भौतिकी का नोबेल पुरस्कार 2025: 'क्वांटम टनलिंग' हेतु
- 08 Oct 2025
7 अक्टूबर, 2025 को रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ ने भौतिकी का नोबेल पुरस्कार ब्रिटेन के जॉन क्लार्क, फ्रांस के मिशेल डेवोरेट और अमेरिका के जॉन मार्टिनिस को उनके संयुक्त शोध 'क्वांटम टनलिंग' के लिए दिया गया ।
मुख्य तथ्य:
- सिद्धांत: क्वांटम टनलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें एक कण ऊर्जा रूकावट को बिना पारंपरिक ऊर्जा के भी पार कर लेता है अर्थात 'क्वांटम टनलिंग' वह प्रक्रिया है जिसमें क्वांटम कण ऊर्जा की बाधा या दीवार को पार करके दूसरी तरफ पहुँच जाता है, जबकि क्लासिकल फिजिक्स में ऐसा संभव नहीं होता। यह वैसा ही है जैसे क्रिकेट बॉल ज़मीन में समा जाए।
- प्रयोग: वैज्ञानिकों ने दो सुपरकंडक्टरों के बीच एक पतली परत (Josephson Junction) से विद्युत सर्किट बनाया—जिससे कणों की सामूहिकता को नियंत्रित कर, टनलिंग और ऊर्जा के 'क्वांटाइजेशन' (बहुत छोटे निश्चित पैकेट में ऊर्जा का आकर्षण/उत्सर्जन) को सिद्ध किया।
- प्रयोग का निहितार्थ : यह पहली बार सिद्ध किया गया कि अरबों इलेक्ट्रॉनों की भीड़ (macroscopic system) भी क्वांटम नियमों (टनलिंग, क्वांटाइजेशन) के अनुसार व्यवहार कर सकती है, न कि केवल अकेला कण।
- तकनीकी क्रांति: उनकी खोज ने क्वांटम कंप्यूटिंग, सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स और डिजिटल तकनीकों में 'क्वांटम इंजीनियरिंग' की नींव रखी।
- क्वांटम टनलिंग का उपयोग :यह रेडियोधर्मिता, सेमीकंडक्टर, जैविक प्रतिक्रियाओं, (और अब) क्वांटम कंप्यूटिंग का आधार है।
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