राष्ट्रीय हथकरघा दिवस

  • 11 Aug 2020

  • हथकरघा समुदाय को सम्मानित करने और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उनके योगदान को स्वीकृति प्रदान करने के लिए, 7 अगस्त, 2020 को 6वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया।

उद्देश्य

  • इसका उद्देश्य इस धरोहर की रक्षा करना और इस क्षेत्र में श्रमिकों को सशक्त बनाना है।
  • पहला राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2015 में चेन्नई में सरकार द्वारा आयोजित किया गया था।

महत्व

  • हथकरघा क्षेत्र भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रमुख प्रतीकों में से एक है।
  • राष्ट्रीय हथकरघा दिवस देश के सामाजिक आर्थिक विकास, बुनकरों की आय में वृद्धि तथा हथकरघा के योगदान को उजागर करने के लिए घोषितकिया गया है।
  • यह आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, ख़ासकर महिलाओं के लिए, क्योंकि महिलाएं हथकरघा क्षेत्र में बुनकरों या इससे संबद्ध श्रमिकों का लगभग 70% हैं।

7 अगस्त का दिन चुनने का कारण

  • केंद्र सरकार ने जुलाई 2015 में हथकरघा उद्योग के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस घोषित किया था।
  • चूंकि 7 अगस्त को ब्रिटिश सरकार द्वारा बंगाल विभाजन के विरोध में 1905 में कलकत्ता टाउन हॉल में स्वदेशी आंदोलन शुरू किया गया था, अतः राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में इस दिन को चुना गया।
  • इस आंदोलन का उद्देश्य घरेलू उत्पादों और उत्पादन प्रक्रियाओं को पुनर्जीवित करना था।

हथकरघा क्षेत्र के साथ मुद्दे

असंगठित क्षेत्र होने का कलंक

  • मुख्य रूप से बुनकर, घरेलू उद्योगअसंगठित हैं और इनके उत्पादन स्वरूप ज्यादातर बिखरे हुए और विकेंद्रीकृत हैं तथा सहकारी क्षेत्र के विपरीत, विपणन की कोई रणनीति नहीं है।

कच्चे माल की गैर-उपलब्धता

  • चौथा अखिल भारतीय हथकरघा जनगणना (2019-2020) के अनुसार लगभग 59.5 प्रतिशत बुनकर परिवारों द्वारा आवश्यक कच्चे माल उपलब्ध हो पाते है। कपास, रेशम, और ऊनी धागों से लेकर रंगों तक की लागत में वृद्धि हुई है और इसका अभाव भी है।
  • वर्ष 2015 में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में बुनकरों के लिए कपास की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी। बुनकरों को अपनी परिवहन लागतों में कपास जोड़ने के लिए भारी मसक्कत का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, छोटे बुनकर थोक में कम मात्रा में सामग्री खरीदने में असमर्थ हैं।

घटती ऋण सहायता

  • टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने रिकॉर्ड किया है कि टेक्सटाइल सेक्टर के लिए बजट आवंटन पिछले वित्त वर्ष में 6,943 रुपये से घटकर 4,831 करोड़ रुपये (2019-2020) हो गया।
  • इसका मतलब यह भी है कि आवास, सब्सिडी, स्वास्थ्य बीमासे जुडी विभिन्न योजनाएंबुनकरों को प्रभावित करेंगी।
  • इसी के चलते अक्सर छोटे बुनकर मनी लेंडर्स पर निर्भर होते हैं। बुनकरों की आत्महत्याओं ने हाल के वर्षों में काफ़ी सुर्खियां बटोरी हैं।

अन्य क्षेत्रों में प्रवासन

  • कई पारंपरिक रूप से करघा क्षेत्र से जुड़े परिवार अपना पुस्तैनी काम छोड़कर शहरों में मज़दूरी के लिए चले गए, जिसके चलते इस क्षेत्र में गिरावट आई
  • हालांकि हाल ही में हथकरघा की जनगणना (2019-2020) बताती है कि लगभग 31.44 लाख हथकरघा परिवार हैंऔर पिछली जनगणना में 27.83 लाख से वृद्धि देखी गई है। हालांकि संख्या अभी भी निराशाजनक है।

पुरानी आधारभूत सुविधाएँ

  • चूंकि हथकरघा निर्माण एक विशाल भौगोलिक क्षेत्र में फैले बुनकरों के घरों में किया जाता है, इसलिए इसमें आवश्यक अवसंरचना का अभाव होता है जो औद्योगिक संपदा में उपलब्ध है।अलग-अलग शेड, पानी और बिजली की आपूर्ति, प्रौद्योगिकी समर्थित अपशिष्ट उपचार संयंत्रों और अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था नहीं है। ख़राब बुनियादी ढांचा उत्पादकता, गुणवत्ता और लागत को प्रभावित करती है।

अविकसिततकनीकी

  • हथकरघा उद्योग पुराने करघेऔर तकनीकियों का उपयोग कर रहा है। जिसका परिणाम कम उत्पादकता और उच्च लागत है।

जागरुकता की कमी

  • बाजार के रुझान के बारे में बुनकरों की अनभिज्ञता भी उनके सामग्री की कम मांग का कारण है। सरकार द्वारा बुनकरों को बाजार की जानकारी का अभाव और बुनकरों की अशिक्षा इस समस्या के लिए जिम्मेदार कारक हैं।
  • जबकि बुनकरों के लिए वर्तमान में लगभग 13 सरकारी योजनाएं हैं, मूल रूप से तीन प्रतिशत हैं जो बुनकर स्वास्थ्य बीमा योजना के बारे में जानते हैं और केवल 10.5 प्रतिशत ऋणों के लिए ऋण माफ़ी के बारे में जानते हैं जो वे लाभ उठा सकते हैं(हथकरघा जनगणना 2019-2020)।

विद्युत से चलने वाला करघे से प्रतिस्पर्धा

  • पावर लूम से प्रतिस्पर्धा हथकरघा उत्पादों के विपणन में प्रमुख समस्या है।
  • पावर लूम (विद्युत से चलने वाला करघे) के मशरूमिंग (अल्प अवधि में तेजी से वृद्धि) के बाद के वर्षों में यह प्रतिस्पर्धा बढ़ी हैऔर पावर लूम सेक्टर ने सूत की खपत, आरक्षित वस्तुओं के उत्पादन के संबंध में हथकरघा उद्योग के नाम पर कई लाभ उठाए हैं।

हथकरघा क्षेत्र के लिए कल्याणकारी योजनाएँ

हथकरघा बुनकर व्यापक कल्याण योजना

  • प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) और महात्मा गांधी बुनकर योजना (MGBBY) के तहत हथकरघा बुनकरों / श्रमिकों को जीवन, दुर्घटना और विकलांगता बीमा कवरेज प्रदान किया जा रहा है।

राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (NHDP)
एनएचडीपी के घटक

  • हथकरघा बुनकरों और उनके बच्चों की शिक्षा: कपड़ा मंत्रालय ने बुनकरों और उनके परिवारों के लिए शैक्षिक सुविधाओं को सुरक्षित करने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • बुनकर मुद्रा योजना: बुनकर मुद्रा योजना के तहत हथकरघा बुनकरों को 6% की रियायती ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाता है।
  • ब्लॉक स्तर पर एक क्लस्टर (BLC) का निर्माण: इसे एनएचडीपी के घटकों में से एक के रूप में 2015-16 में प्रस्तुत किया गया। विभिन्न हस्तक्षेपों जैसे कौशल उन्नयन, उत्पाद विकास, आदि के लिए प्रति ब्लॉक स्तर क्लस्टर 2.00 करोड़ रूपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाति है।
  • हथकरघा संवर्धन सहायता (HSS): 2016 में बुनकरों को करघे / सामान उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई। विद्युत से चलने वाला करघे / सामान की लागत का 90% भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है जबकि शेष 10% लाभार्थी द्वारा वहन किया जाता है।
  • हथकरघा विपणन सहायता: उपभोक्ताओं को सीधे अपने उत्पाद बेचने के लिए हथकरघा एजेंसियों / बुनकरों को विपणन मंच प्रदान किया गया।
  • इंडिया हैंडलूम ब्रांड: राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में 7 अगस्त 2015 के जश्न के दौरान,इंडिया हैंडलूम ब्रांड को उच्च गुणवत्ता वाले हैंडलूम उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए लॉन्च किया गया।

व्यापक हथकरघा क्लस्टर विकास योजना

  • इसे कम से कम 15000 से 25,000 हथकरघों को कवर करने वाले मेगा हैंडलूम क्लस्टर्स के विकास के लिए लागू किया गया है।

सूत आपूर्ति योजना

  • मिल गेट मूल्य पर सभी प्रकार के सूत उपलब्ध कराने के लिए यह योजना पूरे देश में लागू की जा रही है।

आगे का रास्ता

  • इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, ग्राहकों के विश्वास और भरोसे को जीतने के लिए नए डिजाइन के साथ गुणवत्ता वाले कपड़े का उत्पादन करना आवश्यक माना जाता है।
  • समाज में सक्रिय सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार बुनकरों के वेतन में वृद्धि कर सकते है ताकि उन्हें लगातार काम करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
  • सरकार बुनकरों को बेहतर डिजाइन के कपड़े पहनने के संबंध में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर सकती है, ताकि प्रशिक्षण के माध्यम से वे अधिक मजदूरी अर्जित करने में सक्षम होंगे और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
  • बुनकरों को नरम शर्तों पर ऋण मिलना चाहिए क्योंकि उनका जुड़ाव बैंक खातों को खोलने, सब्सिडी और डिजिटल गवर्नेंस की सीधी पहुँच जैसी नई पहलों के साथ हो रहा है।
  • मशीनीकृत क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए सरकार को हथकरघा बुनकर सहकारी समितियों द्वारा उत्पादित सभी उत्पादों के लिए हथकरघा चिह्न के अनिवार्य उपयोग पर जोर देना चाहिए।
  • एनएचडीसी के कामकाज को सुधारने की आवश्यकता है,जो वर्तमान में प्रकृति में सीमित है क्योंकि सब्सिडी वाली कीमतों पर सूत की आपूर्ति का समर्थन करने वाली यह एकमात्र एजेंसी है।
  • प्राथमिक बुनकर सहकारी समितियों (पीडब्लूसीएस) द्वारा अग्रिम भुगतान और सामग्री की खरीद की प्रक्रिया को समाप्त करने की आवश्यकता है और इसके बजायसूत की खरीद के लिए बुनकरों के लिए बाजार खोला जा सकता है।
  • जागरूकता, बाजारों तक पहुँच और अनुसंधान एवं विकास, कच्चे माल की आसान पहुँच और बेहतर ऋण सहायता की आवश्यकता देश के विभिन्न कोनों में बुनकरों को अलग बना सकती है। और फिर हम वास्तव में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना सकते हैं।