कीटनाशक प्रबंधन विधेयक- 2020

  • 16 Sep 2020

  • विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कीटनाशक प्रबंधन विधेयक (PMB)-2020 मौजूदा रूप में पारित हो जाता है तो इसका भारतीय कृषि और लोगों की आजीविका पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
  • इसलिए, विशेषज्ञों ने विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श का आह्वान किया है और इसे एक चयन समिति के समक्ष रखने को कहा है।
  • वर्तमान में,कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत भारत में कीटनाशकों का पंजीकरण, विनिर्माण, निर्यात, बिक्री और उपयोग का नियंत्रण होता है।

कीटनाशक प्रबंधन विधेयक- 2020 के बारे में

  • यह विधेयक सुरक्षित कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण के लिए जोखिम को कम करने के लिए कीटनाशकों के विनिर्माण, आयात, बिक्री, भंडारण, वितरण, उपयोग और निपटान (Disposal) को विनियमित करने का प्रयास करता है।
  • यह विधेयक,कीटनाशक अधिनियम, 1968 की जगह लेगा।

प्रमुख प्रावधान

  • कीटनाशक प्रबंधन विधेयक- 2020, कीटनाशकों की ताकत और कमजोरी, जोखिम और विकल्पों के बारे में सभी जानकारियां प्रदान करेगा जिससे किसानों में कीटनाशकों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।सभी जानकारियां डिजिटल प्रारूप में और सभी भाषाओं में डेटा के रूप में खुले तौर पर उपलब्ध होगी।
  • प्रत्येक व्यक्ति जो कीटनाशक का आयात, निर्माणया निर्यात करना चाहता है, उसे नए विधेयक के तहत पंजीकरण कराना होगा और उस कीटनाशक को स्टॉक करने के लिए उपलब्ध किसी भी दावे, अपेक्षित प्रदर्शन, प्रभावकारिता, सुरक्षा, उपयोग के निर्देशों और बुनियादी ढांचे के बारे में सभी प्रकार के विवरण प्रदान करने होंगे।
  • उन्हीं जानकारियों में पर्यावरण पर कीटनाशक के संभावित प्रभावों का विवरण भी शामिल होगा।
  • इस विधेयकमें कीटनाशकों के संयमी या निम्न गुणवत्ता के उपयोग के कारण नुकसान होने की स्थिति में किसानों को क्षतिपूर्ति करने का प्रावधान भी शामिल है।
  • यह विधेयक केंद्र सरकार को मुआवजे की ख्याल रखने के लिए एक केंद्रीय कोष बनाने के लिए बाध्य करता है।
  • इस विधेयक में कीटनाशक उद्योगों और निर्माताओं द्वारा भ्रामक दावों की जाँच करने और कीटनाशकों से संबंधित विज्ञापनों को विनियमित करने की योजना है।
  • यह विधेयक जैविक कीटनाशकों को बढ़ावा देने का भी इरादा रखता है।

महत्व

  • यह कीटनाशक प्रबंधन विधेयक, कीटनाशकों के उपयोग को कम करने तथा सुरक्षित पंजीकृत कीटनाशक और जैविक कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ाने के प्रयासों को मजबूत करेगा।
  • इसके अलावा, यह हमारे देश की खाद्य और खेती प्रणाली को बेहतर करने का अवसर है, लेकिन कीटनाशक निर्माताओं के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को और अधिक कठोर बनाने की आवश्यकता है।

कीटनाशक प्रबंधन विधेयक- 2020 के साथ मुख्य मुद्दे

  • यह विधेयक भारत में कीटनाशक उपयोग हेतु पंजीकरण के बिना कीटनाशकों के निर्माण और निर्यात की अनुमति नहीं देगा, भले ही ये अन्य देशों में अनुमोदित हों।
  • वर्तमान कीटनाशक प्रबंधन विधेयक निर्मित कीटनाशकों के आयात को बढ़ाएगा और कृषि-रसायनों के निर्यात को नुकसान पहुंचाएगा। यह सीधे तौर पर भारत से घरेलू और स्वदेशी उद्योगों और कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 2018 में गठित अशोक दलवई समिति द्वारा प्रस्तुत मांगों के ख़िलाफ़ है, जो कीटनाशक प्रबंधन विधेयक- 2020 से गायब है।समिति ने आयात और आयात पर निर्भरता में कमी की सिफारिश की थी।
  • यह विधेयक पंजीकरण समिति (RC) को एक कीटनाशक के पंजीकरण की समीक्षा करने, फिर इसके उपयोग को निलंबित करने, रद्द करने और यहां तक कि प्रतिबंध लगाने की शक्तियां देता है। यह बिना किसी वैज्ञानिक मूल्यांकन के किया जाएगा। कुछ परिदृश्य भारतीय किसानों के कामकाज और उत्पादकता को बाधित कर सकते हैं।
  • इसके अलावा, यह 1968 अधिनियम के तहत पहले से पंजीकृत कीटनाशकों को पुन: पंजीकरण प्रदान करता है। यह देश भर में कीटनाशकों के उद्योग में अस्थिरता लाएगा।
  • इस विधेयक में किसी भी कीट-संक्रमण आपातकाल के दौरान कीटनाशकों के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी का प्रावधान नहीं है।

आगे का रास्ता

  • कीटनाशक प्रबंधन विधेयक के वर्तमान रूप में काफ़ी अंतर हैं जो केंद्र सरकार के लक्ष्य, “2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना”, को प्रभावित कर सकता है।
  • किसानों को सस्ते और प्रभावोत्पादक उत्पाद (affordable and efficacious products) प्रदान करने वाली घरेलू फसल संरक्षण उद्योग की क्षमताओं को हाशिए पर रखकर (जिनमें से अधिकांश में छोटे किसान हैं), कीटनाशक प्रबंधन विधेयक- 2020 किसानों की आजीविका को खतरे में डाल सकता है और खाद्य सुरक्षा के बारे में चिंता पैदा कर सकता है।
  • कीटनाशक प्रबंधन विधेयक किसानों को पेश आ रही समस्याओं के विज्ञान आधारित समाधानों को प्रोत्साहित करके और कृषि को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में सुधार का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
  • मजबूत प्रशासन सुनिश्चित करने और पंजीकरण समिति (Registration Committee) के फैसलों की देखरेख और समीक्षा करने के लिए एक सक्षम निकाय की आवश्यकता है।यह धारा 23 और 24 में संशोधन करके और कीटनाशक प्रबंधन बिल में संबंधित अनुभाग,जहाँ पंजीकरण समिति को अपने निर्णयों की समीक्षा करती है, द्वारा आसानी से हासिल किया जा सकता है।
  • यह भारतीय किसानों और कीटनाशक उद्योगों के हित में है कि उनका प्रशासन पारदर्शी, स्थिर और जवाबदेह हो।
  • किसान समुदाय केसाथ ही साथ समाज और उद्योग के सर्वोत्तम हित में,संसद के भीतरइस विधेयक की व्यापक चर्चा की आवश्यकता है।
  • आदर्श रूप से, इस विधेयक कोकिसानों, भारतीय कृषि और कीटनाशकों उद्योग की जरूरतों को संबोधित करते हुएमहत्वपूर्ण समीक्षा और आवश्यक परिवर्तन के लिए सांसदों की एक चयन समिति के समक्ष रखा जाना चाहिए।
  • यह अत्यावश्यक है यदि भारत आत्मनिर्भर (Self-Reliant) होना चाहता है तोखाद्य सुरक्षा उद्देश्यों को बढ़ावा देना होगा और अपने लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करते हुए दुनिया के लिए एक विश्वसनीय निर्माता और कीटनाशकों के आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरना पड़ेगा।

भारत में कीटनाशकों का उपयोग

  • बाजार विभाजन के साथ मुख्य रूप से कीटनाशकों की ओर झुकाव हुआ और वर्तमान में भारत दुनिया में कीटनाशकों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • घरेलू बाजार में, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा सबसे अधिक खपत वाले राज्यों में शामिल हैं।
  • महाराष्ट्र ने 2014-15 और 2018-19 के बीच अपने कीटनाशक की खपत में 35.6% की वृद्धि हुई, जबकि यूपी ने 14.17% की वृद्धि दर्ज की गयी।
  • 2014-15 और 2017-18 के बीच देश भर में कीटनाशक की खपत 13.07% बढ़ी है।
  • जैव कीटनाशकों की खपत औसतनकुल कीटनाशकों की केवल 10% के लिए होती है।
  • देश में 292 कीटनाशक पंजीकृत हैं और यह अनुमानित है कि भारत में लगभग 104 कीटनाशकों का उत्पादन / उपयोग ज़ारी है जो दुनिया में दो या अधिक देशों में प्रतिबंधित हैं।