पेंगोलिन: अस्तित्व पर गंभीर संकट
- 29 Dec 2024
 
सन्दर्भ: हाल ही में, भारत में पेंगोलिन तस्करी से सम्बंधित घटनाएं उजागर हुई हैं, जिससे इस गंभीर रूप से लुप्तप्राय स्तनधारियों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित हुआ है।
मुख्य तथ्य:
- वितरण: भारत दो पेंगोलिन प्रजातियों का निवास स्थान है: भारतीय पेंगोलिन (मैनीस क्रैसिकौडाटा) और चीनी पेंगोलिन (मैनीस पेंटडैक्टाइला)।
 - कानूनी संरक्षण: दोनों प्रजातियां वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची में सूचीबद्ध हैं, और CITES की परिशिष्ट में शामिल हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित करती हैं।
 - संरक्षण स्थिति: भारतीय पेंगोलिन को "लुप्तप्राय" के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि चीनी पेंगोलिन को IUCN रेड लिस्ट में "गंभीर रूप से लुप्तप्राय" के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
 - तस्करी का खतरा: एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार 2018 और 2022 के बीच भारत में 1,200 से अधिक पेंगोलिनों का शिकार किया गया और तस्करी की गई।
 - उच्च मांग: पैंगोलिन का शिकार उनके मांस, शल्क और खाल के लिए किया जाता है, जिनका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा, लोक उपचार और चमड़े के उत्पादों में होता है:
- मांस: एशिया में इसे एक स्वादिष्ट व्यंजन माना जाता है।
 - शल्क: पारंपरिक चीनी चिकित्सा में अस्थमा, गठिया जैसी बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ब्लैक मार्केट में शल्क की कीमत 3,000 डॉलर प्रति किलोग्राम से भी अधिक हो सकती है।
 - खाल: मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और मैक्सिको में बूट, बेल्ट और बैग जैसे चमड़े के उत्पादों में इस्तेमाल की जाती है।
 
 
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