भारतीय विरासत संरक्षण में नीति परिवर्तन: PPP मॉडल की शुरुआत
- 04 Oct 2025
2 अक्टूबर, 2025 को भारत सरकार ने आज़ाद भारत के सांस्कृतिक संरक्षण इतिहास में बड़ा बदलाव करते हुए संरक्षित स्मारकों के संरक्षण हेतु पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल लागू करने की घोषणा की।
मुख्य तथ्य:
- ASI की ऐतिहासिक भूमिका: भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की स्थापना 1861 में संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत हुई थी, जो अब तक 3,700 से अधिक संरक्षित स्मारकों के संरक्षण, रखरखाव और अनुसंधान की एकमात्र जिम्मेदार एजेंसी रही है।
- नई PPP पहल: अब निजी संस्थाओं, कॉरपोरेट्स और सार्वजनिक उपक्रमों को प्रत्यक्ष रूप से संरक्षण कार्यों में भागीदारी की अनुमति मिलेगी, जबकि ASI पर्यवेक्षक की भूमिका में रहेगा। सभी योजनाएँ नेशनल पॉलिसी फॉर कंजर्वेशन (2014) के अनुसार ही संचालित होंगी।
- संरचना और कार्यान्वयन: सभी परियोजनाओं की निधि नेशनल कल्चर फंड (NCF), 1996 के माध्यम से जारी होगी— जिसमें CSR के तहत 100% टैक्स छूट उपलब्ध है। संरक्षण वास्तुकारों का एक पैनल बनेगा, जिसमें से दाता संस्थाएँ चयन करेंगी। कार्यान्वयन एजेंसियों को 100 वर्ष से अधिक पुराने संरचनाओं पर कार्य अनुभव आवश्यक होगा।
- NCF की उपलब्धियां: 1996 से अब तक NCF के जरिये 140 करोड़ रुपये की निधि प्राप्त कर 100 से अधिक संरक्षण परियोजनाएँ संपन्न हुई हैं—भुलेश्वर मंदिर (पुणे), ब्रिटिश रेजीडेंसी (हैदराबाद), मंडु (मप्र) के स्मारक, पुराना किला तथा लाल किले का कार्य।
- पहला चरण: 250 स्मारकों की सूची प्राथमिकता के आधार पर जारी होगी, जिनमें निजी भागीदारी को बढ़ाया जाएगा।
- कॉर्पोरेट लाभ: CSR छूट, स्मारकों पर सार्वजनिक श्रेय तथा संरक्षण कार्यों में प्रत्यक्ष नियंत्रण।
- पिछली योजना से अंतर: 'Adopt a Heritage' योजना में निजी भागीदारी केवल सुविधा-निर्माण (कैफे, शौचालय, टिकट काउंटर) तक सीमित थी; नये मॉडल में कोर संरक्षण कार्य में भी निजी भूमिका को मान्यता।
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