गोल्डन राइस

  • 26 Nov 2019

  • बांग्लादेश जल्द ही गोल्डन राइस को बिक्री और उपयोग के लिए मंजूरी की घोषणा करने वाला है, जिससे यह गोल्डन राइस को अपनाने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।
  • बांग्लादेश ने 2017 की शुरुआत में बांग्लादेश राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (BRRI) में गोल्डन राइस का सीमित क्षेत्र परीक्षण पूरा किया।
  • बांग्लादेश में चावल की इस किस्म का विकास फिलीपींस स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान द्वारा किया जा रहा है।
  • शोधकर्ताओं ने बीटा-कैरोटीनजीन से युक्त, धान-29 नामक चावल की किस्म उगाया, जो बांग्लादेश में शुष्क मौसम के दौरान व्यापक रूप से उगाया जाता है और राष्ट्रीय पैदावार का लगभग 14% योगदान देता है।

गोल्डन राइस

  • गोल्डन राइस पारंपरिक चावल है जो बीटा-कैरोटीन के उच्च स्तर के लिए आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किया गया है।
  • गोल्डन राइस बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने मक्का से बीटा-कैरोटीन वालेजीन को निकाल कर चावल के पौधों में संश्लित किया। ऐसा करने सेचावल के पौधों ने नारंगी रंग का पिगमेंट पैदा करना शुरू हो गया |

विकास के घटनाक्रम

  • 1982 में रॉकफेलर फाउंडेशन के पहल परगोल्डन राइस की खोज शुरू हुई।
  • यह सफलता वर्ष 1999 में मिली थी, जब दो जीव विज्ञानी स्विट्जरलैंड में इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट साइंसेज के इंगो पोट्रीकस और जर्मनी के फ्रीबर्ग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पीटर बेयर ने सफलतापूर्वक गोल्डन राइस का विकास किया था।
  • 2004 में लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर सेंटर द्वारा इस चावल की खेती का पहला क्षेत्र परीक्षण किया गया।
  • बाद में, फिलीपींस एवं ताइवान में और बांग्लादेश में अतिरिक्त परीक्षण किए गए हैं।

किस्मों

  • गोल्डन राइस के दो संस्करण अब तक विकसित हुए हैं- गोल्डन राइस 1 और 2 दोनों जपोनिका (चिपचिपा, सूखा हुआ) राइस है।

आवश्यकता

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के अनुसार, लगभग 250 मिलियन पूर्व-स्कूली बच्चे विटामिन A की कमी (VAD) से प्रभावित होते हैं और लगभग 7 मिलियन बच्चे इस कमी के कारण मर जाते हैं। दिए गए परिदृश्य में, गोल्डन राइस को अपनाना विकासशील देशों में आबादी के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

लाभ

  • परम्परागत चावल मेंबीटा-कैरोटीन पिगमेंट स्वाभाविक रूप से कम होता है, बीटा-कैरोटीन पिगमेंट को शरीर विटामिन ए बनाने के लिए उपयोग करता है। गोल्डन चावल में यह होता है, जो इसके सुनहरे रंग का कारण है।
  • अनुसंधान ने संकेत दिया है कि एक कप गोल्डन राइस एक वयस्क की दैनिक आवश्यकता का 50 प्रतिशत तक विटामिन ‘ए’ प्रदान कर सकता है।
  • चावल में विटामिन ए की कमी (VAD) के कारण होने वाली मृत्यु और बीमारी को कम करने या समाप्त करने की क्षमता है, जो बच्चों में अंधेपन का प्रमुख कारण है और खसरा जैसी संक्रामक बीमारियों से होने वाली मृत्यु का कारण बन सकता है।
  • गोल्डन राइस अपनाने वाले देशों द्वारा विभिन्न आर्थिक लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। गोल्डन राइस कुपोषण के मुद्दे से निपटता है जिससे चिकित्सा देखभाल पर कम खर्च करना पड़ता है | बेहतर स्वस्थ्य श्रम उत्पादकता को भी बढ़ा सकता है।

मुद्दे

संग्रहण समस्या

  • गोल्डन राइस के साथ भंडारण की समस्या है क्योंकि चावल में बीटा-कैरोटीन ऑक्सीजन की उपस्थिति में अस्थिर होता है। इस प्रकार, सामान्य भंडारण स्थितियों में, गोल्डन राइस अनाज में बीटा-कैरोटीन तेजी से अवक्रमित होगा।
  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की खेती, भंडारण और घरेलू परिस्थितियों के तहत, गिरावट और भी तेज हो सकती है जोकि गोल्डन राइस के प्रस्तावित पोषण संबंधी लाभों के कम करेगा।
  • गोल्डन राइस को तीन महीने से अधिक समय तक संग्रहीत नहीं किया जाना चाहिए क्योकि इसके बाद यह अपने पोषक तत्वों को खो सकता है | इस स्थिति में इसके उपभोग का लाभ नगण्य हो जाता है।

गुणवत्ता और मात्रात्मक मुद्दा

  • 2017 में, इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर साइंस के एक अध्ययन ने गोल्डन राइस के लक्षणों में असामान्यताओं की खोज की, और इसके लक्षणों में कम उत्पादकता, गुणात्मक रूप से (कमविटामिन-ए) और मात्रात्मक (उपजवार) दोनों हैं।
  • इसके अलावा, यह देखा गया कि गोल्डन राइस पर्याप्त विटामिन ए प्रदान नहीं करता है, जैसा कि,6ug विटामिन ए प्रति ग्राम चावल दावा किया जा रहा है। विटामिन ए के दैनिक सेवन को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को 3300 ग्राम से अधिक चावल का सेवन करना पड़ता है। यह मात्रा उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए बहुत अधिक होगी जिन्हें चावल की आवश्यकता होती है।
  • इसके अलावा विटामिन ए वसा में घुलनशील है, इसलिए विटामिन ए का सेवन करने वाले व्यक्ति को अपने आहार में वसा की आवश्यकता होगी। दुर्भाग्य से, पर्याप्त प्रोटीन और वसा युक्त भोज्यपदार्थ विकासशील देशों में आसानी से उपलब्ध नहीं है|

नैतिक मुद्दा

  • गोल्डन राइस को पेश करने के नैतिक निहितार्थों भी है जिसको ले कर चिंताएं बढ़ रही हैं। विकासशील देशों में इसका प्रयोग, प्रयोगशाला में गिनी पिग पर परीक्षण के समान है |
  • अब तक इस आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल की खपत पर मानव स्वास्थ्य प्रभावों को इंगित करने के लिए कोई शोध या परीक्षण नहीं किया गया है। इसके पूर्ण निहितार्थों को जाने बिनाएक बड़े पैमाने पर फसल पैदा करना, संभवतः लाखों लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकता है जो अमानवीय कदम है।
  • इसके अलावा, इस फसल को उपजाने के लिए स्थानीय किसानों को अपनी आजीविका और खेती के मौजूदा तरीकों को बदलने के लिए मजबूर किया गया है जिसे वे अपने पूरे जीवन उपजाते रहे हैं | यह कदम फसल की सामूहिक स्वीकृति पर नैतिक सवाल भी उठाते हैं।

इंडिया

  • 2016 में, भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि IARI ने आनुवंशिक रूप से संशोधित गोल्डन राइस विकसित किया है, जो विटामिन-ए से समृद्ध है।
  • बिहार के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में, डेवलपमेंट ऑफ़ गोल्डन राइस नामक एक परियोजना चलायी जा रही है जो गोल्डन राइस को उपजाने से सम्बंधित है। राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय कृषि विकास कार्यक्रम (National Agriculture Development Programme) के तहत वित्तीय सहायता दी गई।
  • दो ICAR अनुसंधान निकायों, भारतीय कृषि अनुसंधान और राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसन्धान केंद्रको भारत में चावल को पेश करने से पहले स्थानीय चावल किस्म 'स्वर्ण' के साथ संकर किस्म विकसित करने के लिए अनुसंधान शुरू किया गया था।
  • परिणामस्वरूप पौधों बौने थे जिनकी पत्तियों का रंग पीलापन लिए हरा था और ‘स्वर्ण’ की तुलना में अनाज की संख्या और उपज दोनों में कमी आई।

बांग्लादेश में विरोध

  • बांग्लादेश के किसान और पर्यावरण समर्थक गोल्डन राइस की व्यावसायिक खेती की अनुमति देने के सरकार के फैसले से नाराज हैं।
  • कार्यकर्ताओं को डर है कि व्यावसायिक खेती से बांग्लादेश की समृद्ध जैव विविधता का नुकसान होगा। यह आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों का उत्पादन खाद्य विविधता, पारंपरिक बीज के साथ-साथ स्थानीय कृषि प्रणाली पर कॉर्पोरेट नियंत्रण को बढ़ा सकता है।
  • उनका दावा है कि गोल्डन राइस की तुलना में शकरकंद में बीटा कैरोटीन का स्तर 50 गुना अधिक होता है जिन्हें बांग्लादेश में गैर-कृषि योग्य भूमि पर भी उगाया जा सकता हैं।

 

अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI)

  • IRRI एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी, अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थान है, जिसकी स्थापना 1960में फिलीपीन सरकार के समर्थन से फोर्ड और रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा की गई थी। संस्थानका मुख्यालय लॉस बानोस, फिलीपींस में है।
  • यह विश्व का प्रमुख अनुसंधान संगठन है जो चावल विज्ञान के माध्यम से गरीबी और भूखमरी को कम करने; चावल किसानों और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए चावल उगाने वाले पर्यावरण की रक्षा करने के लिए समर्पित है।
  • 1960 और 1970 के दशक के अंत में IRRI एशिया में "हरित क्रांति" आंदोलन में अपने योगदान के लिए जाना जाता है।

आगे की राह

  • चावल रोजाना आधी दुनिया का मुख्य भोजन है। कई देशों में चावल 60% से अधिक, संभवतः 80%, कुल दैनिक आवश्यक कैलोरी की पूर्ति करता है। विटामिन ए की कमी व्यापक है, और उन देशों में विशेष रूप से गंभीर है जहां चावल प्रधान भोजन है।
  • इन कारणों से, गोल्डन राइस को स्थानीय स्तर पर उपजाने को प्रोत्साहित करनेके लिए सुविधा प्रदान करना होगा तथा इसमें राष्ट्रीय सरकार, स्थानीय सरकार, ग्राम स्तर के संगठनों तथा पारिवारिक संगठनोंको शामिल करना होगा।