टाइप-1 मधुमेह पर नियंत्रण के उपाय


भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा वर्ष 2006 से मधुमेह के रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए 'यंग डायबिटीज रजिस्ट्री' (YDR) नामक एक रजिस्ट्री का रखरखाव किया जाता है।

  • YDR रजिस्ट्री में युवावस्था में मधुमेह की शुरुआत वाले रोगियों, जिनकी पहचान 25 वर्ष या उससे पहले हो, को दर्ज किया जाता है। रजिस्ट्री भारत भर के 10 शहरों के 205 केंद्रों पर संचालित होती है।
  • YDR रजिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार दर्ज किए गए 20351 युवा मधुमेह रोगियों में से 13368 (65.6%) टाइप-1 मधुमेह वाले थे।
  • 10वें इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन एटलस 2021 के अनुसार, भारत में टाइप-1 मधुमेह वाले बच्चों की संख्या 0 - 19 वर्ष के आयु वर्ग में 22,94,000 है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हिस्से के रूप में कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) के तहत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। मधुमेह NPCDCS का एक अभिन्न अंग है। कार्यक्रम के तहत बच्चों सहित सभी आयु समूहों को शामिल किया गया है।
  • एनएचएम की 'नि:शुल्क दवा सेवा पहल' के तहत, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को बच्चों सहित गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए इंसुलिन सहित मुफ्त आवश्यक दवाओं के प्रावधान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • इसके अलावा, 'जन औषधि योजना' के तहत सभी को सस्ती कीमतों पर इंसुलिन सहित गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।