संसद प्रश्न और उत्तर
सुरक्षा परिषद में सुधार
प्रश्न: क्या सरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का स्थायी सदस्य बनने के लिए कोई कदम उठा रही है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है? (3 फरवरी, 2023)
उत्तर: बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों की प्रणाली में सुधार करना भारत की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। भारत सरकार विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (Expanded United Nations Security Council) में भारत कि स्थायी सदस्यता प्राप्त करने को सर्वोच्च प्राथमिकता (Highest Priority) दे रही है।
- सरकार ने इस दिशा में भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने के उद्देश्य से विभिन्न पहलें शुरु की हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- द्विपक्षीय बैठक में विचार-विमर्श: भारत इस मामले को द्विपक्षीय बैठकों के दौरान लगातार उठाया गया है और अन्य देशों के साथ उच्चतम स्तर सहित सभी स्तर पर विचार-विमर्श किया गया है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा: न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77 वें सत्र में भी भारत के माननीय विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुधारों के महत्व पर प्रकाश डाला। इस बैठक के दौरान ही, सितंबर 2022 में भारत द्वारा समान विचार वाले देशों के साथ इस विषय पर वार्ता का आयोजन किया गया था।
- भारत ने "बहुपक्षवाद को फिर से शुरु करने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार करने" (Reinvigorating Multilateralism and Achieving Comprehensive Reform of the United Nations Security Council) विषय पर आयोजित सम्मलेन में भाग भी लिया।
- एल.69 समूह के साथ वार्ता: भारत ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के समान विचारधारा वाले देशों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ‘एल.69’ (L.69 GROUP) के उच्च-स्तरीय बैठक की सह-मेजबानी की। समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं के अनुरूप सुरक्षा परिषद के तत्काल और व्यापक सुधार की आवश्यकता है।
- जी4 देशों के साथ वार्ता: इसके अतिरिक्त 22 सितंबर 2022 को भारतीय विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क में जी4 देशों (भारत, जापान, जर्मनी, ब्राज़ील) के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात की और इस विषय पर व्यापक चर्चा की। जी4 के देश UN की इस निकाय को अधिक प्रतिनिधिक, वैध और प्रभावी बनाने के समर्थक है तथा सुरक्षा परिषद सदस्यता की स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार पर एक मत हैं।
- विभिन्न देशो को भारत के विचार से सहमत करना: महासभा के संबोधन में कई देशों ( जैसे रूस, पुर्तगाल, भूटान, ऑस्ट्रेलिया आदि) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित किया तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत का विशेष रूप से उल्लेख किया।
- खुली बहस का आयोजन: दिसंबर 2022 में दूसरी बार भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता प्राप्त हुई। 14 दिसंबर 2022 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत द्वारा न्यूयॉर्क में ‘बेहतर बहुपक्षवाद के लिए नई दिशा’ (New Orientation for Reformed Multilateralism - NORMS) विषय पर एक उच्च स्तरीय खुली बहस आयोजित की गई। इस बहस का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के केंद्र में वर्तमान बहुपक्षीय रूपरेखा में सुधारों पर जोर देना था, ताकि इसे और अधिक प्रतिनिधिक और उद्देश्यपरक बनाया जा सके।
- हालाँकि ऐसे देशों का भी एक समूह है जो इसकी स्थायी श्रेणी की सदस्यता में किसी भी विस्तार का विरोध करता है और सुरक्षा परिषद में किसी भी सुधार के लिए आम सहमति बनाने का आहवान करता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों की प्रकृति और इस मामले पर विभिन्न क्षेत्रीय समूहों की विभिन्न विचार को देखते हुए; इस मामले पर सक्रिय रुप से चर्चा चल रही है।
L.69 समूह
- यह अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के विकासशील देशों का एक समूह है।
- यह एक प्रमुख ब्लॉक है तथा वर्तमान में इस समूह में सदस्य देशों की संख्या 32 हैं।
- ये देश राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी और व्यापक सुधारों के समर्थक है तथा भारत के सामान विचार रखते हैं।
- यह समूह सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थायी और अ-स्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार चाहते हैं जो इस संस्था को अधिक जवाबदेह, प्रतिनिधि, पारदर्शी और 'प्रासंगिक' बनाने के लिए अनिवार्य है।
सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रकार के सुधार के प्रावधान क्या हैं?
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जनजातीय संस्कृति हेतु केंद्र
प्रश्न: 1. क्या देश में जनजातीय संस्कृति के लिए कोई केंद्र हैं और यदि हां, तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;
प्रश्न: 2. मंत्रालय द्वारा जनजातीय संस्कृति और कलाकृतियों के संरक्षण और संवर्धन हेतु क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
उत्तर: जनजातीय सांस्कृतिक केंद्र
- क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र: संस्कृति मंत्रालय जनजातीय संस्कृति सहित को बढ़ावा देने के लिए नोडल मंत्रालय है। पूरे देश में लोक कला और आदिवासी संस्कृति के विभिन्न रूपों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने 7 क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र [Zonal Cultural Centres (ZCCs)] स्थापित किए हैं।
- मुख्यालय केंद्र: ये क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला, नागपुर, उदयपुर, प्रयागराज, कोलकाता, दीमापुर और तंजावुर में स्थित हैं।
- गतिविधियों के आयोजन हेतु अनुदान: ये जेडसीसी अपने सदस्य राज्यों में नियमित आधार पर सांस्कृतिक गतिविधियों/कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं जिसके लिए मंत्रालय द्वारा उन्हें इस उद्देश्य के लिए वार्षिक सहायता अनुदान प्रदान किया जाता है।
- कलाकारों का संवर्धन: इन गतिविधियों के लिए क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों (ZCCs) द्वारा जनजातीय कलाकारों को संलग्न किया जाता है तथा उन्हें मानदेय, टीए/डीए, बोर्डिंग/लॉजिंग और स्थानीय परिवहन का भुगतान किया जाता है।
- ऑक्टेव उत्सव: इसके अलावा, पूर्वोत्तर राज्यों की लोक/जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देने और उत्तर पूर्व की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए सभी सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक उत्सव ‘ऑक्टेव’ (OCTAVE) आयोजित किया जाता है।
जनजातीय कला एवं संस्कृति के संरक्षण हेतु सरकार के कदम
- पूर्वोत्तर क्षेत्र की संस्कृति के संरक्षण हेतु निकाय: संस्कृति मंत्रालय के तहत, केंद्रीय हिमालयी संस्कृति अध्ययन संस्थान दाहुंग (अरुणाचल प्रदेश) और उत्तर पूर्वी राज्यों में स्थित निम्नलिखित तीन अनुदान प्राप्त निकाय जो पूर्वोत्तर क्षेत्र की लोक/जनजातीय कला और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने में लगे हुए हैं:-
- बौद्ध अध्ययन केंद्र, तवांग मठ, अरुणाचल प्रदेश
- नामग्याल इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी, गंगटोक
- जीआरएल मोनौस्टिक स्कूल, बोमडिला, अरुणाचल प्रदेश
- जनजातीय संस्कृति, रीति-रिवाजों व परंपराओं का संरक्षण: जनजातीय कार्य मंत्रालय निम्नलिखित 2 योजनाओं को लागू कर रहा है-
- जनजातीय अनुसंधान संस्थान को सहायता [Support to Tribal Research Institute (TRI)] योजना
- जनजातीय अनुसंधान, सूचना, शिक्षा संचार एवं कार्यक्रम [Tribal Research Information, Education, Communication and Events (TRI-ECE)] योजना
- इन योजनाओं के तहत जनजातीय संस्कृति, अभिलेखागार, कलाकृतियों, जनजातीय समुदायों के रीति-रिवाजों और परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियां की जाती हैं।
अन्य उल्लेखनीय पहलें
- जनजातीय लोगों की वीरता और देशभक्ति के कार्यों को सम्मानित करने और क्षेत्र की समृद्ध जनजातीय सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए मंत्रालय ने 10 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्थापित करने की मंजूरी दी है।
- मंत्रालय ने खोजने योग्य डिजिटल रिपॉजिटरी (निधान) विकसित किया है, जहां सभी शोध पत्र, किताबें, रिपोर्ट और दस्तावेज, लोक गीत, फोटो/वीडियों अपलोड किए गए हैं। इन रिपॉजिटरीज को https://repository.tribal.gov.in/ पर देखा जा सकता है।
- मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर आदि महोत्सव उत्सव आयोजित करने के लिए ट्राइफेड को निधि प्रदान करता है। राज्य स्तर के त्योहार जैसे नागालैंड का हॉर्नबिल त्योहार, तेलंगाना के मेदराम जतारा को टीआरआई योजना के माध्यम से वित्त पोषित किया जाता है।
- ट्राइफेड, जनजातीय उत्पादकों के आधार के विस्तार के लिए राज्यों/जिलों/गांवों में सोर्सिंग (स्रोत) स्तर पर नए कारीगरों और नए उत्पादों की पहचान करने के लिए जनजातीय कारीगर मेलों (टीएएम) का आयोजन करता है।
ई-अपशिष्ट हेतु पुनर्चक्रण इकाइयां
प्रश्न: आरम्भ से लेकर अब तक देश में ई-अपशिष्ट के निपटान के लिए पंजीकृत अपशिष्ट प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण इकाइयों की राज्य-वार और वर्ष-वार संख्या कितनी है; और कुल कितनी मात्रा में अपशिष्ट उत्पन्न हुआ है और इन विनियमित अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाइयों के माध्यम से कितने प्रतिशत ई-अपशिष्ट का निपटान किया गया है?
उत्तर: वर्तमान में 22 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में ई-अपशिष्ट के विघटनकर्ताओं/पुर्चक्रणकर्ताओं की संख्या 472 है। इन अधिकृत विघटनकर्ताओं/पुनर्चक्रणकर्ताओं की वार्षिक प्रसंस्करण क्षमता 14,26,685.22 टन है।
- विगत तीन वर्षों के दौरान ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 के तहत अधिसूचित 21 प्रकार के इलेक्ट्रिकल और इलेकट्रॉनिक्स उपकरणों (ईईई) से देश में उत्सर्जित तथा उत्सर्जन के संबंध में संसाधित ई-अपशिष्ट की प्रतिशतता की जानकारी सहित संसाधित ई-अपशिष्ट का विवरण नीचे दिया गया हैः
वित वर्ष |
उत्सर्जन (टन में) |
संसाधित (टन में) |
संसाधित (विघटित और पुनर्चक्रित किए हुए) % |
2017-18 |
7,08445.00 |
69,413.619 |
9.798% |
2018-19 |
7,71,215.00 |
1,64,663.00 |
21.35% |
2019-20 |
10,14,961.21 |
2,22,436.34 |
22.07% |
ई-अपशिष्ट प्रबंधन के लिए मसौदा अधिसूचना
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मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना
प्रश्न: 1. समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को शिक्षित करने के लिए किए गए प्रयासों का ब्यौरा क्या है;
प्रश्न: 2. राज्यों के अधिकांश मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का ब्यौरा क्या है;
प्रश्न: 3. क्या सरकार का मदरसा पाठ्यक्रम को विनियमित करने और मदरसा के मौजूदा पाठ्यक्रम में आधुनिक पाठ्यक्रम को शामिल करने का भी प्रस्ताव है?
उत्तर: समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को शिक्षित करने हेतु किये गए प्रयास
- समग्र शिक्षा: यह प्री-स्कूल से कक्षा 12 तक के स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है, जो ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों सहित सम्पूर्ण देश में वर्ष 2018-19 से चल रहा है।
- योजना का विजन: शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विजन के अनुसार समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना।
- पीएम पोषण योजना: ‘प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण’ (पीएम पोषण) के अंतर्गत शिक्षा के प्रारंभिक स्तर पर छात्रों को सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में एक गर्म पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है।
- आकांक्षी जिलों और एनीमिया की अधिक व्यापकता वाले जिलों में बच्चों को पूरक पोषण मद उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
- राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना: इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को 8वीं कक्षा में ड्रॉप आउट को रोकने और उन्हे माध्यमिक स्तर पर अध्ययन जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए किए गए प्रयास
- मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की योजना (SPQEM): एसपीक्यूईएम (SPQEM- Scheme for Providing Quality Education in Madrasas) एक स्वैच्छिक और मांग आधारित योजना है।
- उद्देश्य: मदरसों और मकतबों जैसी पारंपरिक संस्थाओं को अपने पाठ्यक्रम में विज्ञान, गणित, सामाजिक अध्ययन, हिंदी और अंग्रेजी जैसे विषयों के माध्यम से आधुनिक शिक्षा शुरू करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- कार्यान्वयन मंत्रालय: वित्तीय वर्ष 2021-22 से पूर्व इस योजना (SPQEM) का कार्यान्वयन शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया जा रहा था। परन्तु 1 अप्रैल, 2021 से यह योजना अब अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित की जा रही है।
- मदरसा शिक्षकों का प्रशिक्षण: एसपीक्यूईएम के दिशानिर्देशों के अनुसार, मदरसा शिक्षकों को प्राथमिक और माध्यमिक दोनों स्तरों पर सेवाकालीन प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है।
- हालांकि, मदरसा शिक्षकों की भर्ती और सेवा शर्तें, मदरसा प्रबंधन समिति/राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। इसके अलावा, संबंधित राज्यों में मदरसा शिक्षा बोर्ड से संबद्ध मदरसे संबंधित राज्यों की स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम का पालन करते हैं।
- यदि राज्य स्कूली शिक्षा में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का अनुसरण करता है, तो मदरसे एनसीईआरटी पाठ्यक्रम और पाठयपुस्तकों का अनुसरण करते हैं।
- मदरसों को वित्तीय सहायता: एसपीक्यईएम के दिशा-निर्देशों के अनुसार, वित्तीय सहायता केवल उन्हीं मदरसों को प्रदान की जाती है जो किसी भी मान्यता प्राप्त स्कूल शिक्षा बोर्ड अर्थात राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) आदि से संबद्ध हैं।
- मदरसों को इस योजना के तहत किसी भी सहायता का लाभ उठाने के लिए राज्य सरकार से स्कूलों के रूप में मान्यता प्राप्त करनी चाहिए।
इंडियन स्टार कछुआ
वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 'इंडियन स्टार कछुओं’ (Indian Star Tortoise) की सबसे पसंदीदा पालतू जानवरों के रूप में मांग इसके अस्तित्व के लिए प्रमुख खतरों में से एक है।
- इंडियन स्टार कछुआ भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में सूखे क्षेत्रों और झाड़ियों वाले वनों में पाए जाने वाले कछुए की एक प्रजाति है।
- स्टार कछुआ 'टेस्टुडीनिडे' (Testudinidae) परिवार से संबंधित है। यह वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची IV में सूचीबद्ध है। अधिनियम के प्रावधानों के तहत स्टार कछुए का अवैध व्यापार दंडनीय है।
- संरक्षण स्थिति: आईयूसीएन - अतिसंवेदनशील (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध तथा CITES परिशिष्ट I में सूचीबद्ध।
पारिवारिक वानिकी की अवधारणा
'लैंड फॉर लाइफ' संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) का एक पुरस्कार कार्यक्रम है, जिसे हर दो साल में प्रदान किया जाता है।
- लैंड फॉर लाइफ पुरस्कार का उद्देश्य उन व्यक्तियों और संगठनों को वैश्विक मान्यता प्रदान करना है जिनके कार्यों और पहलों ने 'सतत भूमि प्रबंधन' के माध्यम से सतत विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- UNCCD द्वारा 17 जून, 2021 को राजस्थान के 'पारिवारिक वानिकी' (Familial Forestry) अभियान को 'लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड 2021' प्रदान किया गया।
- पारिवारिक वानिकी का अर्थ है परिवार के सदस्य के रूप में वृक्ष की देखभाल करना ताकि पेड़ परिवार की चेतना का हिस्सा बन जाए।
- इस अभियान में मरुस्थल-प्रवण उत्तर-पश्चिम राजस्थान के 15,000 से अधिक गांवों के दस लाख से अधिक परिवारों को शामिल किया गया था। इनकी सक्रिय भागीदारी से पिछले 15 वर्षों में लगभग 2.5 मिलियन पौधे लगाए गए हैं।
- राजस्थान, भारत की पारिवारिक वानिकी एक अनूठी अवधारणा है, जो एक वृक्ष को एक परिवार से जोड़ती है, जिससे वह एक हरित 'पारिवारिक सदस्य' बन जाता है।
इंडियन टेंट टर्टल
ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जिससे यह संकेत मिले हैं कि नर्मदा नदी में अवैध खनन के कारण इंडियन टेंट टर्टल (Indian Tent Turtles) विलुप्त होने के कगार पर है।
(Image Source: https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_tent_turtle)
- इंडियन टेंट टर्टल (Indian Tent Turtles) को वैज्ञानिक रूप से 'पंगशुरा टेंटोरिया' (Pangshura tentoria) के नाम से जाना जाता है।
- यह 'जियोमीडिडे' (Geoemydidae) परिवार की कछुए की एक प्रजाति है। प्रजाति भारत, नेपाल और बांग्लादेश के लिए स्थानिक है।
- इसके पसंदीदा आवास ताजे जल की नदियाँ और दलदल हैं।
- इंडियन टेंट टर्टल को वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची -1 में सूचीबद्ध किया गया है और इस प्रकार इसे उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान की जाती है।
- इसे आईयूसीएन रेड लिस्ट में 'कम से कम चिंता' (least concern) श्रेणी और CITES में परिशिष्ट- II में सूचीबद्ध किया गया है।
टाइप-1 मधुमेह पर नियंत्रण के उपाय
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा वर्ष 2006 से मधुमेह के रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए 'यंग डायबिटीज रजिस्ट्री' (YDR) नामक एक रजिस्ट्री का रखरखाव किया जाता है।
- YDR रजिस्ट्री में युवावस्था में मधुमेह की शुरुआत वाले रोगियों, जिनकी पहचान 25 वर्ष या उससे पहले हो, को दर्ज किया जाता है। रजिस्ट्री भारत भर के 10 शहरों के 205 केंद्रों पर संचालित होती है।
- YDR रजिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार दर्ज किए गए 20351 युवा मधुमेह रोगियों में से 13368 (65.6%) टाइप-1 मधुमेह वाले थे।
- 10वें इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन एटलस 2021 के अनुसार, भारत में टाइप-1 मधुमेह वाले बच्चों की संख्या 0 - 19 वर्ष के आयु वर्ग में 22,94,000 है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हिस्से के रूप में कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) के तहत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। मधुमेह NPCDCS का एक अभिन्न अंग है। कार्यक्रम के तहत बच्चों सहित सभी आयु समूहों को शामिल किया गया है।
- एनएचएम की 'नि:शुल्क दवा सेवा पहल' के तहत, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को बच्चों सहित गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए इंसुलिन सहित मुफ्त आवश्यक दवाओं के प्रावधान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- इसके अलावा, 'जन औषधि योजना' के तहत सभी को सस्ती कीमतों पर इंसुलिन सहित गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
पेयजल संबंधित भारतीय मानक
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने 16 मार्च, 2022 को लोक सभा को जानकारी दी कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने पेयजल के संबंध में दो भारतीय मानक बनाए हैं।
- ये मानक हैं - पेयजल पर IS 10500:2012 और पेयजल आपूर्ति प्रबंधन प्रणाली - पाइप से पेयजल आपूर्ति के लिए आवश्यकताओं पर IS 17482:2020;
- देश भर में घरों में पेयजल की आपूर्ति में संलग्न नागरिक सेवा एजेंसियों के लिए बीआईएस गुणवत्ता मानक अनिवार्य नहीं हैं।
- जल आपूर्ति राज्य का विषय है और यह राज्य सरकार/शहरी स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है कि वे जलापूर्ति प्रणालियों की योजना, डिजाइन, निष्पादन, संचालन और रखरखाव करें।
समुद्री उद्योग द्वारा कार्बन उत्सर्जन
समुद्री उद्योग (सैन्य अभियानों को छोड़कर) से ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन समग्र परिवहन क्षेत्र के जीएचजी उत्सर्जन में 1 प्रतिशत का योगदान करता है यानी लगभग 2,744.34 Gg CO2e।
- विभिन्न पहलों और कार्यक्रमों के माध्यम से इसे ईंधन-कुशल, परिवहन का स्वच्छ माध्यम बनाकर उत्सर्जन को कम करने के लिए उपाय किए गए हैं।
- इनमे एक पहल हरित बन्दरगाह परियोजना है, जिसमें टर्मिनल डिजाइन, विकास और संचालन में स्थायी प्रथाओं का कार्यान्वयन; पर्यावरण प्रबंधन और निगरानी योजना तैयार करना; बंदरगाह के जल में विसर्जकों और अपशिष्टों का विनियमन और स्वच्छ भारत पहल से इसे कम करना और बंदरगाह क्षेत्रों के आसपास बड़े वृक्षारोपण करना आदि शामिल है।
- दूसरी पहल बंदरगाह गतिविधियों के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग है, जिसमें सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना, रूफटॉप सोलर, विंड फार्म, फ्लोटिंग सोलर प्लांट आदि शामिल है।