दृष्टिकोण (Demand driven approach) के साथ 22 फसल मूल्य श्रृंखलाओं पर अधिक ध्यान देने की सिफ़ारिश की।
  • इसने कृषि क्षेत्र में सुधारों में तेजी लाने के लिए सत्र 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए राज्य सरकारों को मूल्य संवर्धन और प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन पर ध्यान देने तथा इसके साथ मूल्य श्रृंखला क्लस्टर्स (Value Chain Clusters- VCC) को समग्र रूप से हल करने का भी सुझाव दिया है।

राज्य के नेतृत्व वाली निर्यात योजना

  • विशेषज्ञ समूहने राज्य के नेतृत्व वाली निर्यात योजना की सिफ़ारिश की - एक फसल मूल्य श्रृंखला क्लस्टर के लिए एक व्यवसाय योजनातैयार किया जाना चाहिए जो वांछित मूल्य श्रृंखला निर्यात आकांक्षा (Desired value chain export aspiration) को पूरा करने के लिए आवश्यक अवसर, पहल और निवेश को पूरा करेगी।
  • ये योजनाएँ क्रिया-उन्मुख, समयबद्ध और परिणाम-केंद्रित होंगी।
  • राज्य के नेतृत्व वाली निर्यात योजना की सफलता के लिए, निम्नलिखित कारकों पर विचार करने की आवश्यकता है:
    • योजनाओं को निजीक्षेत्र की कंपनियों और कमोडिटी बोर्ड के साथ सहयोग से तैयार किया जाना चाहिए।
    • राज्य योजना गाइड और मूल्य श्रृंखलाका गहरा विश्लेषण किया जाना चाहिए।
    • राज्य और केंद्र में संस्थागत शासन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
    • मौजूदा योजनाओं, वित्त आयोग आवंटन और निजी क्षेत्र के निवेश के अभिसरण के माध्यम से धन का उपयोग किया जाना चहिए।

केंद्र एक प्रेरकहोना चाहिए

  • समूह के सुझावों के अनुसार, केंद्र को राज्य के नेतृत्व वाली योजनाओं को सक्षम करना चाहिए तथा राज्यों और केंद्र में संस्थागत शासन को बढ़ावा देना चाहिए।
  • निधि और समर्थन कार्यान्वयन के लिए मजबूत संस्थागत तंत्र को लागू करने की आवश्यकता है।

निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका

  • मांग उन्मुखीकरण, व्यवहार्य परियोजना और तकनीकी के लिए धन प्रदान करने में तथा परियोजना के कार्यान्वयन हेतु तात्कालिकता और अनुशासन बनाने के लिए HELG ने निजी क्षेत्र की कंपनियों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जोर दिया।

वित्त आयोग

  • यह संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत स्थापित है।इसकी मुख्य जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों के वित्त की स्थिति का मूल्यांकन करना, उनके बीच करों के बंटवारे की सिफारिश करना और राज्यों के बीच इन करों के वितरण को निर्धारित करने वाले सिद्धांतों को रखना है।
  • संविधान के अनुच्छेद-281 के तहत, भारत के राष्ट्रपति को एक व्याख्यात्मक नोट के साथ संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष वित्त आयोग की रिपोर्ट देने और आयोग की सिफारिशों पर सरकार द्वारा कार्यवाही की आवश्यकता होती है।

15वां वित्त आयोग

  • इसका गठन 27 नवंबर 2017 को योजना आयोग के उन्मूलन (योजना और ग़ैर-योजना व्यय के बीच अंतर के रूप में भी) और वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) की शुरूआत के समकक्ष किया गया था। इसने मूल रूप से संघीय राजकोषीय संबंधों को फिर से परिभाषित किया है।
  • वर्तमान आयोग के संदर्भ की शर्तें में कुछ विशिष्ट विशेषताएं हैं,जिसमें भारत की रक्षा जरूरतों के लिए एक स्थायी गैर-उत्तरदायी फंड स्थापित करने की संभावना की जांच करना और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रमों के लिए निगरानी योग्य मानदंड की सिफारिश करना शामिल है।
  • इसकी सिफारिशें अप्रैल 2020 से मार्च 2025 तक, पांच सालकी अवधि को कवर करेंगी।