जाइरोन्स संस्थापना


प्रश्नः क्या सरकार के पास तटीय क्षेत्रों में समुद्री अपरदन को रोकने हेतु कोई स्थाई समाधान खोजने का कोई प्रस्ताव है; क्या सरकार ने देश में समुद्री अपरदन को रोकने हेतु विभिन्न तटीय क्षेत्रों में जाइरोन्स स्थापित किया है और यदि हां, तो तत्संबंधी तमिलनाडु सहित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार ब्यौरा क्या है?

(कनिमोझी करूणानिधि एवं गौतम सिगामणि पोन द्वारा लोकसभा में पूछा गया अतारांकित प्रश्न)

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो द्वारा दिया गया उत्तरः अपरदन सहित तटरेखा में परिवर्तन और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि धीमी गति से होने वाली घटना है और यह पूरी दुनिया में घटित होती है। मंत्रलय द्वारा सभी तटीय राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए तटीय संरक्षण के उपायों से संबंधित दिशा-निर्देशों के साथ तटीय संरक्षण हेतु एक राष्ट्रीय कार्यनीति तैयार की गई है।
  • एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना (आईसीजैडएमपी) के तहत मंत्रालय द्वारा तटरेखाओं में परिवर्तन से संबंधित जोखिमों का व्यापक पैमाने पर आकलन करने और इन जोखिमों से निपटने हेतु प्रबंधन समाधान ढूंढ़ने के लिए एक कार्य ढांचा तैयार करने की परिकल्पना की गई है। इस परियोजना के तहत गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में पांच (05) अभिज्ञात तटीय क्षेत्रों के लिए तटरेखा प्रबंधन योजनाएं तैयार की गई थीं।
  • तटीय क्षेत्र को अपरदन से सुरक्षित रखने हेतु आईसीजैडएम परियोजना के तहत कच्छ वनस्पति रोपण, संरक्षण पट्टी में वृक्षारोपण और जीओ-टड्ढूबों की संस्थापन जैसी अनेक पहलें की गई हैं। लगभग 16000 हेक्टेयर क्षेत्र में कच्छ वनस्पतियों का रोपण, 1,900 हेक्टेयर क्षेत्र में संरक्षण पट्टी में वृक्षारोपण और 500 एमटी. में जीओ-टड्ढूबों का संस्थापना किया गया है और उपर्युक्त कार्यकलापों को संचालित करने हेतु कुल लगभग 86 करोड़ रुपये का व्यय किया गया है।
  • समुद्री अपरदन को रोकने या नियंत्रित करने हेतु अब तक क्रमशः गुजरात तट में 11, केरल में 45, महाराष्ट्र में 1, आंध्र प्रदेश में 16, तमिलनाडु में 89 और पश्चिम बंगाल में 45 जाइरोन्स संस्थापित किए गए हैं।