भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019

  • 03 Jan 2020

  • हाल ही में, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश के वन संसाधनों का आकलन प्रदान करते हुए द्विवार्षिक “भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) -2019” जारी की।
  • रिपोर्ट में वन आवरण, वृक्ष आवरण, मैंग्रोव आवरण, वन क्षेत्रों के अंदर और बाहर बढ़ते स्टॉक, भारत के वनों में कार्बन स्टॉक, वन प्रकार और जैव-विविधता, वनाग्नि निगरानी और विभिन्न ढलानों और तुंगता (Slopes and Altitude) पर वन आवरण के बारे में जानकारी दी गई है।

उद्देश्य

  • राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर वन आवरण और उसमें बदलाव की निगरानी करना।
  • विभिन्न घनत्व वर्गों में वन आवरण और उसमें परिवर्तन के बारे में जानकारी हासिल करना।
  • पूरे देश के लिए वन आवरण और उससे प्राप्त अन्य विषयगत मानचित्र तैयार करना।
  • बढ़ते स्टॉक, वन कार्बन सहित विभिन्न मापदंडों के आकलन के लिए प्राथमिक आधार प्रदान करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टिंग के लिए शीर्ष स्तर की जानकारी करना।

भारत की वन स्थिति रिपोर्ट (India State of Forest Report - ISFR)

  • रिपोर्ट को भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जो द्विवार्षिक चक्र में वन आवरण मानचित्रण के साथ देश के वन और वृक्ष संपदा का आकलन करती है।
  • 1987 से शुरू वन मूल्यांकन की अब तक 15 रिपोर्ट जारी की चुकी हैं। ISFR 2019 श्रृंखला की 16वीं रिपोर्ट है।

प्रमुख निष्कर्ष

कुल वन आवरण

  • देश का कुल वन आवरण 7,12,249 वर्ग किमी. है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 67% है। देश का वृक्ष आवरण 95,027 वर्ग किमी. है, जो भौगोलिक क्षेत्र का 2.89% है।
  • देश का कुल वन और वृक्ष आवरण 8,07,276 वर्ग किमी. है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 56% है।
  • यह ISFR 2017 की तुलना में राष्ट्रीय स्तर पर 3,976 वर्ग किमी. (56%) वन आवरण, 1,212 वर्ग किमी. (1.29%) वृक्ष आवरण और 5,188 वर्ग किमी. (0.65%) वन और वृक्षों के आवरण की वृद्धि को दर्शाता है।

राज्यों में वन आवरण

  • क्षेत्रफल के अनुसार, मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं।
  • वन आवरण में वृद्धि के मामले में शीर्ष पांच राज्य कर्नाटक (1,025 वर्ग किमी.), आंध्र प्रदेश (990 वर्ग किमी.), केरल (823 वर्ग किमी.), जम्मू और कश्मीर (371 वर्ग किमी.) और हिमाचल प्रदेश (334 वर्ग किमी.) हैं।
  • प्रतिशत के लिहाज से कुल भौगोलिक क्षेत्र के वन आवरण के मामले में, शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (41%), अरुणाचल प्रदेश (79.63%), मेघालय (76.33%), मणिपुर (75.46%) और नागालैंड (75.31%) हैं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में वन आवरण

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में कुल वन क्षेत्र 1,70,541 वर्ग किमी. है, जो इसके भौगोलिक क्षेत्र का 05% है। वर्तमान मूल्यांकन में क्षेत्र में 765 वर्ग किमी. (0.45%) की सीमा तक वन आच्छादन में कमी देखी गई है। असम और त्रिपुरा को छोड़कर, क्षेत्र के सभी राज्य वन आवरण में कमी दर्शाते हैं।

पहाड़ी और जनजातीय जिलों में वन आवरण

  • यह देश के 140 पहाड़ी जिलों में 544 वर्ग किमी. (19%) की वृद्धि दर्शाता है।
  • वर्तमान मूल्यांकन में आदिवासी जिलों में RFA/GW के भीतर 741 वर्ग किमी. वन आवरण की कमी और बाहर 1,922 वर्ग किमी. की वृद्धि दर्शाती है।

मैन्ग्रोव

  • देश में मैंग्रोव आवरण पिछले आकलन की तुलना में 54 वर्ग किमी. (10%) बढ़ा है।
  • मैंग्रोव आवरण में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य गुजरात (37 वर्ग किमी.), महाराष्ट्र (16 वर्ग किमी.) और ओडिशा (8 वर्ग किमी.) हैं।

कुल कार्बन स्टॉक

  • देश के वनों में कुल कार्बन स्टॉक 7,124.6 मिलियन टन अनुमानित है और 2017 के आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 6 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। कार्बन स्टॉक में वार्षिक वृद्धि 21.3 मिलियन टन है, जो कि 78.2 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर है।

2019 में भारत के वन एवं वृक्ष आवरण

वर्ग

वन आवरण क्षेत्रफल (वर्ग किमी.)

भौगोलिक क्षेत्रफल का प्रतिशत

अत्यधिक घने वन

99,278

3.02

मध्यम घने वन

3,08,472

9.38

खुले वन (Open Forest

3,04,499

9.26

कुल वन आवरण*

7,12,249

21.67

वृक्ष आवरण

95,027

2.89

कुल वन एवं वृक्ष आवरण

8,07,276

24.56

छोटी झाड़ी

46,297

1.41

गैर-वन#

25,28,923

76.92

कुल भौगोलिक क्षेत्रफल

32,87,469

100.00

*मैन्ग्रोव के तहत 4,975 वर्ग किमी. सहित

#वृक्ष आवरण सहित गैर-वन (प्रतिशत)

 

आर्द्रभूमि

  • 62,466 आर्द्रभूमि हैं, जो देश के रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया/ग्रीन वॉश (RFA/GW) के दायरे में 83% है।
  • RFA/GW के भीतर स्थित आर्द्रभूमि की कुल संख्या 13% है। राज्यों में गुजरात का सर्वाधिक और दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल का आर्द्रभूमि क्षेत्र RFA के अंतर्गत आता है।

आग प्रभावित क्षेत्र

  • वनाग्नि की आवृत्ति के आधार पर 5 किमी. x 5 किमी. के ग्रिड में विभिन्न गंभीरता वर्गों के आग प्रभावित वन क्षेत्रों का मानचित्रण किया गया है। विश्लेषण से पता चलता है कि देश का 40% वन आवरण अत्यधिक अग्नि प्रवण (Fire Prone) है।

 

भारत में हरित आवरण

वर्ष 2019

  • कुल वन आवरण 80.73 मिलियन हेक्टेयर (भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत – 24.56%

वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज करने वाले शीर्ष तीन राज्य

  • कर्नाटक (1,025 वर्ग किमी.)
  • आंध्रप्रदेश (990 वर्ग किमी.)
  • केरल (823 वर्ग किमी.)

क्षेत्रफल के अनुसार देश में सर्वाधिक वन आवरण वाले राज्य

  • मध्य प्रदेश
  • अरुणाचल प्रदेश
  • छत्तीसगढ़
  • ओडिशा
  • महाराष्ट्र

वन आवरण

  • वन आवरण में वे सभी वृक्ष शामिल होते हैं, जिनका 10% से अधिक घनत्व होता है और आकार में 1 हेक्टेयर या उससे अधिक का क्षेत्र होता है, भले ही उनकी कानूनी स्थिति और प्रजातियों की संरचना कैसी भी हो।

रिकार्डेड फारेस्ट एरिया

  • रिकॉर्डेड फारेस्ट एरिया का उपयोग ऐसी सभी भूमियों के लिए किया जाता है, जिन्हें किसी भी सरकारी अधिनियम या नियमों के तहत वन के रूप में अधिसूचित या सरकारी रिकॉर्ड में 'वन' के रूप में दर्ज किया गया हो। रिकॉर्डेड फारेस्ट एरिया में वन आवरण हो भी सकता है या नहीं भी।

ग्रीन वॉश

  • आम तौर पर सर्वेक्षण में काष्ठीय क्षेत्रों (Wooded Area) की सीमा को हल्के हरे रंग में दिखाया जाता है। ग्रीन वॉश का इस्तेमाल उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के संबंध में RFA के विकल्प के रूप में किया जाता है, जहां से रिकार्डेड फारेस्ट एरिया की प्रयोग करने योग्य डिजिटली सीमाओं को FSI के लिए उपलब्ध नहीं कराया जा सका।

 

रिपोर्ट की महत्ता

  • यह प्रत्येक राज्य से संबंधित जैव विविधता मूल्यांकन, ढलान और तुंगता वाले वन आवरण आदि प्रासंगिक जानकारी प्रदान करता है, जो उनके वन और वृक्ष संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन और वृद्धि के लिए नीतियां और रणनीति तैयार करने में बहुत उपयोगी होंगे।
  • रिपोर्ट में बांस संसाधन, वनाग्नि, कार्बन स्टॉक, लोग और वन एवं उनके प्रकार तथा जैव-विविधता पर समर्पित अध्याय शामिल हैं। यह देश के नागरिकों से लेकर नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, प्रशासकों, वन प्रबंधकों, और समुदाय आधारित संगठनों जैसे हितधारकों के लिए बहुत प्रासंगिक होगी।
  • भारत सरकार के डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुरूप, FSI का आकलन काफी हद तक डिजिटल डेटा पर आधारित है चाहे वह उपग्रह डेटा, जिलों की वेक्टर सीमाएं या क्षेत्र माप के डेटा प्रसंस्करण हो।

 

भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI)

मुख्यालय: देहरादून, उत्तराखंड

  • 1981 में स्थापित, यह एक प्रमुख राष्ट्रीय संगठन है, जो नियमित आधार पर देश के वन संसाधनों के मूल्यांकन और निगरानी के लिए जिम्मेदार है।
  • FSI ने 1965 में FAO और UNDP के प्रायोजन से भारत सरकार द्वारा शुरू की गई परियोजना "वन संसाधनों के पूर्व-निवेश सर्वेक्षण" (PISFR) का स्थान लिया है।
  • राष्ट्रीय कृषि आयोग (1976) ने अपनी रिपोर्ट में देश के एक नियमित, आवधिक और व्यापक वन संसाधन सर्वेक्षण के लिए FSI की स्थापना की सिफारिश की थी।