आधार, वोटर आईडी एवं पैन कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं
- 13 Aug 2025
12 अगस्त, 2025 को मुंबई में बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि केवल आधार कार्ड, पैन कार्ड अथवा वोटर आईडी रखना खुद-ब-खुद किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिक नहीं बना सकता। न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने एक बांग्लादेशी नागरिक के मामले में यह व्यवस्था दी, जिसमें आरोपी ने फर्जी भारतीय दस्तावेज़ बनवाकर भारत में प्रवेश और निवास किया था।
मुख्य तथ्य:
- नागरिकता के लिए कानून: अदालत ने कहा कि भारतीय नागरिकता का प्रश्न 'नागरिकता अधिनियम, 1955' के अनुसार ही तय किया जाएगा, जो नागरिकता प्राप्त करने अथवा खोने का विधिक आधार है।
- दस्तावेज़ों की भूमिका: आधार, पैन कार्ड, वोटर आईडी आदि पहचान या सेवाओं के लिए हैं, न कि राष्ट्रीयता प्रमाणित करने के लिए। ये दस्तावेज़ 'नागरिकता अधिनियम' की शर्तों को ओवरराइड नहीं कर सकते।
- अतिरिक्त तथ्य: अदालत ने ये भी कहा कि "अवैध प्रवासियों" को 'नागरिकता अधिनियम' के तहत नागरिकता प्राप्त करने के वैद्य मार्ग मिलते ही प्रतिबंधित कर दिए गए हैं।
- भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955: नागरिकता अधिनियम, 1955 संसद द्वारा पारित एक व्यापक कानून है, जो भारत में नागरिक बनने, नागरिकता प्राप्त करने के वैध तरीके, और कब नागरिकता खत्म हो सकती है – इन सबका पूरा ढांचा देता है। इसके अंतर्गत जन्म, वंश, पंजीकरण, प्राकृतिककरण और भारत के क्षेत्र में विलय जैसे आधार दिए गए हैं। मात्र पहचान अथवा सेवाएँ पाने हेतु जारी दस्तावेज़ नागरिकता का कानूनी प्रमाण नहीं होते; वैधानिक नागरिकता के लिए इसी अधिनियम में निर्धारित प्रक्रिया और शर्तें अनिवार्य हैं।
सामयिक खबरें
सामयिक खबरें
सामयिक खबरें
राष्ट्रीय
- राजनीति और प्रशासन
- अवसंरचना
- आंतरिक सुरक्षा
- आदिवासियों से संबंधित मुद्दे
- कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
- कार्यकारी और न्यायपालिका
- कार्यक्रम और योजनाएँ
- कृषि
- गरीबी और भूख
- जैवविविधता संरक्षण
- पर्यावरण
- पर्यावरण प्रदूषण, गिरावट और जलवायु परिवर्तन
- पारदर्शिता और जवाबदेही
- बैंकिंग व वित्त
- भारत को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह
- भारतीय अर्थव्यवस्था
- रक्षा और सुरक्षा
- राजव्यवस्था और शासन
- राजव्यवस्था और शासन
- रैंकिंग, रिपोर्ट, सर्वेक्षण और सूचकांक
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- शिक्षा
- सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
- सांविधिक, विनियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय
- स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे