भारत की कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम

  • 14 Jul 2025

हाल ही में भारत सरकार ने कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (CCTS) के तहत आठ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्य अधिसूचित किए, जिससे देश के डिकार्बोनाइजेशन प्रयासों को मजबूती मिली है।

मुख्य तथ्य:

  • अधिसूचित क्षेत्र: अल्यूमिनियम, सीमेंट, पेपर एवं पल्प, क्लोर-एल्कली, आयरन एवं स्टील, वस्त्र, पेट्रोकेमिकल्स और पेट्रो रिफाइनरी—इन आठ क्षेत्रों के लिए उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
  • लक्ष्य निर्धारण और अवधि: इसके लिए जारी गजट अधिसूचना के अनुसार, 118 कंपनियों के लिए 2023-24 की बेसलाइन उत्सर्जन तीव्रता और 2025-26 व 2026-27 के लिए लक्षित उत्सर्जन तीव्रता निर्धारित की गई है; उदाहरण के लिए, टाटा स्टील (जमशेदपुर) का लक्ष्य 2.3804 tCO₂e/टन (2023-24) से घटाकर 2.3362 (2025-26) और 2.2699 (2026-27) करना है।
  • अनुपालन तंत्र: यदि कोई कंपनी निर्धारित लक्ष्य से कम उत्सर्जन करती है, तो उसे कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट (CCC) मिलेंगे; लक्ष्य से अधिक उत्सर्जन करने वालों को क्रेडिट खरीदने होंगे या दंड देना होगा।
  • कानूनी आधार और निगरानी: यह योजना ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 और बिजली अधिनियम, 2003 के तहत लागू है; ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) मुख्य कार्यान्वयन एजेंसी है।
  • राष्ट्रीय लक्ष्य: भारत का लक्ष्य 2030 तक GDP की उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी (2005 के स्तर की तुलना में) है; CCTS इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रमुख नीति उपकरण के रूप में कार्य कर रहा है।