इसरो और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मध्य सहयोग
- 08 May 2025
7 मई 2025 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने नई दिल्ली में ग्लोबल स्पेस एक्सप्लोरेशन कांफ्रेंस (GLEX)-2025 के दौरान मानव अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए संयुक्त आशय वक्तव्य (Joint Statement of Intent) पर हस्ताक्षर किए।
मुख्य तथ्य:
- समझौते का उद्देश्य: यह समझौता लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में मानव अंतरिक्ष अन्वेषण और भविष्य में चंद्रमा पर संभावित मिशनों के लिए सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसमें अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण, मिशन क्रियान्वयन, शोध प्रयोग, और संयुक्त शैक्षिक गतिविधियाँ शामिल हैं।
- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS): भारत द्वारा प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station - BAS) के निर्माण में ESA सहयोग पर गंभीरता से विचार कर रही है। BAS-1 का प्रक्षेपण 2028 में और पूर्ण स्टेशन का निर्माण 2035 तक प्रस्तावित है।
- Docking तकनीक और कार्गो सपोर्ट: ISRO और ESA अपने-अपने अंतरिक्ष यानों के लिए इंटरऑपरेबल डॉकिंग सिस्टम विकसित करने, कार्गो डिलीवरी सपोर्ट, और BAS के निर्माण के लिए तकनीकी सहयोग पर चर्चा करेंगे। ISRO ने हाल ही में SpaDeX मिशन में सफल डॉकिंग और अनडॉकिंग का प्रदर्शन किया है।
- संयुक्त अनुसंधान और मिशन: दोनों एजेंसियां भविष्य में BAS के उपयोग, ESA के Low Earth Orbit कार्गो रिटर्न सर्विस व्हीकल, और चंद्रमा के लिए पेलोड्स व रोबोटिक मिशनों के लिए सहयोग की संभावनाएं तलाशेंगी।
- शासन और प्रक्रिया: दोनों एजेंसियां कार्यप्रणाली, लागत, विशेषज्ञता के आदान-प्रदान और 23 ESA सदस्य देशों व भारत में आवश्यक सरकारी स्वीकृतियों पर काम करेंगी। दो महीने पहले ESA प्रतिनिधिमंडल ने भारत का दौरा कर प्रारंभिक चर्चा की थी।
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