भूजल के वाणिज्यिक उपयोग के लिए कठोर शर्तें

  • 25 Aug 2020

  • हाल ही में, नियमों के एक बड़ा सुधार करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भूजल के वाणिज्यिक उपयोग के लिए कठोर शर्तें तय की हैं।
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने यह आदेश हरियाणा-निवासी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका, पानीपत (हरियाणा) में एक औद्योगिक इकाई द्वारा भूजल के अवैध निष्कर्षण और नहर में प्रदूषित पानी के निकास के विरोध में दायर की गई थी।
  • इसके अलावा, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority’s - CGWA), 2020 के दिशानिर्देशों को भी ‘कानून के ख़िलाफ़’ बताते हुएसमाप्त किया है।
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पिछले वर्ष केंद्रीय भूजल प्राधिकरण 2018 के दिशानिर्देशों को ख़त्म किया था।

शर्तों की आवश्यकता?

  • भूजल के निष्कर्षण को उदारीकृत किया गया है जिससे संकट में और इज़ाफा हो गया है। इस ज़मीनी स्थिति से केंद्रीय भूजल प्राधिकरण बेखबर है, इसका दुस्प्रभाव पर्यावरण पर पड़ने की संभावना है।
  • पानी की गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 देशों की सूची में 120वें स्थान पर है।
  • भारत के 54% कुओं के भूजल स्तर में कमी आई है, देश के 21 प्रमुख शहरों में 2020 तक भूजल समाप्त होने की उम्मीद है।
  • वार्षिक वैश्विक जल के कुल हिस्से का 25 प्रतिशत निष्कर्षण अकेले भारत द्वारा किया जाता है, जो लगातार बढ़ता जा रहा है।
  • केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission - CWC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत (2017) में वार्षिक पुनर्भरणीय योग्य भूजल संसाधन 432BCM हैं,जिसमें से 393BCM वार्षिक "निष्कर्षण योग्य" भूजल उपलब्धता है।
  • भारत के किसी भी राज्य नेभूजल पुनर्भरण तंत्रों को संरक्षित और संवर्धित करने तथा भूजल उपयोग को विनियमित करने के लिए किसी प्रकार के भरोसेमंद प्रेरक प्रयास नहीं किया।
  • यदि भूजल स्तर के गिरावट की वर्तमान दर बनी रहती है, तो भारत में 2050 तक वर्तमान में उपलब्ध प्रति व्यक्ति पानी का केवल 22% ही शेष रहेगा,संभवतः देश को अपना पानी आयात करने के लिए मजबूर करना होगा।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा रखी गई नई शर्तें

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने मुख्य रूप से भूजल निष्कर्षण की सामान्य अनुमति, विशेष रूप सेपर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) के बगैर स्थापित वाणिज्यिक संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए भूजल निष्कर्षण के परमिट (अनुज्ञापत्र)जिस तरह से ज़ारी किए जाते हैं, उद्योगों को उस पक्रिया में पूर्ण कायापलट की उम्मीद करनी चाहिए।अब उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी शर्तों का अनुपालन ठीक तरीके से हो।
  • पानी की निर्दिष्ट मात्रा के लिए परमिट (इजाज़त) होना चाहिए, जिसकी निगरानी डिजिटल प्रवाह मीटर के साथ की जानी चाहिए तथा हर साल किसी तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट किया जाना चाहिए।
  • अभियोजन और ब्लैक-लिस्टिंग सहित ऑडिट में विफल होने वालों के ख़िलाफ़ सख्त़ कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • नए नियमों के अनुसार, अधिकारियों को तीन महीने का समय दिया जायेगा ताकि वे सभी अति-शोषित, नाजुक और अर्ध-नाजुक क्षेत्रों के लिए जल प्रबंधन योजना बना सकें।

प्रभाव और संबद्ध चिंताएं

  • भूजल के उपयोग पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश से शुरू हुई नीति, कारोबार के सभी सेक्टरों (क्षेत्रों) को प्रभावित करती है।
  • ये निर्देश व्यवसायों पर कठोर दबाव डाल सकते हैं जब वे COVID-19 महामारी के बीच अपना रास्ता खोजने की कोशिश कर रहे थे।
  • इसके अलावा, प्रतिबंध भूजल की पहुंच को बहुत मुश्किल बनाते हैं।
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) का कदम जल शक्ति मंत्रालय के विधायी कार्यों में भी हस्तक्षेप कर रहा है।

आगे का रास्ता

  • जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए भूजल से संबंधित विभिन्न मुद्दों का समाधान करने के लिए, देश में उपलब्ध भूजल संसाधनों के वैज्ञानिक और स्थायी प्रबंधन के लिए चिन्हित रणनीतियों के साथ एक व्यापक रोड मैप तैयार करने की आवश्यकता है, ताकि पानी की किल्लत को टाला जा सके।
  • रणनीतियों को देश में भूजल विकास में असंतुलन पर भी ध्यान देना चाहिए।इसके कारण और उपाय सुझाना चाहिए जिससे भूजल विकास के निम्न चरण वाले क्षेत्रों में भूजल का त्वरित विकास होसके।
  • सख्त नियमों के साथ यथास्थिति को बदलने की तत्काल आवश्यकता है। भूजल के उचित मूल्य निर्धारण के अलावा, हर क्षेत्र में भूजल के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने वाली नीतियों की आवश्यकता है।
  • समुदाय आधारित भूजल प्रबंधन को संस्थागत बनाने और मजबूत करने के लिए भी प्रयासों की आवश्यकताहै।
  • स्थानीय भूजल संसाधनों की स्थिति के बारे में जागरूकता पैदा करना चाहिए तथा शिक्षा और सामाजिक लामबंदी से समुदाय आधारित भूजल प्रबंधन के मूल तत्व तैयार होने चाहिए।
  • राज्य सरकारों को भूजल उपयोगकर्ता संघों के गठन की सुविधा के लिए नीतिगत कार्रवाई करने की आवश्यकता है,जो कुशलतापूर्वक जल संसाधनों का प्रबंधन, रखरखाव और वितरण करने की शक्ति रखते हों।
  • इसके अति-दोहन के अपूरणीय परिणामों को उजागर करने के लिए भूजल साक्षरता आंदोलन शुरू किया जाना चाहिए।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के तहत 2010 में स्थापित,यह एक विशेष पर्यावरण अदालत है जो पर्यावरण संरक्षण और वनों के संरक्षण से संबंधित मामलों से संबंधित है।
  • इसमें न्यायिक शक्तियां हैं जो इसे नागरिक पर्यावरणीय मामलों को विशेष रूप से तय करने की अनुमति देती हैं।
  • ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है और यह नागरिक प्रक्रिया की मुख्यधारा के कोड से बाध्य नहीं है।