'भारत में सिकल सेल रोग' पर राष्ट्रीय सम्मेलन

  • 24 Jun 2021

19 जून, 2021 को विश्व सिकल सेल दिवस के उपलक्ष्य में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने फिक्की, नोवार्टिस और अपोलो हॉस्पिटल के साथ भागीदारी में 'भारत में सिकल सेल रोग' पर दूसरे ऑनलाइन राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।

सिकल सेल रोग: यह लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की एक प्रमुख वंशानुगत असामान्यता है, जिसमें इन लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) का आकार अर्धचंद्र/हंसिया (Sickle) जैसा हो जाता है।

  • ये असामान्य आकार की लाल रक्त कोशिकाएं कठोर और चिपचिपी होकर रक्त वाहिकाओं में फंस जाती हैं, जिससे शरीर के कई हिस्सों में रक्त और ऑक्सीजन प्रवाह कम या रुक जाता है।

भारत में सिकल सेल रोग: भारत में यह रोग मुख्य रूप से झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिमी ओडिशा, पूर्वी गुजरात और उत्तरी तमिलनाडु व केरल में नीलगिरि पहाड़ियों के कुछ इलाकों में आदिवासी आबादी समूहों में व्याप्त है।

  • इस रोग की चपेट में आने से लगभग 20% आदिवासी बच्चे दो वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले ही मर जाते हैं, और 30% बच्चे वयस्क होने से पहले ही मर जाते हैं।

सम्मलेन की मुख्य बातें: जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा ‘सिकल सेल रोग पर राष्ट्रीय परिषद’ के गठन और ‘जनजातीय स्वास्थ्य प्रकोष्ठ’ की स्थापना के बारे में चर्चा की गई, जो स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ समन्वय करेगा।

  • सिकल सेल रोग से अधिक प्रभावित आदिवासी बहुल जिले झारखंड के ‘खूंटी’ और छत्तीसगढ़ के ‘कांकेर’ जिले में सिकल सेल रोग की जांच और समय प्रबंधन को मजबूत बनाने के लिए ‘उन्मुक्त परियोजना’ शुरू की गई।