शान्ति विधेयक 2025

  • 16 Dec 2025

14 दिसम्बर 2025 को केन्द्र सरकार ने लोकसभा में सतत परमाणु ऊर्जा दोहन एवं विकास, भारत के रूपांतरण हेतु (शांति) विधेयक, 2025 (Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear energy for Transforming India (SHANTI) Bill, 2025) प्रस्तुत किया। इसका उद्देश्य भारतीय तथा विदेशी निजी क्षेत्र को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भागीदारी हेतु प्रोत्साहित करना है।

मुख्य प्रावधान:

  • क़ानूनों का प्रतिस्थापन: यह परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 और 2010 के परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व (सीएलएनडी) अधिनियम को लागू करने के लिए नई व्यवस्थित व्यवस्था प्रस्तुत करता है।
  • नियामकीय ढाँचा: Atomic Energy Regulatory Board (AERB) को वैधानिक दर्जा देकर संसद के प्रति उत्तरदायी नियामक संरचना बनाई गई है। NPCIL का एकाधिकार समाप्त कर निजी (घरेलू/विदेशी) ऑपरेटरों को प्रवेश का अवसर दिया गया है।
  • दायित्व व दण्ड: ऑपरेटर–दायित्व संयंत्र की क्षमता पर आधारित होगा—3,600 MW से ऊपर ₹3,000 करोड़, 1,500–3,600 MW के लिए ₹1,500 करोड़ तथा छोटे संयंत्रों हेतु ₹100 करोड़। गंभीर उल्लंघन पर अधिकतम दण्ड ₹1 करोड़ तक सीमित है।
  • सप्लायरलायबिलिटी: CLND में मौजूद “supplier” शब्द व recourse प्रावधान हटाए गए, जिससे विदेशी कम्पनियों (Westinghouse, Areva आदि) की प्रमुख मांग पूरी हुई।
  • ऊर्जा लक्ष्य: वर्तमान में परमाणु ऊर्जा भारत की स्थापित क्षमता का 1.5% है। सरकार 2047 तक इसे 100 GW तक बढ़ाने, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों तथा ‘भारत SMR’ परियोजना के माध्यम से 2070 नेट–ज़ीरो लक्ष्य में योगदान का लक्ष्य रखती है।