जैव ईंधन नीति 2018


प्रश्नः क्या सरकार ने वर्ष 2018 में नई जैव ईंधन नीति लागू की है_ क्या सरकार द्वारा जैव ईंधन नीति 2018 में यथावर्णित इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बनाने के लक्ष्य को प्राप्त किये जाने की संभावना है_ जैव ईंधन नीति 2018 का कार्यान्वयन करने हेतु आवंटित बजट तथा इस सम्बन्ध में अब तक व्यय की गई राशि का राज्य-वार ब्यौरा क्या है?

(डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे द्वारा 23 मार्च, 2020 को लोकसभा में पूछा गया तारांकित प्रश्न)

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा दिया गया उत्तरः

  • सरकार ने 4 जून, 2018 को राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 को अधिसूचित किया है। इस नीति में वर्ष 2030 तक पूरे देश में पेट्रोल में 20% एथेनॉल का मिश्रण तथा डीजल में 5% जैव डीजल का मिश्रण करने का निर्देशात्मक लक्ष्य हासिल करने की परिकल्पना की गई है।
  • सरकार आयात निर्भरता में कमी करने, रोजगार का सृजन करने, किसानों को बेहतर पारिश्रमिक प्रदान करने और बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन पद्यतियों आदि के व्यापक उद्देश्यों से जैव ईंधन कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है।
  • एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत एथेनॉल की खरीद एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2013-14 के दौरान (ESY- 1st December to 30th November) 38 करोड़ लीटर से लगभग 5 गुना बढ़कर ईएसवाई 2018-19 के दौरान 188-6 करोड़ लीटर हो गई है।
  • मिश्रण के लिए एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से किये गए महत्वपूर्ण उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं-
    • गन्ना रस और चीनी सीरप से एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देना।
    • विभिन्न प्रकार के फीडस्टॉक से उत्पादित एथेनॉल का लाभकारी ‘पूर्व-मिल मूल्य’ (म॰-उपसस चतपबम) तय करना आसवनियों (distilleries) को ब्याज अनुदान प्रदान करना।
    • एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के लिए विकृत (कमदंजनतमक) एथेनॉल की स्वतंत्र रूप से आवाजाही हेतु ‘उद्योग (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1951’ में संशोधन।
    • ईबीपी कार्यक्रम के लिए निर्धारित एथेनॉल पर वस्तु और सेवा कर को 18% से घटाकर 5% करना।
    • 1 अप्रैल, 2019 से अंडमान निकोबार तथा लक्षद्वीप के संघशासित प्रदेशों को छोड़कर पूरे भारत में ईबीपी कार्यक्रम को लागू करना।
    • तेल विपणन कंपनियों के स्थलों पर एथेनॉल के भंडारण को बढ़ाना।
    • एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के तहत दीर्घकालिक आधार पर एथेनॉल खरीद नीति तैयार करना।
  • ईएसवाई 2019-20 में 9 मार्च, 2020 तक तेल विपणन कंपनियों ने 156-47 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद के लिए आशय-पत्र जारी किए हैं। सरकार ने एथेनॉल की आपूर्ति को और अधिक बढ़ाने के उद्देश्य से पेट्रो रसायन रूट (petrochemical route) सहित सेल्युलोसिक तथा लिंगो- सेल्युलोसिक सामग्रियों (cellulosic and lingo-cellulosic materials) जैसे अन्य गैर खाद्य फीडस्टॉक से उत्पादित दूसरी पीढ़ी के एथेनॉल की खरीद करने की अनुमति दे दी है।
  • तदनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों (Oil PSUs) ने देश के 11 राज्यों में बारह 2जी एथेनॉल जैव रिफाइनरियां स्थापित करने की योजना बनाई है।
  • जैव डीजल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसके उत्पादन हेतु यूज्ड खाद्य तेल की पहचान भावी कच्चे माल के रूप में की गई है और सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने 200 स्थलों पर यूज्ड कुकिंग ऑयल से उत्पादित बायोडीजल की खरीद के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) जारी किये हैं।
  • प्रयुक्त खाद्य तेल से जैव डीजल का उत्पादन करने के उद्देश्य से 46 संयंत्रें की स्थापना करने के लिए तेल विपणन कंपनियों (ओएमसीज) को 29 ईओआई प्राप्त हुए हैं।
  • ऑटोमोटिव ईंधन के तौर पर संपीडित जैव गैस (सीबीजी) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1 अक्टूबर, 2018 को ‘किफायती परिवहन के लिए दीर्घकालिक विकल्प’ 'Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation (SATAT) initiative' नामक पहल की शुरुआत की गई है, जिसके तहत तेल विपणन कंपनियां सीबीजी उत्पादन के लिए संभावित उद्यमों से ईओआई आमंत्रित कर रही हैं।
  • सतत पहल में वर्ष 2023 तक प्रति वर्ष 15 एमएमटी सीबीजी के अनुमानित नत उत्पादन के साथ पूरे देश में 5000 सीबीजी संयंत्रें को स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
  • लिंगो- सेल्युलोसिक बायोमास तथा अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का इस्तेमाल करते हुए देश में दूसरी पीढ़ी की एथेनॉल परियोजनाओं की स्थापना के लिए एकीकृत जैव एथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने मार्च 2019 में ‘प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना’ अधिसूचित की है। वर्ष 2018-19 से 2023-24 के लिए योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 1969-50 करोड़ रुपए है।