सामयिक

अंतर्राष्ट्रीय:

भारत-चीन व्यापार असंतुलन

13 जनवरी, 2023 को चीन के सीमा शुल्क विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में भारत और चीन के बीच व्यापार 8.4 प्रतिशत बढ़कर 135.98 अरब डॉलर के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया। पिछले साल यह आंकड़ा 125 अरब डॉलर था।

व्यापार घाटा पहली बार 100 अरब डॉलर के पार

  • आयात-निर्यात: वर्ष 2022 में भारत में चीन से आयात वार्षिक आधार पर 21.7 प्रतिशत बढ़कर 118.9 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
    • दूसरी तरफ, भारत से 2022 में चीन को निर्यात वार्षिक आधार पर 37.9 प्रतिशत घटकर 17.48 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया।
  • व्यापार घाटा: इससे भारत के लिए व्यापार घाटा 101.02 अरब डॉलर रहा और यह 2021 के 69.38 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है।

भारत में आयात में वृद्धि के कारण

  • भारत में मांग में सुधार (Recovery in demand in India),
  • मध्यवर्ती वस्तुओं का बढ़ता आयात (Increasing imports of intermediate goods), और
  • चिकित्सा आपूर्ति जैसे सामानों की नई श्रेणियों का आयात (Imports of new categories of goods such as medical supplies)।
  • पिछले कुछ वर्षों में, चीन से भारत के सबसे बड़े आयात में सक्रिय दवा सामग्री (Active pharmaceutical ingredients-APIs), रसायन (Chemicals), विद्युत और यांत्रिक मशीनरी (Electrical and mechanical machinery), ऑटो घटक (Auto components) और चिकित्सा आपूर्ति (Medical supplies) शामिल हैं।

व्यापार घाटा क्या है?

  • जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है तो इस अंतर को व्यापार घाटे (Trade deficit) के रूप में जाना जाता है।
  • इसके विपरीत जब कोई देश आयात की तुलना में निर्यात अधिक करता है तो उसे व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) कहते हैं।

भारत-मिस्र द्विपक्षीय संबंध

74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी (Abdel fateh al-sisi) को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।


  • यह पहली बार है जब मिस्र के किसी राष्ट्रपति को यह सम्मान दिया गया है; उन्होंने 24 जनवरी से 26 जनवरी, 2023 के मध्य भारत की यात्रा की।
  • गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित परेड में मिस्र की एक सैन्य टुकड़ी ने भी भाग लिया।

दोनों देशों के संबंधों पर महत्वपूर्ण बिंदु

  • राजनीतिक संबंधों की स्थापना: 18 अगस्त, 1947 को दोनों देशों द्वारा राजनयिक संबंधों की स्थापना की संयुक्त रूप से घोषणा की गई। इसी क्रम में, वर्ष 1955 में भारत और मिस्र ने एक मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किये।
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन: वर्ष 1961 में भारत और मिस्र ने यूगोस्लाविया, इंडोनेशिया एवं घाना के साथ गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement-NAM) की स्थापना की।
  • वर्तमान परिदृश्य: वर्ष 2016 में भारत और मिस्र ने राजनीतिक-सुरक्षा सहयोग, आर्थिक जुड़ाव, वैज्ञानिक सहयोग तथा लोगों के मध्य संबंधों का विकास करने वाले सिद्धांतों पर नई साझेदारी के निर्माण के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया।
  • रणनीतिक साझेदारी: भारत और मिस्र ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को 'रणनीतिक साझेदारी' (Strategic partnership) के रूप में विकसित करने पर सहमति व्यक्त की। इस रणनीतिक साझेदारी के रूप में राजनीतिक, रक्षा एवं सुरक्षा; आर्थिक जुड़ाव; वैज्ञानिक एवं शैक्षणिक सहयोग तथा सांस्कृतिक संबंधों के रूप में 4 क्षेत्रों की पहचान की गई है।
  • सांस्कृतिक संबंध: भारत एवं मिस्र ने 'प्रसार भारती' और मिस्र के 'राष्ट्रीय मीडिया प्राधिकरण' के मध्य विषय-सामग्री विनिमय तथा क्षमता निर्माण हेतु तीन वर्ष के लिये समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding-MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
    • वर्ष 1992 में काहिरा (मिस्र) में भारत के सहयोग से मौलाना आज़ाद सेंटर फॉर इंडियन कल्चर (Maulana Azad Center for Indian Culture-MACIC) की स्थापना की गई। इस केंद्र के माध्यम से दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • निवेश परिदृश्य: मिस्र द्वारा भारत से मेट्रो परियोजनाओं, स्वेज़ नहर आर्थिक क्षेत्र (Suez Canal Economic Zone), स्वेज़ नहर में द्वितीय चैनल (Second Channel in the Suez Canal) तथा मिस्र में एक नई प्रशासनिक राजधानी (New Administrative Capital) सहित अन्य बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं में निवेश हेतु सहयोग की मांग की जा रही है।
    • अब तक, 50 से अधिक भारतीय कंपनियों ने मिस्र में 3.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है।

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक

16-20 जनवरी, 2023 के मध्य स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वार्षिक बैठक आयोजित की गई।

वार्षिक बैठक के बारे में

  • संस्करण: यह WEF की वार्षिक बैठक का 53वां संस्करण था।
  • प्रतिभागी: बैठक में 130 देशों के 2,700 नेताओं ने भाग लिया जिसमें 52 देशों की सरकार के प्रमुख भी शामिल थे।
  • थीम: 'खंडित विश्व में सहयोग' (Cooperation in a Fragmented World)।

आरंभ की गई नवीन पहलें

  • गिविंग टू एम्प्लीफाई अर्थ एक्शन (Giving to Amplify Earth Action-GAEA): WEF द्वारा 45 से अधिक भागीदार देशों के समर्थन के साथ शुरू की गई यह एक वैश्विक पहल है।
    • इसके माध्यम से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण की समस्या से निपटने हेतु प्रतिवर्ष आवश्यक 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • जलवायु पर वाणिज्य मंत्रियों का गठबंधन (Coalition of Trade Ministers on Climate): यह जलवायु, व्यापार एवं सतत् विकास पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिये 50 से अधिक देशों को एक साथ लाता है।
  • वैश्विक सहयोग गांव (Global Collaboration Village): यह प्रथम उद्देश्य-पूर्ण तथा वैश्विक मेटावर्स प्लेटफॉर्म है जिसे WEF द्वारा एक्सेंचर और माइक्रोसॉफ्ट (Accenture and Microsoft) के सहयोग से लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नवीन वर्चुअल स्पेस (New Virtual Space) तैयार करना है।

यूरोज़ोन तथा शेंगेन क्षेत्र में शामिल हुआ क्रोएशिया

1 जनवरी, 2023 से क्रोएशिया यूरोपीय मुद्रा-यूरो (इसे € संकेत द्वारा निरूपित किया जाता है) को अपनाकर यूरोजोन के देशों में शामिल हो गया; साथ ही वह यूरोप के सीमा-मुक्त ‘शेंगेन क्षेत्र’ (Europe’s border-free SCHENGEN ZONE) में भी शामिल हुआ।

  • क्रोएशिया ने वर्ष 2013 में यूरोपीय संघ (European Union) की सदस्यता ग्रहण की थी। यह शेंगेन क्षेत्र में शामिल होने वाला 27वां और यूरो मुद्रा अपनाने वाला 20वां देश बन गया है। अब तक क्रोएशिया की मुद्रा को कुना (Kuna) के नाम से जाना जाता था।
  • ध्यान रहे कि, वर्ष 2015 में लिथुआनिया के शामिल होने के पश्चात लगभग आठ वर्षों में यह यूरोज़ोन का पहला विस्तार है।

यूरो क्षेत्र क्या है?

  • परिचय: यूरो क्षेत्र अथवा 'यूरोज़ोन' यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के एक ऐसे समूह को कहा जाता है जिन्होंने अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं को एकल मुद्रा-यूरो से परिवर्तित कर दिया है।
  • योग्यता शर्तें: यूरोपीय संघ का वही सदस्य देश यूरो क्षेत्र का सदस्य बनने की योग्यता रखता है जो EU द्वारा निर्धारित आर्थिक मानदंडों एवं कानूनी शर्तों को पूरा करता है। इन मानदंडों में संतुलित मुद्रास्फीति तथा स्थिर विनिमय दर जैसी अनेक विशेषताएं शामिल हैं।
  • क्रोएशिया को लाभ: यूरो क्षेत्र का सदस्य बनने से क्रोएशिया को रूस-यूक्रेन युद्ध की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बढ़ती मुद्रास्फीति के मध्य अपनी अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी।

शेंगेन क्षेत्र क्या है?

  • परिचय: शेंगेन क्षेत्र (Schengen Area) को एक ऐसे क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां यूरोपीय देशों ने नागरिकों की मुक्त और अप्रतिबंधित आवाजाही (Free and unrestricted movement) के लिए अपनी आंतरिक सीमाओं (Internal borders) को समाप्त कर दिया है।
    • वर्तमान समय में लगभग 400 मिलियन से अधिक यूरोपीय संघ के नागरिकों के साथ-साथ दूसरे देशों के पर्यटक तथा गैर-सदस्य राष्ट्रों के ऐसे नागरिक जो यूरोपीय संघ में निवास करते हैं, को यूरोपीय संघ के देशों की यात्रा करने, व्यवसाय अथवा रोजगार करने तथा छात्रों के आदान-प्रदान की मुक्त आवाजाही की अनुमति प्राप्त है।
  • सदस्य: शेंगेन क्षेत्र के अंतर्गत कुल 27 सदस्य देश हैं; इनमें 23 यूरोपीय संघ के देश तथा 4 अन्य देश [नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, आइसलैंड और लिचेटेंस्टीन (Liechtenstein)] शामिल हैं; शेंगेन क्षेत्र के ये 4 देश यूरोपीय संघ में शामिल नहीं हैं, परन्तु इन्होंने 1985 के शेंगेन समझौते (Schengen Agreement, 1985) पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • क्रोएशिया को लाभ: शेंगेन क्षेत्र में शामिल होने के साथ अब क्रोएशियाई नागरिकों को अन्य शेंगेन सदस्य देशों में स्वतंत्र आवाजाही की अनुमति प्राप्त होगी तथा उन्हें यात्रा के समय अपना पासपोर्ट दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी।

नेपाल के नए प्रधानमंत्री तथा भारत-नेपाल संबंध

25 दिसंबर, 2022 को पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।

  • ध्यान रहे कि वर्ष 2015-2016 तथा वर्ष 2018-2021 तक ओली के कार्यकाल के दौरान भारत-नेपाल संबंधों में कड़वाहट देखने को मिली थी। वर्ष 2021 में देउबा के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात् भारत-नेपाल संबंधों में सुधार हुआ।

भारत-नेपाल : सहयोग के क्षेत्र

  • व्यापार एवं अर्थव्यवस्था: भारत, नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार लगभग 07 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया।
  • नेपाल में कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) स्टॉक में भारत की भागीदारी 33% से अधिक हिस्सा है।
  • पारगमन सुविधाएं: भू-आबद्ध देश होने के कारण भारत नेपाल को शेष विश्व के साथ व्यापार करने के लिए पारगमन सुविधाएं प्रदान करता है।
  • रक्षा सहयोग: भारत रक्षा उपकरणों की आपूर्ति तथा प्रशिक्षण प्रदान करके नेपाली सेना के आधुनिकीकरण में सहायता करता है।
    • दोनों देशों के मध्य वर्ष 2011 से प्रत्येक वर्ष 'सूर्य किरण' नामक संयुक्त युद्धाभ्यास किया जाता है।
  • बहुपक्षीय साझेदारी: दोनों देश बीबीआईएन (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल-BBIN), बिम्सटेक (बहु क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल-BIMSTEC), गुटनिरपेक्ष आंदोलन तथा सार्क (क्षेत्रीय सहयोग के लिये दक्षिण एशियाई संघ-SAARC) जैसे कई बहुपक्षीय मंचों को साझा करते हैं।

चुनौतियां

  • सीमा संबंधी विवाद: वर्ष 2020 में नेपाल ने नवीन मानचित्र जारी करते हुए कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख ऐसे क्षेत्रों को अपनी सीमा में प्रदर्शन किया था।
    • इसी प्रकार, कालापानी सीमा मुद्दा भी दोनों देशों के मध्य तनाव का विषय रहा है।
  • चीन का हस्तक्षेप: चीन नेपाल में व्यापक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का विकास कर रहा है। वह नेपाल को अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना का महत्वपूर्ण सहयोगी मानता है।
  • आंतरिक सुरक्षा: भारत के अन्य पड़ोसी देशों के विपरीत नेपाल के साथ खुली सीमा रेखा (Open Boundary) है, जहां से आतंकवादियों, अवैध तस्करों तथा विद्रोही समूहों के प्रवेश का खतरा सदैव बना रहता है।

17वीं एशिया और प्रशांत क्षेत्रीय बैठक

06-09 दिसंबर, 2022 के मध्य अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की 17वीं एशिया एवं प्रशांत क्षेत्रीय बैठक (APRM) आयोजित की गई। यह बैठक 9 दिसंबर को सिंगापुर घोषणा के साथ संपन्न हुई।

  • बैठक में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक समूहों द्वारा चार नई श्रम संहिताओं (Four new labor codes) सहित भारत की श्रम नीतियों की आलोचना की गई।

एशिया एवं प्रशांत क्षेत्रीय बैठक (APRM)

  • विस्तार: इस बैठक के माध्यम से एशिया, प्रशांत और अरब देशों की सरकारों, नियोक्ताओं तथा श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाने का प्रयास किया जाता है।
  • इसके चार प्रमुख विषयगत क्षेत्र
    • मानव-केंद्रित समावेशी, टिकाऊ और लचीली (Human-centered Inclusive, Sustainable and Resilient) संवृद्धि हेतु एकीकृत नीति एजेंडा।
    • एक ऐसे संस्थागत ढांचे की स्थापना करना जो औपचारिक तथा सभ्य कार्य दशाओं में संक्रमण (Transition to formal and civilized work conditions) हेतु प्रोत्साहित करे।
    • सामाजिक सुरक्षा, रोजगार संरक्षण तथा कार्य दशाओं में लचीलेपन (Social security, employment protection and flexibility in working conditions) हेतु मजबूत नींव का निर्माण करना।
    • गुणवत्तापरक तथा अधिक संख्या में नौकरियां सृजित करने के लिए उत्पादकता वृद्धि एवं कौशल को संरेखित (Aligning Productivity Growth & Skills) करना।

भारत की आलोचना के बिंदु

  • नवीन श्रम संहिता: भारत की नवीन श्रम संहिता के अंतर्गत निरीक्षण की शक्तियां नियोक्ताओं को प्रदान की गई है। इस प्रकार यह संहिता नियोक्ताओं को खुली छूट प्रदान करती है तथा श्रमिकों, नियोक्ताओं और सरकार के मध्य त्रिपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करती हैं।
  • ध्यान रहे कि, वर्ष 2020 से ही केंद्र सरकार श्रम कानूनों को सुव्यवस्थित करने की दिशा में कार्यरत है। सरकार ने ने श्रम कानूनों के 29 सेटों (29 Sets) को बदलने के लिए चार व्यापक श्रम संहिताओं को अधिसूचित किया है:
    • वेतन संहिता, 2019;
    • औद्योगिक संबंध संहिता, 2020;
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020; और
    • व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता, 2020।
  • अन्य चुनौतियां
    • व्यापक बेरोजगारी: भारत विश्व में सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है। साथ ही, देश भर में स्टार्ट-अप एवं छोटे व्यवसायों के अंतर्गत तकनीकी और उद्यमशीलता का उछाल देखने को मिल रहा है। अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में मशीनीकरण तथा तकनीकी के बढ़ते प्रभाव से उच्च स्तर की बेरोजगारी होने की संभावना है।
    • असंगठित कार्यबल: भारत में लगभग 90% कार्यबल असंगठित क्षेत्र से संबंधित है जो कम वेतन वाली नौकरियों तथा खराब कार्यशील परिस्थितियों का लगातार सामना कर रहा है।
    • उत्पादकता में कमी: अर्थव्यवस्था में उत्पादकता में होने वाली गिरावट का सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव श्रमिकों, उद्यमों (विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों) की स्थिरता तथा समुदायों पर पड़ता है।

सिंगापुर घोषणा के प्रमुख बिंदु

  • आने वाले वर्षों में, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के समर्थन द्वारा राष्ट्रीय कार्रवाई के लिये संबद्ध क्षेत्रों की पहचान करना तथा ऐसे क्षेत्रों एवं ILO के घटकों के मध्य एक साझा दृष्टिकोण निर्मित करना।
  • घोषणा में, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा आयोजित किए जाने वाले सम्मेलनों द्वारा प्रभावी सामाजिक संवाद स्थापित करने के लिए सरकार, नियोक्ता एवं श्रमिक प्रतिनिधियों की क्षमताओं को मज़बूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
  • इस घोषणा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सदस्य देशों से अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों की पुष्टि करने तथा उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने का आग्रह किया गया है।
  • इसके अंतर्गत, यह कहा गया है कि सभी देश अनौपचारिक क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए तेजी से प्रयास करें तथा प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत कानूनी ढांचा स्थापित करें।
  • इस घोषणा में, वैश्विक सामाजिक न्याय गठबंधन को विकसित करने की दिशा में सरकारों तथा सामाजिक भागीदारों को एक साथ आने का आह्वान किया गया है।
  • यह घोषणा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करते हुए स्थायी अर्थव्यवस्थाओं तथा सभ्य समाजों के निर्माण हेतु न्यायोचित संक्रमण (Justified Transition) को भी बढ़ावा देने की वकालत करती है।

भारत-बांग्लादेश संयुक्त कार्य समूह की बैठक

5-6 दिसंबर, 2022 के मध्य भारत तथा बांग्लादेश के बीच सुरक्षा और सीमा प्रबंधन पर संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group-JWG) की 18वीं बैठक आयोजित की गई।

  • भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल तथा गृह मंत्रालय के अपर सचिव द्वारा किया गया। वहीं बांग्लादेश सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बांग्लादेश सरकार के अतिरिक्त सचिव ए. के. मुखलेसुर रहमान ने किया।
  • इस बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा प्रबंधन और सामान्य सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर बातचीत की।

चर्चा के महत्वपूर्ण मुद्दे

  • दोनों देश सुरक्षा और सीमा संबंधी मुद्दों पर आपसी सहयोग को गहरा एवं मजबूत करने पर सहमत हुए।
  • बैठक में भारत-बांग्लादेश सीमा की प्रभावी रखवाली के लिए समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (Coordinated Border Management Plan-CBMP) को उसकी भावना में लागू करने पर प्रमुख मुद्दे के रूप में चर्चा की गई।
  • इस दौरान, अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 150 गज के भीतर सीमा पर बाड़ लगाने, अवैध क्रॉसिंग, उग्रवाद की जाँच में सहयोग तथा विकास कार्यों जैसे द्विपक्षीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।
  • आतंकवाद, संगठित अपराध तथा तस्करी की समस्या का सामना करने के उपायों पर भी विचार साझा किए गए।

संबंधों में सुधार हेतु प्रयास

  • पिछले चार दशकों से अधिक समय में दोनों देशों ने अपने राजनीतिक, आर्थिक, व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना जारी रखा है और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक संस्थागत ढांचे का निर्माण किया है।
  • दोनों देश 54 नदियों को साझा करते हैं, जिनमें से गंगा जल के बंटवारे के लिए एक संधि पहले से ही मौजूद है और दोनों पक्ष अन्य नदियों के पानी के बंटवारे के लिए समझौतों को जल्द अंतिम रूप देने की दिशा में कार्यरत हैं।
  • दोनों देश सुंदरबन पारिस्थितिकी तंत्र (Sundarbans Ecosystem) के संरक्षण में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। यह एक सामान्य जैव विविधता विरासत स्थल है।

भारत बांग्लादेश संबंध

  • राजनीतिक: दिसंबर 1971 में भारत-बांग्लादेश की स्वतंत्रता के तुरंत पश्चात बांग्लादेश को मान्यता देने तथा राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले प्रथम देशों में शामिल था।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: दोनों देश निम्नलिखित मंचों पर सहयोग करते हैं: सार्क, बिम्सटेक, हिंद महासागर तटीय क्षेत्रीय सहयोग संघ और राष्ट्रमंडल।
  • व्यापार और निवेश: बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
  • रक्षा सहयोग: दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों, नौसेनाओं तथा वायुसेनाओं के मध्य नियमित रूप से उच्च स्तरीय वार्ताएं आयोजित की जाती हैं।
    • दोनों देश साझा रूप में संप्रीति (सेना) तथा मिलान (नौसेना) युद्धाभ्यास करते हैं।

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर सिपरी की रिपोर्ट

अक्टूबर 2022 में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार आत्मनिर्भर हथियार उत्पादन क्षमताओं में भारत 12 इंडो-पैसिफिक देशों में चौथे स्थान पर है।

  • रिपोर्ट का शीर्षक: 'इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हथियार-उत्पादन क्षमताएं : आत्मनिर्भरता को मापना' (Arms-production Capabilities in the Indo-Pacific Region : Measuring Self-reliance)
  • सम्मिलित देश: इस अध्ययन में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के ऐसे 12 देशों को शामिल किया गया है जो सैन्य गतिविधियों पर सर्वाधिक खर्च करते हैं। इन देशों में- ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, पाकिस्तान, सिंगापुर, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम के नाम शामिल हैं।

रिपोर्ट के निष्कर्ष

  • प्रथम तीन देश: इस सूची में चीन शीर्ष पर है, जापान दूसरे स्थान पर है तथा दक्षिण कोरिया को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं पाकिस्तान 8वें स्थान पर है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 से 2020 के मध्य चीन दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हथियार आयातक देश था।
  • भारत: सूची में भारत को हथियार उत्पादन क्षमता में चौथा स्थान मिला है।
    • वर्ष 2016 से 2020 के मध्य भारत को हथियारों के दूसरे सबसे बड़े आयातक के रूप में पहचान मिली है।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत पूरी तरह से विदेशी हथियारों के आयात पर निर्भर है तथा 2016-20 में भारत की कुल खरीद में से 84 प्रतिशत भाग विदेशी मूल का था। इस प्रकार, घरेलू हथियार कंपनियां इसकी कुल खरीद का केवल 16% ही मुहैया कराती हैं।
  • पाकिस्तान: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हथियार उत्पादन आत्मनिर्भरता में पाकिस्तान 8वें स्थान पर है।

भारत की प्रमुख हथियार निर्माता एवं आपूर्तिकर्ता कंपनियां

  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Ltd),
  • इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज (Indian Ordnance Factories),
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (Bharat Electronics),
  • मझगांव डॉक्स (Mazagaon Docks) और
  • कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard)।
  • भारतीय सेना को ट्रकों की आपूर्ति करने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक अशोक लीलैंड, इंडो-पैसिफिक में शीर्ष 50 में स्थान पाने वाली एकमात्र कंपनी है।

रिपोर्ट का महत्व

  • भारत को क्षमता आकलन में सहायता: यह रिपोर्ट मुख्य रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समुद्र तटीय देशों के अध्ययन पर आधारित है। वर्तमान में यह क्षेत्र अपने आर्थिक एवं भू-सामरिक महत्व के लिए अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बिंदु बना हुआ है। भारत अपनी क्षमताओं का आकलन करके हथियार निर्माण क्षमता में वृद्धि कर सकता है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का महत्व: रिपोर्ट में यह पाया गया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में अपनी हथियार निर्माण क्षमता में वृद्धि की जा रही है। इस क्षेत्र में स्थित 18 हथियार निर्माण कंपनियों को वर्ष 2020 में दुनिया की सबसे बड़ी हथियार कंपनियों में स्थान प्रदान किया गया था।
  • वैश्विक निर्यातकर्ता: रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख निर्यातक देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं रूस जैसे देशों के नाम शामिल हैं। इसका अर्थ यह है कि आने वाले कुछ समय तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अधिकांश देशों को अपने रक्षा उपकरणों की आपूर्ति हेतु इन देशों को निर्भर रहना होगा।

सुरक्षा परिषद की सूची 1267 पर चीन का विरोध

अक्टूबर 2022 में चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की सूची 1267 में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के शीर्ष नेताओं को नामित करने के लिए भारत-अमेरिका द्वारा लाए गए दो संयुक्त प्रस्तावों पर रोक लगा दी।

  • इन नेताओं में तल्हा सईद और लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख शाहिद महमूद के नाम शामिल हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • अवांछित गतिविधियों में शामिल: प्रस्ताव के अनुसार, तल्हा सईद (Talha Saeed) और शाहिद महमूद (Shahid Mehmood) दोनों लश्कर-ए-तैयबा तथा जमात-उद्-दावा के लिए धन जुटाने और आतंकवादियों की भर्ती के लिए वांछित माने जाते हैं।
  • oलश्कर-ए-तैयबा समूह 26/11 के मुंबई हमलों और भारत में अन्य आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
  • भारत में प्रतिबंध: उपर्युक्त दोनों संगठनों को केंद्रीय गृह मंत्रालय की 'गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम' [Unlawful Activities (Prevention) Act- UAPA] की आतंकवादी सूची के तहत भारत में आतंकवादी संगठनों के रूप में नामित किया गया है।

1267 संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति

  • स्थापना: 1267 समिति 1999 में स्थापित की गई थी (2011 और 2015 में इसे अद्यतन किया गया)।
  • सदस्य: समिति में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य होते हैं और यह सर्वसम्मति से निर्णय लेती है।
  • प्रावधान: यह संयुक्त राष्ट्र के किसी भी सदस्य देश को अल कायदा और आईएसआईएस से संबद्ध किसी आतंकवादी या आतंकवादी समूह का नाम जोड़ने का प्रस्ताव करने की अनुमति देती है।
  • कार्य: वैश्विक स्तर पर आतंकी घटनाओं (विशेष रूप से अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट समूह से संबंधित) को रोकने के लिए यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे सक्रिय संस्था है।
  • प्रतिबंध के प्रभाव: इस समिति के तहत नामित किए जाने वाले आतंकवादियों तथा आतंकी संगठनों के सदस्यों पर धन, हथियार और अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर यात्रा करने पर प्रतिबंध होता है।

अंकटाड व्यापार और विकास रिपोर्ट 2022

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा जारी ‘अंकटाड व्यापार और विकास रिपोर्ट 2022’ के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि इस वर्ष 2021 में 8.2 प्रतिशत से घटकर 5.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

मुख्य बिंदु

  • अंकटाड का अनुमान है कि 2022 में विश्व आर्थिक विकास धीमा होकर 2.5% और 2023 में 2.2% तक गिर जाएगा।
  • 2023 में देश की विकास दर और गिरकर 4.7% हो जाएगी।
  • देश की विकास दर में कमी का कारण उच्च वित्तपोषण लागत और कमजोर सार्वजनिक व्यय हैं।

अंकटाड

  • अंकटाड 1964 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित एक स्थायी अंतर सरकारी निकाय है। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
  • ये संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का हिस्सा है। ये संयुक्त राष्ट्र महासभा और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को रिपोर्ट करते हैं। इसमें लगभग 190 सदस्य हैं।
  • ये व्यापार और विकास रिपोर्ट, विश्व निवेश रिपोर्ट, सबसे कम विकसित देशों की रिपोर्ट, सूचना अर्थव्यवस्था रिपोर्ट, प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट आदि रिपोर्ट जारी करता है|
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