एस्ट्रोसैट: भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला ने पूरे किए 10 वर्ष
- 29 Sep 2025
28 सितंबर, 2015 को इसरो द्वारा पीएसएलवी-C30 (XL) रॉकेट से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित भारत की पहली समर्पित अंतरिक्ष खगोल विज्ञान वेधशाला एस्ट्रोसैट (AstroSat) ने अपने डिज़ाइन किए गए 5 वर्षीय जीवनकाल से आगे बढ़कर एक दशक पूरे किए।
मुख्य तथ्य:
- मिशन अवधि: मूल योजना के अनुसार 5 वर्ष थी, लेकिन 10 वर्षों बाद भी एस्ट्रोसैट वैज्ञानिक आंकड़े प्रदान कर रहा है।
- खोज क्षमता: ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे, समीपस्थ तारा प्रॉक्सिमा सेंटॉरी और 9.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर आकाशगंगाओं से फॉर-यूवी फोटॉनों की प्रथम बार पहचान जैसी खोजें कीं।
- पेलोड्स: इसमें 5 मुख्य पेलोड शामिल हैं—अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT), लार्ज एरिया एक्स-रे प्रोपोर्शनल काउंटर (LAXPC), कैडमियम-जिंक-टेलुराइड इमेजर (CZTI), सॉफ्ट एक्स-रे टेलीस्कोप (SXT), तथा स्कैनिंग स्काई मॉनिटर (SSM)।
- स्पेक्ट्रम अवलोकन: दृश्य, पराबैंगनी (UV), निम्न और उच्च ऊर्जा एक्स-रे क्षेत्रों का समकालीन अध्ययन सक्षम।
- सहयोग: इसरो के साथ इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट सहित भारत की कई यूनिवर्सिटियों और कनाडा व यूनाइटेड किंगडम की दो संस्थानों ने भागीदारी की।
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