चमगादड़ों में उड़ाने की क्षमता के सम्बन्ध में नयी शोध
- 08 Oct 2025
वैज्ञानिकों ने हाल ही प्रकाशित अध्ययन में पाया कि चमगादड़ उड़ान के लिए कोई नया जीन नहीं बनाते, बल्कि वे पुराने जीनों को शरीर के नए हिस्सों में सक्रिय करके उड़ान हेतु पंख बनाते हैं।
मुख्य तथ्य:
- समान जीन, बदलता प्रयोग: सभी स्तनधारियों में शुरुआत के विकासीय दौर में एक जैसी पाँच अंगुलियां होती हैं। चमगादड़ों में दो से पाँच अंगुलियाँ लंबी होकर एक शीट के साथ जुड़ जाती हैं, जिसे चीरोपटैगियम (chiropatagium) कहते हैं, जो पंख का मुख्य भाग है।
- जीन की भूमिका: अन्य स्तनधारियों में अंगुलियों के बीच का चमड़ा जन्म से पहले 'एपोप्टोसिस' (apoptosis ) प्रक्रिया द्वारा नष्ट हो जाता है। लेकिन चमगादड़ों में MEIS2 और TBX3 नामक जीन अंगुलियों के बीच के हिस्से में बार-बार सक्रिय हो जाते हैं, जिससे वहाँ के fibroblast (संबंधित ऊतक कोशिकाएं) पंख के त्वचा क्षेत्र में बदल जाते हैं।
- क्रांतिकारी प्रयोग: जब शोधकर्ताओं ने चूहों के अंगुलियों के बीच MEIS2 और TBX3 जीन को चमगादड़ की तरह सक्रिय किया, तो चूहे के भ्रूण में भी पंख जैसी वेबिंग और जुड़ी अंगुलियाँ विकसित होने लगीं।
- निष्कर्ष: यह क्षमता "नियामक विकास" (regulatory evolution) कहलाती है—पुराने जीनों को नए स्थान या समय में चालू करना। यानी, चमगादड़ ने उड़ान के लिए कोई पूरी तरह नया जीन नहीं बनाया, बल्कि विकासक्रम के दौरान अपने पुराने जीनों को ‘को-ऑप्ट’ (co-opt) कर नया रूप दिया।
- बीमारियों से सम्बन्ध: यह खोज मानवों में ‘सिंडैक्टली’ (Syndactyly) एक जन्मजात स्थिति है जिसमें शिशु जन्म से ही आपस में जुड़ी हुई उंगलियों या पैर की उंगलियों के साथ पैदा होते हैं, को समझने और उसके उपचार की दिशा में भी उपयोगी हो सकती है।
- अन्य पहलू: इसी तरह के जीन परिवर्तन पक्षियों के पंख, मछलियों के पंख व व्हेल के फ्लिपर्स आदि की उत्पत्ति में भी भूमिका निभा सकते हैं।
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