भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरलता सुधारों की योजना
- 04 Oct 2025
3 अक्टूबर, 2025 को RBI ने पूंजी बाजार में तरलता और निवेश पहुंच बढ़ाने हेतु कई प्रमुख सुधार उपाय लागू किए।
मुख्य तथ्य:
- अधिग्रहण वित्तपोषण: पहली बार बैंकों को कंपनियों द्वारा अन्य कंपनियों के अधिग्रहण, मर्जर और विघटन के लिए ऋण देने की अनुमति मिली है।
- शेयर के विरुद्ध ऋण सीमा: व्यक्तिगत ऋण सीमा ₹20 लाख से बढ़ाकर ₹1 करोड़ कर दी गई, जो 1998 के बाद पहली बार पांच गुना वृद्धि है।
- IPO वित्तयन सीमा: खुदरा निवेशकों के लिए IPO फिनांसिंग की सीमा ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹25 लाख की गई, जिससे बाजार में ओपनिंग और लिक्विडिटी के नए अवसर खुलेंगे।
- सूचीबद्ध डेब्ट सिक्योरिटीज: बैंकों को सूचीबद्ध डेब्ट सिक्योरिटीज के विरुद्ध ऋण देने के लिए नियामकीय सीमा हटाई गई—अब बैंक इसमें अभूतपूर्व लचीलापन दिखा सकते हैं।
- बड़े निगमों के कर्ज से प्रतिबंध हटाना: पुराने फ्रेमवर्क को वापस लिया जाएगा, जो 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा एक्सपोज़र वाले बड़े ग्रुप्स को कर्ज देने पर पेनल्टी लगाता था। अब रिस्क मैक्रोप्रूडेंशियल टूल्स के माध्यम से कंट्रोल होंगे।
आवश्यकता:
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की निकासी: पिछले एक साल में $21 अरब डॉलर भारतीय इक्विटी से बाहर गए हैं, जिससे रुपये पर दबाव और बाज़ार का उत्साह कम हुआ।
- वैश्विक अनिश्चितताएँ: अमेरिकी व्यापार टैरिफ, H1-B वीजा पर रोक और वैश्विक घटनाक्रम की वजह से निवेश करने में झिझक रही थी।
- NBFC से प्रतिस्पर्धा: बैंक अब शेयर व डेब्ट सिक्योरिटीज के विरुद्ध NBFC की तरह कर्ज दे सकते हैं; इससे दोनों का 'लेवल फील्ड' बना।
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