आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक - 2019

  • 18 Dec 2019

  • हाल ही में, आंध्र प्रदेश विधानसभा ने आंध्र प्रदेश आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2019 पारित किया।
  • तेलांगना में एक पशु चिकित्सक का बलात्कार कर हत्या कर दी गई थी, जिसके श्रद्धांजलि के तौर पर प्रस्तावित नए आपराधिक कानून (एपी संशोधन) अधिनियम, 2019 को दिशा अधिनियम नाम दिया गया है।

दिशा विधेयक की मुख्य विशेषताएं

महिला और बाल अपराधियों की रजिस्ट्री

  • विधेयक में “महिला और बाल अपराधियों की रजिस्ट्री” इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्थापित करने, संचालित करने और बनाए रखने की परिकल्पना की गई है | यह रजिस्ट्री सार्वजनिक होगी और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उपलब्ध होगी।

बलात्कार अपराध के लिए मौत की सजा

  • इसमें बलात्कार के पर्याप्त निर्णायक सबूत होने पर मौत की सजा निर्धारित की गयी है । भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 में संशोधन करके यह प्रावधान किया गया है।

निर्णय अवधि को कम करना

  • विधेयक के अनुसार, बलात्कार अपराधों के मामलों में अपराध की तारीख से 21 कार्य दिवसों में फैसला सुनाया जाएगा।
  • जाँच सात कार्य दिवसों में और सुनवाई 14 कार्य दिवसों में पूरा किया जाएगा।

बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए सजा

  • यह बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान करता है।
  • भारतीय दंड संहिता, 1860 में नई धारा 354F और धारा 354G ‘बच्चों पर यौन उत्पीड़न’ जोड़ा जा रहा है।

सोशल मीडिया के माध्यम से उत्पीड़न के लिए सजा

  • भारतीय दंड संहिता, 1860 में एक नई धारा 354E ‘महिलाओं का उत्पीड़न’ जोड़ा जा रहा है।
  • ई-मेल, सोशल मीडिया, डिजिटल मोड या किसी अन्य रूप से महिलाओं के उत्पीड़न के मामलों में, दोषी को पहले जुर्म पर दो साल कारावास की सजा एवं दूसरे और बाद के मामलों में दोषी पाए जाने पर चार साल तक सजा हो सकती है।

विशिष्ट विशेष न्यायालयों की स्थापना

  • यह सरकार को राज्य के प्रत्येक जिले में विशेष न्यायालयों की स्थापना करने का निर्देश देता है ताकि शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित किया जा सके। ये अदालतें विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बलात्कार, एसिड हमले, सोशल मीडिया के माध्यम से उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न और POCSO अधिनियम के तहत दर्ज अन्य सभी अपराधों के मामलों से निपटेंगी।

निपटान की अवधि कम

  • अपील के मामलों के निपटान की अवधि को घटाकर तीन महीने कर दिया गया है। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 374 और 377 में संशोधन किए जा रहे हैं।

विशेष पुलिस टीमों का गठन

  • यह सरकार को जिला स्तर पर विशेष पुलिस टीमों का गठन करने का आदेश देता है, जिसे महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों की जांच के लिए डीएसपी के नेतृत्व में जिला विशेष पुलिस दल कहा जाता है।
  • इसके अलावा, सरकार प्रत्येक विशेष अदालत के लिए एक विशेष सरकारी वकील भी नियुक्त करेगी।

 

नया कानून, एक गेम चेंजर ?

1.   बलात्कार के लिए मौत की सजा

  • वर्तमान कानूनों के तहत, बलात्कार के चरम मामलों में अपराधी को आजीवन कारावास या मौत की सजा दी जाती है |

एपी दिशा अधिनियम, 2019

  • पर्याप्त सबूत होने पर एपी सरकार ने बलात्कार के अपराधों के लिए मौत निर्धारित किया है। कोई अन्य विकल्प नहीं दिए गए हैं।
  • यह भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 में संशोधन करके किया गया प्रावधान है |

 2.  निर्णय अवधि को घटाकर 21 दिन करना

  • निर्भया अधिनियम, 2013 और आपराधिक संशोधन अधिनियम, 2018 के अनुसार, यह 4 महीने का है।

एपी दिशा अधिनियम, 2019

  • निर्णय अवधि 21 कार्य दिवसों तक कम हो गई,
  • जांच 7 कार्य दिवसों में खत्म हो जाएगी, परीक्षण 14 कार्य दिवसों में पूरा होगा |

3.   बच्चों के खिलाफ यौन अपराध

  • POCSOअधिनियम, 2012 के तहत बच्चों पर छेड़छाड़/यौन उत्पीड़न के मामले में 3 से 7 साल तक जेल की सज़ा |

एपी दिशा अधिनियम, 2019

  • नया कानून बच्चों के खिलाफ अन्य यौन अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा देता है |
  • भारतीय दंड संहिता, 1860 में नई धारा 354F और धारा 354G "बच्चों पर यौन शोषण" जोड़ा जा रहा है।

4.   बच्चों पर यौन हमला

  • मौजूदा कानूनों में, बच्चों पर यौन शोषण के मामलों में मुकदमे को पूरा करने की अवधि 12 महीने है |

एपी दिशा अधिनियम, 2019

  • बच्चों पर यौन हमले के मामले में निर्णय की अवधि को 21 कार्यदिवसों में कम कर दिया गया है |
  • जांच 7 कार्य दिवसों में और परीक्षण 14 कार्यदिवसों में पूरा किया जाएगा |

5.   महिलाओं के खिलाफ सोशल मीडिया का दुरुपयोग

  • IPC में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है |

एपी दिशा अधिनियम, 2019

  • ई-मेल, सोशल मीडिया, डिजिटल मोड या किसी अन्य रूप से उत्पीड़न के मामलों में दोषी को जेल मिलेगी |
  • जेल अवधि: पहली सजा पर दो साल, बाद में सजा पर चार साल |

6.   हर जिले में विशेष अदालतें

  • कुछ राज्यों में विशेष अदालतें हैं लेकिन हर जिले में नहीं। ये निर्दिष्ट न्यायालय हैं, प्रकृति में अनन्य नहीं हैं |

एपी दिशा अधिनियम, 2019

  • ये अदालतें महिलाओं के खिलाफ अपराधों, बलात्कार, एसिड हमलों, पीछा करने, दर्शनरति, सोशल मीडिया उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न और POCSO अधिनियम के तहत सभी अपराधों से निपटेंगी |
  • इसके लिए ‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ निर्दिष्ट अपराधों के लिए आंध्र प्रदेश के विशेष न्यायालय अधिनियम, 2019’ का प्रस्ताव है |

स्रोत:TOI

दिशा विधेयक वर्तमान विधानों से किस प्रकार भिन्न है?

  • भारत सरकार ने यौन अपराधियों की एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री शुरू की है, लेकिन डेटाबेसडिजिटल नहीं है और जनता के लिए सुलभ नहीं है।
  • वर्तमान में, बलात्कार के मामले में एक अपराधी को दंडित करने का प्रावधान एक निश्चितकारावास है ।
  • निर्भया अधिनियम, 2013 और आपराधिक संशोधन अधिनियम, 2018 के अनुसार मौजूदानिर्णय अवधि 4 महीने (जांच अवधि के दो महीने और परीक्षण अवधि के दो महीने) है।
  • POCSO अधिनियम, 2012 के तहत बच्चों के साथ छेड़छाड़/यौन उत्पीड़न के मामलों में, न्यूनतम सजा तीन साल से लेकर अधिकतम सात साल के कारावास तक है।
  • सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं के उत्पीड़न की सजा के लिए भारतीय दंड संहिता मेंकोई प्रावधान मौजूद नहीं है।
  • वर्तमान में, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बलात्कार के मामलों से संबंधित अपील मामलोंके निपटान की अवधि छह महीने है।

महत्ता

  • अपराधनिवारक: नया कानून राज्य भर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के निवारक के रूप में कार्य करेगा।
  • मजबूत न्याय प्रणाली: इसके अलावा, यह महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध करने वाले अपराधी पर आपराधिक न्याय प्रणाली को सख्त बना देगा।
  • स्पीडी ट्रायल: यह महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की परीक्षण प्रक्रिया को तेज करने में मदद करेगा।

विधेयक पर संशय

विधेयक ने मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और कानून विशेषज्ञों में संसय पैदा की है, जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने और इसकी व्यावहारिकता की दक्षता पर संदेह जताया है।

अपर्याप्त कार्यबल

  • बिल के सीमित जांच और परीक्षण अवधि पर सवाल उठाए गए हैं। अधीनस्थ न्यायपालिका में 58 प्रतिशत रिक्तियों और पुलिस अधिकारियों में 25 प्रतिशत रिक्तियों के साथ है; क्या आंध्र प्रदेश सरकार 21 दिनों में कोई सुनवाई पूरी कर सकती है?
  • इसी तरह, इसने पुलिस के विशेष दल का गठन किया है, जिसके लिए अभी तक किसी पुलिस भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी है। एक-चौथाई रिक्तियों के साथ, पुलिस कोई भी कुशल या त्वरित जांच नहीं कर सकती है।

लंबित मामलों का बोझ

  • एपी सरकार ने धन आवंटन या एक भी नया पद सृजित किए बिना, प्रत्येक जिले में विशेष अदालतों का गठन किया है।
  • इसके अलावा, पहले से ही मौजूद अदालतों और न्यायाधीशों पर कई सैकड़ों लंबित मामले का बोझ परा हैं। नया अधिनियम केवल न्यायपालिका प्रणाली पर बोझ डाल देगा, जो इसे अक्षम बना देगा।

आगे की राह

  • आंध्र प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने महिलाओं के प्रति अपराध कम करने एवं बदमाशों को दंडित करने के लिए कानूनों को कड़ा बनाया है |यह महिलाओं के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए देश के अन्य राज्यों को भी इसी तरह कदम उठाने को प्रेरित करेगा, जो स्वागत योग्य कदम है।