पश्चिम पर्यावरणीय अवधारणाएँ अप्रभावी : सुप्रीम कोर्ट
- 12 Nov 2025
11 नवंबर, 2025 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पी.एस. नरसिम्हा ने पर्यावरणीय कानूनों में इस्तेमाल हो रही पश्चिमी मूल की कुछ अवधारणाओं पर सवाल उठाए, जो मानव-केंद्रित (Anthropocentric) हैं और संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा के लिए अपर्याप्त साबित होती हैं। ये टिप्पणियाँ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन (Lesser Florican) के संरक्षण के लिए दायर याचिका की सुनवाई के दौरान की गईं।
मुख्य तथ्य:
- संकटग्रस्त स्थिति: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के केवल 70 जीव कैद में और 150 जंगल में बचे हैं; लेस फ्लोरिकन की संख्या 70 है।
- संरक्षण चुनौतियाँ: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का कैद में प्रजनन सफल हो रहा है, जबकि लेसर फ्लोरिकन में प्रजनन दर कम है।
- न्यायाधीश का विचार: न्यायाधीश नरसिम्हा ने कहा कि अंतर-पीढ़ीगत समानता’जैसी अवधारणा, जिसका धार्मिक (Biblical) आधार है, मनुष्यों को प्रकृति से ऊपर रखती है।
- पर्यावरणीय दृष्टिकोण: सुप्रीम कोर्ट ने रेड सैंडर्स संरक्षण मामले में पारिस्थितिक केंद्रित (Ecocentric) दृष्टिकोण को स्वीकारा था, जो सभी जीवों के प्रति करुणा की बात करता है।
- याचिका में दलील: वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दिवान ने बचाव किया कि विलुप्ति इन प्रजातियों के लिए विकल्प नहीं है, और संरक्षण आवश्यक है।
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