मिशन दिव्यास्त्र

  • 12 Mar 2024

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 11 मार्च, 2024 को मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) प्रौद्योगिकी से लैस स्वदेश में विकसित अग्नि-5 मिसाइल का प्रथम सफल उड़ान परीक्षण किया। इसे ‘मिशन दिव्यास्त्र’ नाम दिया गया है।

  • ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास एमआईआरवी (MIRV) क्षमता है।
  • भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, रूस और चीन के पास एमआईआरवी तकनीक है।
  • अग्नि-5 हथियार प्रणाली में स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च-सटीकता सेंसर है।
  • एवियोनिक्स विमान पर उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियां हैं। एवियोनिक प्रणालियों में संचार, नेविगेशन एवं कई प्रणालियों का प्रदर्शन और प्रबंधन शामिल है।
  • मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) उस तकनीक को कहते है, जिसमें किसी मिसाइल में एक ही बार में एक से अधिक परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता होती है।
  • सतह से सतह पर मार करने वाली, परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि-5 उच्च सटीकता के साथ 5,000 किलोमीटर तक की दूरी पर हमला कर सकती है।
  • यह मिसाइल चीन के सबसे उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक क्षमता के अंतर्गत ला सकती है।
  • अग्नि 1 से 4 तक की मिसाइलों को पहले ही तैनात किया जा चुका है।