भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 2025

  • 29 Sep 2025

28 सितम्बर, 2025 को संसद द्वारा पारित भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 2025 ने 117 वर्ष पुराने भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 को प्रतिस्थापित कर दिया। यह अधिनियम भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए एकीकृत और आधुनिक कानूनी ढांचा तैयार करता है।

मुख्य तथ्य:

  • नया ढांचा: अधिनियम में Maritime State Development Council (MSDC) को सांविधिक दर्जा दिया गया है और राज्यों के समुद्री बोर्डों को गैर-प्रमुख बंदरगाहों के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
  • ग्रीन और सुरक्षित ढांचा: अधिनियम में वैश्विक हरित मानकों (MARPOL एवं Ballast Water Management) तथा आपदा तैयारियों को अनिवार्य किया गया है।
  • विवाद समाधान: राज्यों को Dispute Resolution Committees (DRCs) गठित करने का प्रावधान किया गया, जिसकी अपीलें उच्च न्यायालय सुनेगा।
  • शुल्क एवं पारदर्शिता: प्रमुख बंदरगाहों पर शुल्क निर्धारण Major Port Authority Board द्वारा तथा गैर-प्रमुख बंदरगाहों पर राज्य समुद्री बोर्ड द्वारा किया जाएगा। सभी शुल्क ऑनलाइन प्रकाशित होंगे।
  • डिजिटलाइजेशन: Maritime Single Window और Advanced Vessel Traffic Systems जैसी तकनीकों से परिचालन दक्षता एवं Ease of Doing Business को बढ़ावा मिलेगा।
  • कवरेज: भारत में लगभग 7,500 किमी समुद्रतट, 12 प्रमुख बंदरगाह और 200+ गैर-प्रमुख बंदरगाह हैं; इनमें से लगभग 65 गैर-प्रमुख बंदरगाह कार्गो संभालते हैं।
  • व्यापारिक महत्त्व: देश का लगभग 95% बाह्य व्यापार (EXIM) वॉल्यूम से और 70% मूल्य से बंदरगाहों के माध्यम से होता है।