जनजातीय संस्कृति हेतु केंद्र


प्रश्न: 1. क्या देश में जनजातीय संस्कृति के लिए कोई केंद्र हैं और यदि हां, तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

प्रश्न: 2. मंत्रालय द्वारा जनजातीय संस्कृति और कलाकृतियों के संरक्षण और संवर्धन हेतु क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

उत्तर: जनजातीय सांस्कृतिक केंद्र

  • क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र: संस्कृति मंत्रालय जनजातीय संस्कृति सहित को बढ़ावा देने के लिए नोडल मंत्रालय है। पूरे देश में लोक कला और आदिवासी संस्कृति के विभिन्न रूपों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने 7 क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र [Zonal Cultural Centres (ZCCs)] स्थापित किए हैं।
  • मुख्यालय केंद्र: ये क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला, नागपुर, उदयपुर, प्रयागराज, कोलकाता, दीमापुर और तंजावुर में स्थित हैं।
  • गतिविधियों के आयोजन हेतु अनुदान: ये जेडसीसी अपने सदस्य राज्यों में नियमित आधार पर सांस्कृतिक गतिविधियों/कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं जिसके लिए मंत्रालय द्वारा उन्हें इस उद्देश्य के लिए वार्षिक सहायता अनुदान प्रदान किया जाता है।
  • कलाकारों का संवर्धन: इन गतिविधियों के लिए क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों (ZCCs) द्वारा जनजातीय कलाकारों को संलग्न किया जाता है तथा उन्हें मानदेय, टीए/डीए, बोर्डिंग/लॉजिंग और स्थानीय परिवहन का भुगतान किया जाता है।
  • ऑक्टेव उत्सव: इसके अलावा, पूर्वोत्तर राज्यों की लोक/जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देने और उत्तर पूर्व की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए सभी सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक उत्सव ‘ऑक्टेव’ (OCTAVE) आयोजित किया जाता है।

जनजातीय कला एवं संस्कृति के संरक्षण हेतु सरकार के कदम

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र की संस्कृति के संरक्षण हेतु निकाय: संस्कृति मंत्रालय के तहत, केंद्रीय हिमालयी संस्कृति अध्ययन संस्थान दाहुंग (अरुणाचल प्रदेश) और उत्तर पूर्वी राज्यों में स्थित निम्नलिखित तीन अनुदान प्राप्त निकाय जो पूर्वोत्तर क्षेत्र की लोक/जनजातीय कला और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने में लगे हुए हैं:-
    1. बौद्ध अध्ययन केंद्र, तवांग मठ, अरुणाचल प्रदेश
    2. नामग्याल इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी, गंगटोक
    3. जीआरएल मोनौस्टिक स्कूल, बोमडिला, अरुणाचल प्रदेश
  • जनजातीय संस्कृति, रीति-रिवाजों व परंपराओं का संरक्षण: जनजातीय कार्य मंत्रालय निम्नलिखित 2 योजनाओं को लागू कर रहा है-
    1. जनजातीय अनुसंधान संस्थान को सहायता [Support to Tribal Research Institute (TRI)] योजना
    2. जनजातीय अनुसंधान, सूचना, शिक्षा संचार एवं कार्यक्रम [Tribal Research Information, Education, Communication and Events (TRI-ECE)] योजना
  • इन योजनाओं के तहत जनजातीय संस्कृति, अभिलेखागार, कलाकृतियों, जनजातीय समुदायों के रीति-रिवाजों और परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियां की जाती हैं।

अन्य उल्लेखनीय पहलें

  1. जनजातीय लोगों की वीरता और देशभक्ति के कार्यों को सम्मानित करने और क्षेत्र की समृद्ध जनजातीय सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए मंत्रालय ने 10 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्थापित करने की मंजूरी दी है।
  2. मंत्रालय ने खोजने योग्य डिजिटल रिपॉजिटरी (निधान) विकसित किया है, जहां सभी शोध पत्र, किताबें, रिपोर्ट और दस्तावेज, लोक गीत, फोटो/वीडियों अपलोड किए गए हैं। इन रिपॉजिटरीज को https://repository.tribal.gov.in/ पर देखा जा सकता है।
  3. मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर आदि महोत्सव उत्सव आयोजित करने के लिए ट्राइफेड को निधि प्रदान करता है। राज्य स्तर के त्योहार जैसे नागालैंड का हॉर्नबिल त्योहार, तेलंगाना के मेदराम जतारा को टीआरआई योजना के माध्यम से वित्त पोषित किया जाता है।
  4. ट्राइफेड, जनजातीय उत्पादकों के आधार के विस्तार के लिए राज्यों/जिलों/गांवों में सोर्सिंग (स्रोत) स्तर पर नए कारीगरों और नए उत्पादों की पहचान करने के लिए जनजातीय कारीगर मेलों (टीएएम) का आयोजन करता है।