सैंडलवुड स्पाइक डिजीज
- 30 Sep 2020
 
सितंबर 2020 में भारत में चंदन के वृक्ष अर्थात् सैंडलवुड विनाशकारी ‘सैंडलवुड स्पाइक डिजीज’ (Sandalwood Spike Disease- SSD) के कारण एक गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: कर्नाटक एवं केरल के चंदन वृक्षों में इस रोग का संक्रमण फिर से फैल गया है। वर्तमान में इस संक्रमण का तेजी से फैलाव काफी हद तक जंगलों में हरित वनस्पति की कटाई पर लगे प्रतिबंध के कारण हुआ है।
- सैंडलवुड स्पाइक डिजीज एक संक्रामक रोग है, जो पौधे के ऊतकों के जीवाणु परजीवी 'फाइटोप्लाज्मा' के कारण होता है। वे कीट वैक्टर (Insect Vectors) द्वारा प्रेषित होते हैं।
 - यह रोग सर्वप्रथम वर्ष 1899 में कर्नाटक के कोडागु (Kodagu) जिले में देखा गया था।
 - अभी इसके रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं है। वर्तमान में, बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए संक्रमित पेड़ को काटने और हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
 - प्राकृतिक आवासों में विनाशकारी प्रभाव के कारण चंदन को 1998 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर द्वारा 'अतिसंवेदनशील' (vulnerable) के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
 - 1792 की शुरुआत में, टीपू सुल्तान ने इसे मैसूरु का 'रॉयल ट्री' घोषित किया था।
 
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