काजीरंगा में उच्च पक्षी विविधता: सर्वेक्षण रिपोर्ट
- 15 Jul 2025
14 जुलाई 2025, असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिजर्व में पहली बार आयोजित घासभूमि पक्षी सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की गई, जिससे ब्रह्मपुत्र बाढ़ मैदान की पारिस्थितिकी में पक्षी विविधता के संरक्षण का नया संदर्भ स्थापित हुआ।
मुख्य तथ्य:
- सर्वेक्षण अवधि एवं टीम: 18 मार्च से 25 मई के बीच काजीरंगा के तीन वन्य प्रभागों में वन अधिकारियों, पक्षी विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों एवं संरक्षण कार्यकर्ताओं की टीम ने सर्वेक्षण कर 43 घासभूमि पक्षियों की प्रजातियाँ दर्ज कीं।
- संकटग्रस्त व दुर्लभ प्रजातियाँ: रिकॉर्ड किए गए पक्षियों में गंभीर रूप से संकटग्रस्त 'बंगाल फ्लोरिकन', संकटग्रस्त 'फिन्स वीवर' तथा 'स्वैम्प ग्रास बैबलर' शामिल हैं; शेष 40 प्रजातियों में 6 प्रजातियाँ असुरक्षित सूची में दर्ज की गई हैं—ब्लैक-ब्रेस्टेड पैरटबिल, मार्श बैबलर, स्वैम्प फ्रैंकोलिन, जर्डन बैबलर, स्लेंडर-बिल्ड बैबलर और ब्रिस्टल्ड ग्रासबर्ड।
- फिन्स वीवर का प्रसार: सर्वेक्षण में फिन्स वीवर (स्थानीय नाम टुकुरा चोराई) के सफल प्रजनन की पुष्टि हुई; यह घासभूमि स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण संकेतक पक्षी है।
- अध्ययन क्षेत्र की विविधता: 1,174 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में घासभूमि, वनभूमि और आर्द्रभूमि का मिश्रण है; घासभूमि पक्षियों की समृद्धि गुजरात व राजस्थान की शुष्क घासभूमियों से तुलना योग्य है।
- तकनीकी नवाचार:सर्वेक्षण के दौरान निष्क्रिय ध्वनि रिकॉर्डरों (passive acoustic recorders) का उपयोग किया गया, जिससे दुर्गम और जोखिमयुक्त क्षेत्रों में भी बिना हस्तक्षेप के लगातार मॉनिटरिंग संभव हुई; इससे विशेष रूप से शर्मीले या छिपी प्रजातियों की पहचान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
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