अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस

  • 08 Oct 2025

7 अक्टूबर, 2025 को संस्कृति मंत्रालय, इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफ़ेडरेशन (IBC), गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (नोएडा) और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान (लखनऊ) के संयुक्त आयोजन में शरद पूर्णिमा पर अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस मनाया गया। इस अवसर पर “बौद्ध चिंतन को समझने में ।

  • अभिधम्म की प्रासंगिकता: ग्रंथ, परंपरा और आधुनिक दृष्टिकोण” विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन भी हुआ, जिसमें भारत, म्यांमार, कंबोडिया, वियतनाम और श्रीलंका के विशेषज्ञों ने 35 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए।

मुख्य तथ्य:

  • संगोष्ठी फोकस: अभिधम्म के दार्शनिक, नैतिक और मनोवैज्ञानिक पक्षों, आज के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता, तथा आधुनिक विज्ञान (मनोविज्ञान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कॉग्निटिव स्टडीज़) के साथ तुलनात्मक विश्लेषण।
  • विशेष अतिथि: तीसरा खेंचेन रिनपोछे (ड्रिकुंग काग्यू) ने अभिधम्म को अज्ञान, आसक्ति व क्रोध के उपचार के रूप में रेखांकित किया।
  • प्रदर्शनियाँ एवं फिल्में: इस अवसर पर बौद्ध टिकटों की प्रदर्शनी (2,500+ स्टैम्प, 90 देशों से), "शरीर और मन पर बुद्ध धम्म" और "पिपराहवा अवशेष" थीम पर प्रदर्शनियाँ, बौद्ध धम्म के प्रसार पर दो फिल्में प्रदर्शित की गयी।
  • पारंपरिक/तकनीकी सत्र: बौद्ध तात्त्विक नींव, अंतरविषयी परिप्रेक्ष्य, तुलनात्मक अध्ययन एवं वर्तमान प्रासंगिकता पर चर्चा।
  • महत्व: यह दिवस उस प्रसंग की स्मृति है, जब बुद्ध ने तावतिम्स देवताओं-जिनमें उनकी माता महामाया प्रमुख थीं- को अभिधम्म उपदेश दिया था।
  • अभिधम्म : अभिधम्म बुद्ध धर्म के त्रिपिटक का तीसरा भाग है और “अभि” का अर्थ है “विशिष्ट” या “श्रेष्ठ” और “धम्म” यानी “धर्म, सच्चाई”। अभिधम्म में बौद्ध शिक्षाओं का सूक्ष्म, तार्किक, मनोवैज्ञानिक और तत्वमीमांस्यात्मक विश्लेषण है, जिसमें मन, भाव, चेतना, धर्मों का सम्पूर्ण वर्णन और वर्गीकरण होता है। इसका उद्देश्य मन की शुद्धि, निर्मलता, अविधा और दु:ख की मुक्ति हेतु अनुभवजन्य मार्गदर्शन देना है।