बायो एंजाइम

  • 30 Oct 2021

पंजाब के लगभग 100 किसानों ने, विशेष रूप से किन्नू फसल क्षेत्र में, इसके बेकार फल - छिलके और बहुत छोटे किन्नू 'डी' ग्रेड से बायो एंजाइम (BIO-ENZYMES) बनाना शुरू कर दिया है।

महत्वपूर्ण तथ्य: पंजाब में पकने से पहले ही गिर जाने वाले फल किन्नू को किसानों द्वारा पूरी तरह से बर्बाद समझा जाता है। लेकिन यह गिरा हुआ फल मिट्टी, पानी, हवा, घटते भूजल, जल प्रदूषण और समग्र पारिस्थितिकी में सुधार के लिए वरदान साबित हो सकता है।

बायो एंजाइम क्या हैं? जैव-एंजाइम कार्बनिक घोल हैं, जो विभिन्न फलों, सब्जियों के छिलके और फूलों सहित जैविक अपशिष्ट के किण्वन के माध्यम से चीनी, गुड़ और पानी में मिलाकर तैयार किए जाते हैं।

  • जैविक अपशिष्ट को किण्वित करने में 60 -100 दिन लगते हैं। किण्वन को 45 - 50 दिनों में तेजी से तैयार करने के लिए इसमें खमीर का इस्तेमाल किया जा सकता है। बायो एंजाइम का हमारे दैनिक जीवन में भी बहुत उपयोग होता है।
  • किन्नू एक साल की अवधि की फसल है और मुख्य कटाई की अवधि नवंबर-अंत से मार्च तक होती है, लेकिन इस खट्टे फल की कुछ किस्में अक्टूबर में बाजारों में आने लगती हैं।