धातु- कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी

  • 18 Dec 2020

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा स्थापित स्वर्णजयंती फैलोशिप के इस वर्ष के प्राप्तकर्ता प्रोफेसर चंद्र शेखर शर्मा ने हाल में पहली बार कृत्रिम मंगल ग्रह के वातावरण में लिथियम-कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी की तकनीकी व्यवहार्यता का प्रदर्शन किया।

महत्वपूर्ण तथ्य: इसके तहत उनका लक्ष्य धातु - CO2 बैटरी तकनीक का एक कार्यशील प्रोटोटाइप विकसित करना और मंगल मिशन में इस तकनीक की व्यवहार्यता का पता लगाना है।

  • इसके अंतर्गत विशेष तौर पर सतह के लैंडर और रोवर्स के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उपयोग किया जायेगा, जो वातावरण में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
  • धातु - CO2 बैटरी का विकास द्रव्यमान और मात्रा में कमी लाने के साथ ही अत्यधिक विशिष्ट ऊर्जा घनत्व प्रदान करेगा, जो पेलोड के भार में कमी लाएगा और ग्रहों के मिशन की लॉन्च लागत को कम करेगा।
  • धातु - CO2 बैटरियों में वर्तमान में उपयोग की जाने वाली लीथियम-आयन बैटरियों की तुलना में काफी अधिक ऊर्जा घनत्व प्रदान करने और CO2 उत्सर्जन को संतुलित करने के लिए एक उपयोगी समाधान प्रदान करने की एक बड़ी क्षमता है।
  • मंगल मिशन जैसे भारत के अंतरिक्ष मिशन जल्द ही पेलोड के भार को कम करने और ऊर्जा वाहक के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड के साथ स्वदेशी रूप से विकसित धातु- कार्बन डाईऑक्साइड बैटरी की मदद से लॉन्च करने में सक्षम हो सकते हैं।
  • यह अध्ययन ‘एल्सेवियर मटेरियल्स लेटर्स’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था और इसके लिए एक भारतीय पेटेंट दायर किया गया है।