ऑप्टिकल एटॉमिक क्लॉक
- 10 Jul 2025
9 जुलाई 2025 को वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय द्वारा अत्याधुनिक ऑप्टिकल एटॉमिक क्लॉक्स के माध्यम से सेकंड (समय की मूल इकाई) को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। हाल ही में तीन महाद्वीपों के 10 ऑप्टिकल क्लॉक्स के बीच अभूतपूर्व समय मापन सामंजस्य स्थापित किया गया, जिससे 2030 तक नई अंतरराष्ट्रीय समय-मानक की संभावना मजबूत हुई है।
मुख्य तथ्य:
- सेकंड की परिभाषा का विकास: सेकंड की प्रारंभिक परिभाषा पृथ्वी के घूर्णन और परिक्रमण पर आधारित थी; 1967 में इसे सीज़ियम-133 परमाणु द्वारा उत्सर्जित विकिरण की 9,192,631,770 आवृत्तियों (Hz) के आधार पर पुनर्परिभाषित किया गया।
- सीज़ियम एटॉमिक क्लॉक की कार्यप्रणाली: सीज़ियम क्लॉक माइक्रोवेव विकिरण का उपयोग कर परमाणु में ऊर्जा संक्रमण कराती है और 9,192,631,770 Hz पर आवृत्ति लॉक करती है; ये क्लॉक GPS और टेलीकम्युनिकेशन जैसी तकनीकों की आधारशिला हैं।
- ऑप्टिकल क्लॉक की आवश्यकता और क्षमता: सीज़ियम क्लॉक 30 करोड़ वर्षों में केवल 1 सेकंड की त्रुटि करती हैं , लेकिन ऑप्टिकल क्लॉक इससे 10,000 गुना अधिक आवृत्ति (400 ट्रिलियन Hz से अधिक) माप सकती हैं; ये समय को 18वें दशमलव तक मापने में सक्षम हैं और अरबों वर्षों तक सटीकता बनाए रख सकती हैं।
- वैश्विक तुलना और परीक्षण: 2022 में फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूके और जापान में स्थित 10 ऑप्टिकल क्लॉक्स का 45 दिनों तक निरंतर परीक्षण हुआ; 38 स्वतंत्र आवृत्ति अनुपात मापे गए, जिनमें 4 पहली बार मापे गए; परिणामों में 10^-16 से 10^-18 तक की सटीकता में सामंजस्य पाया गया।
- भविष्य की चुनौतियाँ और अनुप्रयोग: परीक्षण में कुछ मामूली अंतर (सिग्नल गड़बड़ी, आवृत्ति ऑफसेट) पाए गए, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेकंड की पुनर्परिभाषा से पहले सुलझाना होगा; ऑप्टिकल क्लॉक GPS, उपग्रह नेविगेशन, रेडियो एस्ट्रोनॉमी, जलवायु विज्ञान आदि में समय मापन की सटीकता और स्थिरता को नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगी।
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