ADB ने भारत आईएनएक्स पर मसाला बॉण्ड की सूची दी

  • 27 Feb 2020

  • 25 फरवरी-2020 कोएशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने गुजरात के GIFT सिटी में इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज (INX) के ग्लोबल सिक्योरिटीज मार्केट (GSM)पर अपने 10 साल के 850 करोड़ रूपये के मसाला बॉण्ड को सूचीबद्ध किया।
  • इसके मुनाफ़े का उपयोग भारत में स्थानीय मुद्रा उधार और निवेश में मददकरने के लिए किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • भारत आईएनएक्स का प्राथमिक बाजार प्लेटफॉर्म,‘जीएसएम’ ने 2018 में अपनी स्थापना के बाद से महत्वपूर्ण रुचि को विकसित किया है इसमें अब तक स्थापित 48 बिलियन डॉलर से अधिक के मध्यम अवधि के नोट (medium-termnotes) और 21 बिलियन डॉलर से अधिक के बॉण्ड दर्ज हैं।
  • ADB का मसाला बॉण्ड लक्ज़मबर्ग एक्सचेंज और भारत INX दोनों पर सूचीबद्ध हैं।
  • भारत INX में सूचीगत नियमों और प्रक्रियाओं को वैश्विक मानकों के आधार पर बनाया गया है ताकि बाजार को तेज और कुशल बनाया जा सके।
  • बॉण्ड को अमेरिका (21 प्रतिशत) और यूरोप (79 प्रतिशत) मेंनिवेशकों को बांटे गए, जिसमें 28 प्रतिशत बैंकों के पास और 72 प्रतिशत फंड मैनेजरों के पास थे।

इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज लिमिटेड (India INX)

  • INX, भारत का अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में पहला अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंज है। यह गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस-टेक सिटी (GIFT) में स्थित है।
  • भारत आईएनएक्स, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है।
  • एक्सचेंज दुनिया में सबसे तीव्र उन्नत तकनीकी EUREX T7 से परिचालितहै, जिसकी समयाविधि 4 माइक्रो सेकंड है।
  • एक्सचेंज अपने सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए एकल खंड दृष्टिकोण (single segment approach) प्रदान करता है - प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण लागत लाभ प्रदान करते हुए शेयर (equities), मुद्राएं(currencies), माल(commodities), निश्चित आय प्रतिभूतियां (fixed income securities)।

प्रभाव

  • यह पहली बार है जब एक ऐसी शक्ति जो दूसरे देशों की राजनीती व सीमाओं को प्रभावित करती हैं औरएक विदेशी जारीकर्ता,भारत INX को प्राथमिक सूची में दर्ज कर रहा है। यह भारतीय और विदेशी जारीकर्ताओं द्वारा फंड जुटाने के लिए GIFT IFSC को एक वैश्विक केंद्र बनाने में और मदद करेगा।

मसाला बॉण्ड क्या हैं?

  • मसाला बॉण्ड वे बॉन्ड होते हैं, जो भारतीय कंपनियों द्वारा (रुपये में)विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जिसका उद्देश्य परियोजनाओं के लिए धन को आकर्षित करना होता है।
  • चूंकि ये बांड भारत के बाहर जारी किए गए हैं, इसलिए वे बाजारों में अमेरिकी डॉलर (USD) में होते हैं।
  • इस शब्द का प्रयोगअंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) द्वारा विदेशी प्लेटफार्मों पर भारत की संस्कृति और पाक-प्रणाली को लोकप्रिय बनाने के लिए किया गया था।
  • पहला मसाला बॉण्ड IFC द्वारा नवंबर 2014 में जारी किया गया था, जब ये भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (infrastructure projects in India) को निधि देने के लिए 1,000 करोड़ के बॉण्ड जुटाए थे।
  • इन बॉण्डों को जारी करने की रूपरेखा बाहरी वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowings-ECB) नीति के अंतर्गत आती है।

इन बॉण्डों को कौन जारी करता है?

  • कोई भी कॉर्पोरेट या कॉर्पोरेट निकाय, भारतीय बैंक, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) और इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) इन बॉन्डों को जारी करने के लिए पात्र हैं।
  • हालांकि सीमित देयता भागीदारी (Limited Liability Partnerships) और साझेदार कंपनियां (Partnership firms) जैसी निवासी संस्थाएं (Resident entities) इन बांडों को जारी करने के लिए पात्र नहीं हैं।

ये बॉण्ड कहाँ जारी किए जा सकते हैं और कौन सदस्यता ले सकता है?

  • मसाला बॉण्ड केवल उन देशों में जारी किए जा सकते हैं, जिनके पास वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force - FATF) की व्यवस्था है। अथवा एक FATF-शैली क्षेत्रीय निकाय के सदस्य के साथ-साथप्रतिभूतियों का बाजार नियामक (securities market regulator) है जो कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग (IOSCO) का एक हस्ताक्षरकर्ता होता है। अथवा सूचना साझा करने की व्यवस्था के लिए सेबी के साथ द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षरकर्ता है।
  • ऐसे देशों के निवासी बॉण्ड की सदस्यता ले सकते हैं, यह बहुपक्षीय और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों द्वारा भी सदस्यता ली जा सकती है जहां भारत एक सदस्य देश है।

इन बॉण्डों में निवेश करने के लिए कौन पात्र है?

  • भारत के बाहर के निवेशक जो भारतीय परिसंपत्तियों में निवेश करना चाहते हैं, वे मसाला बांड में निवेश कर सकते हैं।
  • एचडीएफसी, एनटीपीसी और इंडियाबुल्स हाउसिंग जैसी भारतीय संस्थाओं ने मसाला बॉन्ड के माध्यम से धन जुटाया है।

ऐसे बॉण्डों की न्यूनतम परिपक्वता अवधि क्या है?

  • आरबीआई के अनुसार ,मसाला बॉण्ड के लिए न्यूनतम परिपक्वता अवधि (minimum maturity period)में 50 मिलियन अमरीकी डालर के बराबर होनी चाहिए, जबकि एक वित्तीय वर्ष 3 साल का होना चाहिए। यही 50 मिलियन अमरीकी डॉलर के बराबर भारतीय रूपये के लिए प्रति वित्त वर्ष में 5 साल होना चाहिए।
  • ऐसे बॉन्ड के लिए रूपांतरण बाजार दर पर होता है जो बॉन्ड के निर्गम और सर्विसिंग (issue and servicing) के लिए किए गए लेनदेन के निपटारे की तारीख को तय होता है, इसमें इसका मोचन (redemption) भी शामिल है।

मसाला बॉण्ड के क्या फायदे हैं?

अर्थव्यवस्था को लाभ

  • मसाला बॉण्ड भारतीय रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने व भारतीय वित्तीय प्रणालीऔर अर्थव्यवस्था को क़ीमत देने में मदद करते हैं।
  • रूपयों की उपलब्धता में सरलता उत्पन्न करने वाले ऋण बाजार, वित्तीय स्थिरता को प्रोत्साहित करते हैं।
  • यह फुटकर बचतकर्ताओं द्वारा अपनी रुपया संरचना बढ़ाकर बॉण्ड में निवेश के लिए नए रास्ते खोलने में मदद करते हैं।
  • ये बॉण्ड भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्रा में विदेशी निवेशकों के विश्वास को बनाने में मदद करते हैं जो देश में विदेशी निवेश को मजबूत करेगा।

जारीकर्ता को लाभ

  • इन बॉण्ड को जारी करने वाले को मुद्रा के उतार-चढ़ाव के जेखिम के ख़िलाफ़ परिरक्षित किया जाता है, जो आमतौर पर विदेशी मुद्रा में उधार लेने से जुड़ा होता है। सरल शब्दों में, जैसा कि मसाला बॉन्ड रुपए-मूल्य वाले बॉण्ड हैं, जोखिम सीधे निवेशक के पास जाता है।

निवेशकों को लाभ

  • निवेशक अधिक पैसा कमा सकता है क्योंकि विकसित देशों की तुलना में मसाला बॉण्ड की ब्याज दर अधिक है।